जम्मू में अवैध रोहिंग्या प्रवासियों के डिटेन्शन और उन्हें वापस म्याँमार भेजने के निर्णय के विरुद्ध दायर की गई याचिका में अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है। यह याचिका एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर अवैध रोहिंग्याओं के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान करना संभव नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अवैध प्रवासियों के डिपोर्टेशन से संबंधित पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही रोहिंग्याओं को म्याँमार भेजा जाए।
चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमनियम की बेंच ने मोहम्मद सलीमुल्लाह की याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि कोर्ट जम्मू में अवैध प्रवासियों के लिए बने सेंटर्स में डिटेन किए गए रोहिंग्या प्रवासियों को छोड़ने का निर्णय नहीं दे सकता बल्कि नियत प्रक्रिया के अनुसार उनके डिपोर्टेशन की अनुमति देता है। अवैध रोहिंग्या प्रवासियों को बचाने की याचिका में सलीमुल्लाह की ओर से प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।
23, मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रोहिंग्याओं की म्याँमार में स्थिति से संबंधित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के निर्णय का हवाला दिया था जबकि यह तथ्य सर्वविदित है कि आईसीजे का निर्णय आमतौर पर भारतीय न्याय व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता है।