भारत को विश्व गुरु बनाने का लक्ष्य पहले दिन से लेकर चली है भाजपा

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डॉ. राकेश मिश्र

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मस्थान पर भव्य मन्दिर का सपना साकार हो रहा है। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘एक देश-एक निशान-एक विधान-एक प्रधान’ का सपना जम्मू-कश्मीर से 370 हटाकर पूरा किया जा चुका है।

“हम छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और संघर्ष से प्रेरणा लेंगे, सामाजिक समता का बिगुल बजाने वाले महात्मा फुले हमारे पथ-प्रदर्शक होंगे।” “भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं- ‘अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’।”- अटल बिहारी वाजपेयी

6 अप्रैल, वर्ष 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के मौके पर संस्थापक अध्यक्ष भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का प्रथम अध्यक्षीय भाषण आज करोड़ों कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहा है। गठन के बाद 1984 में हुए प्रथम आम चुनाव में मात्र 2 सीटें जीतने वाली पार्टी 40 साल के सफर में सत्ता के शीर्ष तक पहुंच चुकी है। उस दौर में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी द्वारा खोदी गई नींव पर आज पार्टी मजबूत दीवार जैसी खड़ी है, जिसका श्रेय नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को भी जाता है। अपने 41 साल के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी का ध्येय, सत्ता हासिल करने का नहीं रहा, बल्कि भारत को विश्वगुरु बनाने का लक्ष्य रहा। देश के लिए समर्पण भाव, दृढ़ इच्छाशक्ति और कुशल रणनीति के फलस्वरूप देश की तमाम समस्याओं का समाधान भाजपा के शासन में हुआ।

भारतीय संस्कृति और आस्था के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मस्थान पर भव्य मन्दिर का सपना साकार हो रहा है। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘एक देश-एक निशान-एक विधान-एक प्रधान’ का सपना जम्मू-कश्मीर से 370 हटाकर पूरा किया जा चुका है। भारतीय जनता पार्टी भले ही 1980 में बनी। लेकिन, इसकी विचारधारा का जन्म 1951 में ही हो चुका था। जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ बनाया था। उस दौर में कांग्रेस ही भारतीय राजनीति का चेहरा थी और 1952 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ को सिर्फ 3 सीटें मिलीं थीं। देश में जब लोकतंत्र खतरे में पड़ा तो जनसंघ देश और संविधान की रक्षा के लिए के आगे आया। 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया। इस दौरान जनसंघ के लोगों ने खुलकर कांग्रेस का विरोध किया। इसके कारण पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यातनाएं भी झेलनी पड़ीं। फिर आपातकाल खत्म होने पर जनसंघ और ऐसी कई दूसरी छोटी पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी बना ली। अब 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। कांग्रेस की करारी हार हुई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। उस सरकार में बतौर विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दुनिया को भारत की भाषा हिंदी से अवगत कराया।

अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत पर अडिग रहने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और अटल बिहारी वाजपेयी जी पार्टी के प्रथम अध्यक्ष बने। फिर, 1984 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ दो सीट मिलीं। लेकिन, पार्टी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और एकात्म मानववाद के मूलमंत्र के साथ भारतीय राजनीति में अपनी अलग छवि के साथ निखरती गई। 1989 में पार्टी 85 सीटें तो 1991 में 120 सीटें जीतने में सफल रही थी। 1996 में 161 और 1998 में 182 सीटें मिलीं। जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने की बात करते थे जिसे नरेन्द्र मोदी सरकार ने पूरा कर दिया है। भाजपा नरेंद्र मोदी और जगत प्रकाश नड्डा की जोड़ी के नेतृत्व में विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है तथा और आगे बढ़ रही है। भाजपा ने 2014 में 282 सीटों के साथ अपने दम पर सरकार बनाई तो 2019 में और दमदार जीत मिली। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेले 303 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता हासिल की है। इन 40 सालों में पार्टी ने अपने कई मुद्दे स्वीकार किये हैं। एनआरसी और सीएए पर जोर है। पार्टी के लिए देश सर्वोच्च रहा है, राष्ट्रवाद की बात अहम है, भले ही मुद्दे और तरीके बदल गए हैं। भाजपा की विचारधारा “एकात्म मानववाद” सर्वप्रथम 1965 में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी। पार्टी की नीतियां ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पक्षधर रही हैं। इसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर केन्द्रित है।

यह बात कही जाती रही है कि भारतीय जनता पार्टी दूसरी राजनीतिक पार्टियों से भिन्न एक विशेष विचारधारा वाली पार्टी है तो यह बात केवल कहने भर की नहीं है। वास्तव में भाजपा केवल एक राजनीतिक पार्टी ही नहीं, एक सतत चिन्तन वाली विचारधारा, विशेष कार्यशैली, समर्पित कैडर, जनलोक-कल्याणकारी नीतियां इसका मुख्य आधार स्तंभ हैं। यदि हम भाजपा की तुलना अन्य पार्टियों से करें तो हम पाएंगे कि वास्तव में भारतीय जनता पार्टी ही केवल एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो मर्यादित राजनीतिक पार्टी के रूप में कसौटी पर खरी उतरती है। जहां देश की अधिकतर राजनीतिक पार्टियां कुनबा परस्ती, भाई-भतीजावाद व वंशवाद की पोषक बन कर रह गई हैं और सत्ता प्राप्ति ही केवल एक मात्र लक्ष्य बनकर रह गया है। आज जहां भारतीय राजनीति भ्रष्टाचार, अत्याचार, जातीय संघर्ष, वर्ग संघर्ष, सम्प्रदाय संघर्ष, धनतंत्र, बलतंत्र, अपराध तंत्र एवं अनुशासनहीनता की शिकार बन गई है, वहीं भारतीय जनता पार्टी अपने समर्पित कैडर और विशिष्ट विचारधारा के आधार पर निरंतर आगे बढ़ रही है।

