ओ३म्
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आज रविवार दिनांक 28-3-2021 को हमें वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून में 7 मार्च 2021 से चल रहे चतुर्वेद पारायण यज्ञ, गायत्री यज्ञ एवं योग साधना शिविर में यज्ञ की पूर्णाहुति के आयोजन में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यज्ञ स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी द्वारा आयोजित किया गया। वह पूरे समय सभी आयोजनों में उपस्थित रहे। स्वामी जी ऋषि भक्त, यज्ञों में अनन्य निष्ठा रखने वाले याज्ञिक एवं योग एवं उपासना को समर्पित हैं। आपने अपने जीवन में बड़ी संख्या में चतुर्वेद पारायण एवं गायत्री महायज्ञ सहित योग एवं ध्यान शिविर आयोजित कराये हैं। तपोवन आश्रम में भी आप प्रति वर्ष चतुर्वेद पारायण यज्ञ का आयोजन करते हैं। उसी श्रृंखला में इस वर्ष का चतुर्वेद पारायण भी हुआ।
आज समाप्त हुए चतुर्वेद पारायण यज्ञ के ब्रह्मा सोनीपत से पधारे आर्यजगत के प्रसिद्ध विद्वान आचार्य सन्दीप जी थे। यज्ञ में मन्त्रोच्चार गुरुकुल पौंधा के चार ब्रह्मचारियों ने किया। यज्ञ प्रतिदिन प्रातः व सायं दो दो घण्टे किया जाता रहा। यज्ञ सभी 22 दिन पांच यज्ञ-वेदियों में यज्ञ के साधकों द्वारा किया गया जिसमें लगभग साठ नियमित याज्ञिकों ने भाग लिया। आज के यज्ञ में यज्ञ एवं ध्यान साधिका माता सुनन्दा जी एवं बहिन प्रज्ञा जी भी सम्मिलित थी। माता सुनन्दा जी ने अपने जीवन में सौ सौ बार चारों वेदों से स्वयं ही वेद पारायण यज्ञ किये हैं। इस समय उनकी आयु 95 वर्ष से अधिक है और वह पूर्ण स्वस्थ हैं। माता जी का तीन पुत्रों एवं पुत्रियों का अपना सम्पन्न परिवार है परन्तु वह स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी के देहरादून स्थित धौलास आश्रम में रहकर साधना करना पसन्द करती हैं तथा अपने परिवार में नहीं जाती। आज के यज्ञ में लोगों ने माता जी को अपने जीवन के सौ वर्ष पूर्ण करने के लिए शुभकामनायें दी। माता जी की एक विशेषता यह भी है कि उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक मौन व्रत किया है जिसमें कुछ वर्ष अदर्शन मौनव्रत के भी सम्मिलित हैं। ऐसी कठोर साधना आज के समय में करने वाली मातायें एवं योगियों का मिलना आर्यसमाज में कठिन है। हमें इन दोनों माताओं के दर्शन करने का सौभाग्य मिला, यह ईश्वर की हम पर अनुकम्पा है।
आज के आयोजन में बहिन साध्वी प्रज्ञा जी भी सम्मिलित थी। आज उन्होंने अपना मौन व्रत तोड़ा वा खोला। बहिन जी विगत 9 वर्षों से मौन व्रत में रही हैं। इस अवधि में 4 वर्ष का अदर्शन मौन व्रत भी सम्मिलित है। बहिन जी ने आज के आयोजन में अपनी साधना व ध्यान आदि के अनुभव भी सुनाये। बहिन जी अच्छी कवित्री भी हैं। उनका कविताओं का एक संकलन ‘काव्यधारा’ हमारे पास है जिसमें आर्य विचारधारा की पोषक कवितायें हैं। यह पुस्तक 190 पृष्ठों की है। सभी श्रोताओं ने बहिन जी के सम्बोधन व उनकी वाणी में मधुरता रस का अनुभव किया। उनकी वाणी, भाषा एवं मधुरता हृदय को प्रभावित करती है। उनके व्यक्तित्व में दिव्यता का आभास भी होता है।
आज के कार्यक्रम में हरिद्वार से पधारे शीर्ष आर्य विद्वान डा. महावीर अग्रवाल जी ने श्रोताओं को सम्बोधित किया। रोजड़ के स्वामी आशुतोष जी ने भी इस अवसर पर अपना सम्बोधन प्रस्तुत किया। आचार्य सन्दीप जी तथा स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने भी श्रोताओं को आशीर्वचन कहे। स्वामी जी ने सामूहिक प्रार्थना भी कराई।
आज के यज्ञ में माता सुनन्दा जी का उनकी सेवाओं एवं योगदान के लिए चतुर्वेद पारायण के सभी याज्ञिक बन्धुओं सहित आश्रम के अधिकारियों ने भी सम्मान किया। आश्रम के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी ने माता जी को प्रस्तुत सम्मान पत्र का वाचन किया। इस अवसर पर आश्रम के प्रधान श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री जी भी सम्मिलित थे। कार्यक्रम में अनेक विद्वान, स्थानीय व्यक्ति भी उपस्थित थे। यज्ञ सहित सभी आयोजन समाप्त होने के बाद सबने ऋषि लंगर का सेवन किया। इसके बाद सभी शिविरार्थी अपने अपने गन्तव्यों की ओर अपने अपने साधनों से चले गये। हमें इस पूरे आयोजन में भाग लेकर अच्छा लगा। दो तपस्वी माताओं के दर्शन कर भी हमें अच्छा लगा। आज के समय में देश व समाज में ऐसे साधक व साधिकाओं का मिलना असम्भव प्रायः ही है। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य