भारत में बढ़ता गुरुडमवाद और विचारशून्य हिंदू
विचारशून्य हिन्दू
आज के अरबपति और स्वयंभू बने तथाकथित गुरु चाहते हैं कि हिन्दू विचार शून्य बना रहे। इसी कारण हिन्दू युवा नास्तिक हो रहा है।
नौकरी चाहिए, व्यापार चाहिए, किसी को संतान चाहिए तो किसी को बीमारी से छुटकारा, जो हाथ से गया और जो पास में हैं, वह बचा रहे उसके लिए भी बाबाओं से मन्त्र चाहिए ।
अंधश्रद्धा की पराकाष्ठा देखिये! नौजवान बेटियों को अकेले इनके आयोजनों तक में भेजने से लोग नहीं हिचकते।
सड़क पर हाथ की सफाई दिखाने वाला मदारी और मंच पर हाथ की सफाई दिखाने वाला जादूगर है। परंतु धर्म का चोला पहन कर हाथ की सफाई दिखाने वाला सत्य साई बाबा के नाम से पूजा जाता है और १ लाख करोड़ से अधिक की सम्पत्ति इकठ्ठा करता है।
परिणाम –
पॉल दिनाकरण प्रार्थना की ताकत से भक्तों को शारीरिक तकलीफों व दूसरी समस्याओं से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। वे जिसके लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं, उससे मोटी रकम भी वसूलते हैं। मसलन ३००० रुपये में आप अपने बच्चों व परिवार के लिए प्रार्थना करवा सकते हैं। पॉल दिनाकरन जो कि एक इसाई प्रेरक हैं, उनकी संपत्ति ५००० करोड़ से ज्यादा है, बिशप के.पी.योहन्नान की संपत्ति ७००० करोड़ है, ब्रदर थान्कू (कोट्टायम , करेला) की संपत्ति ६००० हज़ार करोड़ से अधिक है | इनके पास जाने वाले अधिसंख्य हिन्दू ही हैं। ईसाई दयालुता केवल तभी तक है, जब तक कोई व्यक्ति ईसाई नहीं बनता | यदि इन्हें लोगों की भूख, गरीबी और बिमारी की ही चिन्ता होती तो अफ्रीका महाद्वीप के उन देशों में जाते जहाँ ९५% जनसंख्या ईसाई है।
सेक्युलरिज़्म का कीड़ा हिन्दू को ही अधिक काटता है। एक शहर में साईं बाबा का मंदिर बना है, मंदिर को देख कर लगता है कि इसकी लागत १० करोड़ रूपए के आस पास होगी | इस साई बाबा के मन्दिर पर एक बोर्ड लगा है जिस पर ॐ, क्रॉस, चाँद तारा आदि कुछ चिह्न बने हैं । मुझे समझ नही आया जिस शहर में ९८% हिन्दू हों और मन्दिर में दान देने वाले १००% हिन्दू हों वहां पर ये ॐ, क्रॉस, चाँद तारा आदि निशाँ वाले बोर्ड की क्या आवश्यकता है ? ये सर्वधर्म समभाव की बीमारी हिन्दू को ही क्यों है?
भगवा धारी/ सफेदपोश गुरुओं का हाल बहुत खराब है | अम्बाला के पास कुमारस्वामी (बीज मंत्र वाले) का कार्यक्रम था। इतनी भीड़ थी कि देर तक जी. टी. रोड पर जाम हो गया। कुमारस्वामी जी कभी क्रिसमस मनाते हैं तो कभी अपनी पत्नी से ही निकाह करवाते हैं। बीजमंत्र के नाम पर लोगो को उल्लू बनाते हैं। स्वघोषित जगतगुरु रामपाल हो या गुरुमीत राम रहीम सभी के सभी कितने महान हैं ? ये आज पता है। परंतु पकड़े जाने से पहले ये भी लाखों लोगों के गुरु जी थे और चमत्कार करते थे।
अल्लाह मौला वाले मुरारी लाल की रामायण हो या डबल श्री की सुदर्शन क्रिया या निर्मल बाबा की कृपा सभी के खरीददार विचारशून्य हिन्दू ही हैं।
विचारशून्यता आपको कहाँ तक ले जाती है?
टीवी पर कुबेर यंत्र बेचने वाली एंकर बता रही थी कि यह कुबेर यंत्र पन्द्रह दिन में आपके घर धन की वर्षा करने लगता है और आप धन से मालामाल हो जाते है, टीवी वाली उस कन्या ने इस धन वर्षा करने वाले कुबेर यंत्र की कुछ हजार रूपये कीमत भी बताई|
ताऊ ने जब टीवी पर इसके बारे में सुना तो उसे यह बढ़िया धन्धा लगा कि बिना कुछ किये सिर्फ कुछ हजार में एक कुबेर यंत्र खरीदना है और मालामाल हो जाना है |
सो ताऊ ने उस टीवी सुकन्या द्वारा बताये नंबर पर एस.एम.एस ठोक दिया |
कम्पनी से एक सुकन्या का बड़ी मधुर आवाज में ताऊ के फोन आ गया | ताऊ ने शर्त रखी कि कुबेर यंत्र खरीदने से पूर्व उसे पूरी जानकारी चाहिये |
कन्या ने ताऊ को जानकारी देना शुरू की कि
इस यंत्र को घर में हमारे द्वारा प्रदत दिशा निर्देशों के अनुसार स्थापित करने के पंद्रह दिन बाद आपके घर में धन वर्षा शुरू हो जायेगी आदि आदि |
ताऊ – अब तक कितने लोगों के घर धन वर्षा हुई ?
कन्या – बहुत लोगों के घर, जिन्होंने यह यंत्र ख़रीदा !
ताऊ- क्या मुकेश अम्बानी ने भी तुम्हारा यन्त्र ख़रीदा ?
क्या रत्न टाटा ने यह यन्त्र ख़रीदा ?
ताऊ की इस बात का उस कन्या के पास कोई उत्तर नहीं था |
ताऊ – कितने यंत्र है आपकी दूकान में ?
यंत्र बेचने वाली कन्या ने बताया, “१००० … |”
ताऊ – तब तो तुम्हारी दूकान की आमदनी अम्बानी और टाटा से भी ज्यादा होगी |
ये बात सुनते ही कन्या ने झुंझलाते हुए फोन पटक दिया |
ध्यान दें-
हनुमान जी ने बिना किसी मूल्य के श्रीराम जी का कार्य किया | तो आज अचानक हनुमान जी को एजेंटों की जरूरत कैसे हो गई | ये हनुमान जी की अपमान है |
यदि इन धातु और प्लास्टिक के टुकड़ों (श्री यन्त्र , नजर रक्षा कवच आदि) में कोई गुण होता तो धनी , उद्योगपति व राजनेता इन्हें अपने पास ही रखते |
हम इनका विरोध नहीं करेंगे तो ये इसी तरह लोगों को ठगते रहेंगे |
……… साभार |