राज्य संविधान की धारा 26 के अनुसार मंदिर में किसे प्रवेश दे?- यह निश्चित करने का अधिकार मंदिर व्यवस्थापन के पास है : अधिवक्ता विष्णु जैन सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के बाहर ‘मुसलमानों को मंदिर में प्रवेश वर्जित’ होने का फलक लगाने पर देशभर में मुसलमान, तथाकथित आधुनिकतावादी और कुछ प्रसिद्धीमाध्यमों ने विरोध किया । परंतु भारतीय राज्यसंविधान की ‘धारा 26 (ब) और (ड)’ के अनुसार ‘मंदिर में किसे प्रवेश दें’ अथवा ‘किसे प्रवेश न देें’ यह निश्चित करने का अधिकार मंदिर व्यवस्थापन को है । इसलिए कोई अहिन्दु अथवा श्रद्धाहीन व्यक्ति मंदिर के नियम भंग कर मंदिर में प्रवेश करके धार्मिक भावनाएं आहत कर रहा हो, तो उसके विरोध में हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं इसलिए भा.दं.वि.की 295 (अ) के अनुसार पुलिस थाने में अपराध प्रविष्ट करना चाहिए, ऐसा स्पष्ट मत सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’के प्रवक्ता विष्णु शंकर जैन ने प्रस्तुत किए । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘अहिन्दू और अश्रद्धों के मंदिर में प्रवेश पर बंदी लगाएं’ इस ऑनलाईन ‘विशेष परिसंवाद’में वे बोल रहे थे । यह कार्यक्रम ‘फेसबुक’ और ‘यू–ट्यूब’के माध्यम से 16761 लोगों ने देखा । इसके साथ ही इस अवसर पर ‘ट्वीटर’पर #TemplesOnlyForHindus यह ‘हैशटैग’ का उपयोग कर हजारों हिन्दुआें ने इस विषय का समर्थन किया । यह हैशटैग क्र.१ पर था ।
इस संदर्भ में डासना देवी मंदिर के महंत यति मां चेतनानंद सरस्वती बोले कि डासना शिवशक्ति धाम में आसिफ नामक युवक के मंदिर में आकर पानी पीने पर हिन्दुआें के पीटने का झूठा चित्र साम्यवादियों ने खडा किया । वास्तव में धर्मांध आसिफ मंदिर के परिसर में घुसकर शिवलिंग पर मूत्रविसर्जन करते पाया गया था । यह मंदिर मुसलमान बहुल प्रांत में होने से मंदिर में चोरी, देवताआें की मूर्तियों की तोडफोड, मंदिर में आनेवाली हिन्दू किशोरियों से छेडछाड, ये घटनाएं नित्य की हो गई हैं । इसके विरोध में स्थानीय पुलिस थाने में परिवाद (शिकायत) कर भी पुलिस ने इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की । इसलिए हिन्दुआें की रक्षा के लिए अहिन्दुआें को मंदिर में प्रवेशबंदी का फलक लगाना पडा । इस अवसर पर ‘सुदर्शन टी.वी.’के व्यवस्थापकीय संचालक श्री. सुरेश चव्हाणके बोले, ‘अहिन्दुआें को प्रवेश वर्जित, ऐसा फलक केवल डासना देवी मंदिर में ही नहीं, अपितु भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रवेशद्वार पर, इसके साथ ही नेपाल में भी लगाए गए हैं । भारत के जो मंदिर ऐसे फलक लगाने में आर्थिक दृष्टि से असमर्थ होंगे, उन्हें ‘सुदर्शन टी.वी.’द्वारा आर्थिक और कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी ।’ इस अवसर पर श्रीराम सेना के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष श्री. गंगाधर कुलकर्णी ने कहा, ‘कर्नाटक के श्री कोरगज्जा मंदिर की दानपेटी में धर्मांधों द्वारा आपत्तिजनक वस्तु डालकर वहां की पवित्रता भंग करने की संतापजनक घटना सामने आई है । इतना ही नहीं कर्नाटक में गत 10 वर्षों में 60 सेे 70 मंदिरों में मूर्ति तस्करी और दानपेटी की चोरियों की सर्व घटनाआें में मुसलमान अपराधी ही पाए गए हैं ।’ इस अवसर पर सनातन संस्था की प्रवक्त्या अधिवक्ता (कु.) कृतिका खत्री बोलीं, ‘मंदिर में साक्षात् भगवान हैं, ऐसी श्रद्धा रखकर प्रवेश करनेवालों को ही भगवान का आशीर्वाद मिलता है । इसलिए मंदिर की पवित्रता भंग करनेवालों को मंदिर में प्रवेश वर्जित का यह निर्णय योग्य ही है ।’