देश भर में ऐसे हजारों समर्पित कार्यकर्ता जो जीवन भर अविवाहित रहकर घर-परिवार व ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का त्याग कर एक संन्यासी की भांति इस पार्टी के माध्यम से राष्ट्र को एक मां के रूप में स्वीकार करते हैं और सभी भारतवासी उसके पुत्र हैं व भारत माता के रूप में इसका वंदन भी करते हैं। पार्टी का चाल-चरित्र और चेहरा दूसरी पार्टियों से बिल्कुल भिन्न है। भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद इसका मूलमंत्र है। हमारा देश सुरक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर और पूर्ण शक्तिशाली राष्ट्र बने, परमाणु नीति और कार्यक्रम इसी सोच का हिस्सा है।

हमारा राष्ट्र विश्व में आध्यात्मिक गुरु रहा है। वही स्थान और प्रतिष्ठा भारत की पुनः स्थापित हो ऐसा चिंतन पार्टी का है। हमारा राष्ट्र अतीत में सोने की चिड़िया कहा जाता था। इसी के अनुरूप भाजपा परम वैभवशाली राष्ट्र का सपना संजोये है। पार्टी चाहती है कि भारत एक सुखी-समृद्धिशाली राष्ट्र बने। भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों में पार्टी की गहन आस्था और विश्वास है। इन मूल्यों को किसी प्रकार की ठेस न पहुंचे, ऐसा प्रयास हमेशा पार्टी का रहता है। समाज के सभी वर्गों का हित हो, किसी भी एक वर्ग का तुष्टिकरण व वोट बैंक की राजनीति पार्टी को कतई स्वीकार नहीं है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वंचित वर्ग का उत्थान पार्टी का मुख्य उद्देश्य है। अंत्योदय का सूत्र लेकर पार्टी इसे क्रियान्वत करने में लगी है। धर्म जाति के नाम पर भेदभाव पार्टी को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है। इस समय पार्टी नरेन्द्र मोदी के बोधवाक्य “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के साथ चल रही है। सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति को मुख्यधारा में लाने के लिए सैंकड़ों योजनाएँ लागू कर चुकी है।

पांच बार केंद्र की सत्ता मिलने पर तमाम योजनाओं का केंद्र गरीब और अंतिम व्यक्ति ही रहा। 1996, 1998 और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। 1999 में बनी सरकार ने न सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा किया, बल्कि गठबंधन की राजनीति की सफलता का भी मार्ग दिखाया। साथ ही देश की शासन व्यवस्था में सुशासन को भी स्थापित किया। वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संगठन कौशल में जहाँ सेवा ही संगठन के भाव से लाखों कार्यकर्ता कोरोना काल में जनसेवा में जुड़कर सेवा को ही मूल मंत्र बना चुके हैं। इस समय 543 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं। इसी तरह संसद के ऊपरी सदन 245 सदस्यीय राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के 95 सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, असम, त्रिपुरा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है। बिहार, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम एवं मिजोरम में भाजपा के नेतृत्व में राजग की सरकार हैं। अपने 18 करोड़ सदस्यों के साथ भारतीय जनता पार्टी भारत ही नहीं आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है। इसके सदस्यों की संख्या से दुनिया के सिर्फ आठ देशों की आबादी ही ज्यादा है। पार्टी की इस विकास यात्रा में करोड़ों कार्यकर्ताओं का त्याग और बलिदान रहा है।

स्थापना काल से लेकर अब तक के भाजपा के अध्यक्षों की सूची-

  1. श्री अटल बिहारी वाजपेयी
    1980 – 1986
  2. श्री लालकृष्ण आडवाणी 1986 – 1991
  3. डॉ. मुरली मनोहर जोशी 1991 – 1993
  4. श्री लालकृष्ण आडवाणी 1993 – 1998
  5. श्री कुशाभाऊ ठाकरे 1998 – 2000
  6. श्री बंगारू लक्ष्मण 2000 – 2001
  7. श्री के. जना कृष्णमूर्ति 2001 – 2002
  8. श्री वेंकैया नायडू 2002 – 2004
  9. श्री लालकृष्ण आडवाणी 2004 – 2006
  10. श्री राजनाथ सिंह 2006 – 2009
  11. श्री नितिन गडकरी 2009 – 2013
  12. श्री राजनाथ सिंह 2013 – 2014
  13. श्री अमित शाह 2014 – 2020
  14. श्री जगत प्रकाश नड्डा 2020 से अभी तक

जनसंघ के अध्यक्षों की सूची-

  1. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1951–1952
  2. श्री मौलिचन्द्र शर्मा 1954
  3. श्री प्रेमनाथ डोगरा 1955
  4. आचार्य देव प्रसाद घोष 1956–1959
  5. श्री पीतांबर दास 1960
  6. श्री अवसरला राम राव 1961
  7. आचार्य देव प्रसाद घोष 1962
  8. श्री रघुवीर 1963
  9. आचार्य देव प्रसाद घोष 1964
  10. श्री बच्छराज व्यास 1965
  11. श्री बलराज मधोक 1966
  12. श्री दीनदयाल उपाध्याय 1967- 1968
  13. श्री अटल बिहारी वाजपेयी 1969 – 1972
  14. श्री लालकृष्ण आडवाणी 1973 – 1977

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