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इतिहास के पन्नों से

आजादी के बाद देश को 7 प्रधानमंत्री देने वाली कांग्रेस पार्टी का इतिहास

 

भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों में शुमार कांग्रेस का गठन 28 दिसंबर 1885 को हुआ था। इसकी स्थापना अंग्रेज एओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य) ने की थी। दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा भी संस्थापकों में शामिल थे। संगठन का पहला अध्यक्ष व्योमेशचंद्र बनर्जी को बनाया गया था।

उस समय कांग्रेस के गठन का मुख्‍य उद्देश्य भारत की आजादी था, लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात यह भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। हालांकि यह बात और है कि आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि कांग्रेस के गठन का उद्देश्य पूरा हो चुका है, अत: इसे खत्म कर देना चाहिए।

आजादी के बाद से लेकर 2014 तक 16 आम चुनावों में से कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत हासिल किया, जबकि 4 बार सत्तारुढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया। कांग्रेस भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक समय तक सत्ता में रही। पहले चुनाव में कांग्रेस ने 364 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था, लेकिन 16वीं लोकसभा में यही पार्टी 44 सीटों पर सिमट गई।

आश्चर्यजनक रूप से 16वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने की पात्रता भी कांग्रेस हासिल नहीं कर पाई। वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी हैं। इनसे पहले पंडित जवाहर नेहरू, कामराज, नीलम संजीव रेड्‍डी, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिंहराव, सीताराम केसरी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी आदि दिग्गज अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा है। इससे पहले बैल जोड़ी और गाय-बछड़ा भी कांग्रेस का चुनाव चिह्न रह चुका है।

इस पार्टी को देश में 7 प्रधानमंत्री देने का श्रेय जाता है। इनमें पंडित नेहरू, गुलजारीलाल नंदा (कार्यवाहक प्रधानमंत्री), लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंहराव और मनमोहन सिंह हैं। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक कांग्रेस नीत यूपीए की गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था। कांग्रेस पार्टी के दामन पर 1975 में देश में आपातकाल लगाने का दाग भी लग चुका है। उस समय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थीं।
( सोशल मीडिया से साभार)

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