संसद नवनीत राणा को संसद में शिव सैनिक ने धमकाया : कहा – चेहरे के ऊपर घमंड है, तेजाब फेंक देंगे, कहीं घूमने के लायक नहीं रहोगी

आज कल सड़क से लेकर संसद तक हो रही गुंडागर्दी को देख, 2014 चुनाव के दौरान बस में यात्रा कर रहे दो व्यक्तियों की बात स्मरण हो रही है कि “अगर बीजेपी पावर में आ गयी, देखना संसद में गोलियां चलेंगी, मिर्च पाउडर उड़ाया जाएगा, एक-दूसरे को धमकाया जाएगा….” आदि आदि, जो आज पूर्णरूप से चरितार्थ हो रहा है। अभी तक तो विधान सभाओं में माइक तोडना, आदि गुंडागर्दी अब संसद भी पहुँच चुकी है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की हरकत के बाद अब शिव सेना के सांसद की अपने ही प्रदेश की सांसद को धमकी सिद्ध कर रहा है कि अब सफ़ेदपोश में गुंडे नेता बन रहे हैं।

जहाँ तक पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा 100 करोड़ रूपए वसूलने का आरोप है, अगर गंभीरता से जाँच की जाए तो कई प्रदेशों की पुलिस लपेटे में आएगी। यह कोई आरोप नहीं कटु सत्य है। कोरोना काल में जरुरी सामान लेकर जाने वाले दुकानदारों से सीमा में घुसने के लिए वसूली की जाती थी, सड़क पर रेडी वाले से लेकर सड़क पर सब्जी बेचने वाले से पुलिस रोज कितना वसूलती है, कोई घर में एक ईंट लगाता है, लैंटर डलने पर कितना वसूलती है और चौराहे पर किसी ट्रक एवं विक्रम से कितनी वसूली की जाती है, किसे नहीं मालूम? कौन मांगेगा हिसाब?

इसी सन्दर्भ में लगभग 48 वर्ष पुरानी रपट स्मरण आती है, जब दिल्ली में चर्चित मीना टंडन केस के दौरान ‘नवभारत टाइम्स’ ने अपने प्रथम पृष्ठ पर एक रपट प्रकाशित की थी, जिसने पुलिस में होते कारोबार की पोल खोल दी थी। क्या कारोबार बंद हुआ? नहीं, क्यों? फिर चुनावों में देखो हर सियासतखोर भ्रष्टाचार दूर करने की बात करता नज़र आता है। देश में पता नहीं कितने परमबीर और वाजे हैं, सब जानते हैं, लेकिन मुंह नहीं खोल सकते। मुद्दा केवल राजनीतिक प्रेरित होने पर चर्चा में आता है, अन्यथा सड़क से लेकर गृह मंत्रालय तक चुप्पी साढ़े रहती है। पहले घर में होने वाली मरम्मत आदि पर पुलिस हस्तक्षेप नहीं करती थी, परन्तु आज कमेटी से पहले पुलिस वसूली के पहुँचती है। किसी काम को रुकवाने में तो वसूली और उसी काम को शुरू करने में दुगनी वसूली। 

महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने शिवसेना सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत पर धमकी देने का आरोप लगाया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजे गए पत्र में सावंत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राणा ने एंटीलिया बम प्रकरण में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे का वाला मामला संसद में उठाया था। आरोप है कि इसी पर सावंत भड़क गए।

मुकेश अंबानी की मुंबई स्थित 27 मंजिला इमारत एंटीलिया के बाहर बम लदी स्कॉर्पियो मिली थी। बाद में पता चला कि सचिन वाजे ने ही इसकी पूरी साजिश रची थी। वो गिरफ्तार भी किया जा चुका है। जाँच एजेंसियों को शक है कि भेद खुलने के डर से वाजे ने ही स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन की हत्या कर दी। इसके बाद मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर कई आरोप लगाए।

 

संसद में भी ये मामला उठा और मनसुख हिरेन की हत्या, सचिन वाजे के शिवसेना कनेक्शन और परमबीर सिंह के पत्र को लेकर कई सांसदों ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर प्रश्न खड़े किए। नवनीत राणा ने लिखा है कि उन्होंने एक महिला सांसद होने के नाते महाराष्ट्र में बिगड़ती कानून-व्यवस्था का मामला सदन में उठाया और उद्धव ठाकरे सरकार का विरोध किया, जिसके बाद अरविंद सावंत ने लोकसभा की लॉबी में उन्हें धमकाया।

 

बकौल नवनीत राणा, सावंत ने उनसे कहा, “तू महाराष्ट्र में कैसे घूमती है, मैं देखता हूँ। तेरे को भी जेल में डालेंगे।” नवनीत राणा ने आरोप लगाया कि इससे पूर्व भी शिवसेना के लेटर हेड और फोन कॉल के माध्यम से उनके चेहरे पर तेजाब फेंकने की धमकी दी जा चुकी है। उन्होंने सावंत के बयान को न सिर्फ अपना, बल्कि पूरे देश की महिलाओं का अपमान करार दिया। साथ ही शिवसेना सांसद पर कड़ी से कड़ी पुलिसिया कार्रवाई की माँग की।

नवनीत राणा ने कहा कि गरीब पहले से ही परेशान है क्योंकि कोरोना और लॉकडाउन की मार तो उस पर पड़ी ही है, साथ ही उसके पेट पर भी मार पड़ी है। उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में 100 करोड़ रुपए की वसूली की आग लगी है, जबकि लोगों की जेब में 100 रुपए भी नहीं हैं। इस पूरे प्रकरण पर उन्होंने कहा कि सचिन वाजे 17 वर्षों से उद्धव ठाकरे के लिए काम कर रहा था और पूरे मुंबई की वसूली को देख रहा था।

 

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री बनते सचिन वाजे को उद्धव ने क्राइम यूनिट में भेजा। इस पर मैंने सदन में जनता और संविधान द्वारा दिए गए अधिकार के तहत बात की तो अरविंद सावंत को मिर्ची लग गई। मुझे कोई पुरुष बताएगा कि मेरी बॉडी लैंग्वेज कैसी होगी? मेरे तरफ से गुजरते हुए उन्होंने मुझे जेल भेजने की धमकी दी। मैंने बगल में बैठे एक साथी सांसद ने भी उनकी धमकी को सुना। मुझे पहले भी कहा जाता रहा है कि चेहरे पर इतना घमंड है, इस पर तेजाब फेंक देंगे। कहीं घूमने के लायक नहीं रहोगी।”

नवनीत राणा ने कहा कि वो महाराष्ट्र के महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और जब सदन में उन्हें धमकाया जाता है तो महाराष्ट्र की स्थिति समझ लीजिए। उन्होंने शिवसेना को ‘गुंडे विचारधारा वाली पार्टी’ बताते हुए कहा कि महिलाओं को डराने की साजिश कामयाब नहीं होगी और वो लोगों के लिए बोलती रहेंगी। उन्होंने कहा कि उनमें हिम्मत है तो आज ही उन्हें जेल में डाल दिया जाए। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री को भी इस घटना से अवगत कराया।

वहीं अरविंद सावंत ने इसे सरासर झूठ करार देते हुए कहा कि एक तो वो महिला हैं और उन्हें भैया कह कर पुकारती हैं, ऐसे में कोई शिवसैनिक महिलाओं को धमकाने का काम नहीं सकता। उन्होंने नवनीत राणा के बात करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके हर बयान की वीडियो क्लिपिंग में उनकी बॉडी लैंग्वेज और सीएम ठाकरे के लिए उनके शब्दों को सुना जा सकता है। सावंत ने कहा कि मैं उन्हें क्यों धमकाऊँगा?

उन्होंने कहा कि नवनीत राणा अच्छी तरह से बात नहीं कर रही हैं और ये ठीक नहीं है। उन्होंने राणा पर सीएम ठाकरे के अपमान का आरोप लगाया। भाजपा सांसद रमा देवी ने नवनीत राणा का समर्थन करते हुए कहा, “इस मामले में नवनीत राणा ने मुझसे बात की है। एक सांसद होने के नाते अरविंद सावंत को इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए थी। मैं लोकसभा स्पीकर से कहूँगी कि वे इस मामले को गंभीरता से लें।”

 

नवनीत राणा तेलुगु की कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं। हालाँकि, 2010 के बाद उनकी कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई है। कन्नड़ फिल्म ‘दर्शन’ उनकी डेब्यू मूवी थी, जो 2004 में रिलीज हुई थी। उन्होंने तेलुगु अभिनेताओं जूनियर NTR और बालाकृष्णा की फिल्मों में काम किया है। हालाँकि, उन फिल्मों में उनका किरदार बड़ा नहीं रहा। 2008 में आई मलयालम फिल्म ‘लव इन सिंगापुर’ में उन्हें दिग्गज अभिनेता ममूटी के साथ काम करने का मौका मिला था।

उधर पता चला है कि परमबीर सिंह के पत्र लिखने से दो महीने पहले ही वाजे रेस्ट्रॉं और बार मालिकों से पैसा इकट्ठा कर चुका था। होटल मालिकों में से एक ने बताया कि वाजे क्रॉफोर्ड मार्केट में पुलिस आयुक्त कार्यालय के परिसर के अंदर CIU कार्यालय में होटल व्यवसायियों से पैसे निकालने की अपनी दुकान चला रहा था। वाजे उद्यमियों को बुलाता था और उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त करता था कि SSB के अधिकारी उनके प्रतिष्ठानों पर छापेमारी नहीं करेंगे, मगर इसके बदले में वे उन्हें हर महीने पैसे देंगे।

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