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समर्पित भावना वाली पारदर्शी कार्य संस्कृति है अब उत्तर प्रदेश की सरकार की कार्यशैली और प्रदेश की पहचान: योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ

उन्नति की अनंत संभावनाओं वाले भारत के सबसे बड़े राज्य की 24 करोड़ जनाकांक्षाओं को साकार करने का हमारा व्रत आज चार वर्ष पूर्ण कर रहा है। ‘लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय, पथ अंत्योदय’ के संकल्प को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा करते चार वर्ष कैसे बीते इसका क्षण भर भी भान न हो सका और अब यह विश्वास और दृढ़ हो चला है कि साफ नीयत और नेक इरादे से किए गए सत्प्रयास सुफलित अवश्य होते हैं। कोविड-19 की विभीषिका से संघर्ष का एक वर्ष बीत चुका है। मुझे याद आता है जनता कर्फ्यू का वह दिन जब कोरोना के गहराते संकट के बीच महामहिम राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति महोदय ने फोन पर बातचीत कर मुझसे प्रदेश की तैयारी के संबंध में जानकारी ली थी।

उन्हें चिंता थी कि कमजोर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, सघन जनघनत्व व भू-क्षेत्रीय विविधता और बड़े क्षेत्रीय विस्तार वाला उत्तर प्रदेश इस महामारी का सामना कैसे करेगा। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि उत्तर प्रदेश इस आपदा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा और अंततः हुआ भी यही।
महामारी से लड़ाई
हमने आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘टेस्टिंग और ट्रेसिंग’ के मंत्र को आत्मसात किया और इसे व्यावहारिक धरातल पर उतारने की चुनौती को स्वीकार किया। इसका नतीजा यह है कि सरकार ने लोगों के जीवन और जीविका दोनों को संरक्षित करने में सफलता प्राप्त की। निवासी हों या प्रवासी सबका ध्यान रखा गया। दूसरे प्रदेशों में रह रहे उत्तर प्रदेश के लोगों की कोई समस्या हो, बाहर से आए श्रमिकों व कामगारों की चुनौतियां अथवा प्रदेश में निवासरत लोगों की जरूरतें, सब पर सीधी नजर रखी गई। मुझे आज यह कहते हुए आत्मिक संतोष की अनुभूति हो रही है कि समाज के हर तबके ने एकजुट होकर इस महामारी से लड़ाई लड़ी। उत्तर प्रदेश के कोविड प्रबंधन की वैश्विक स्तर पर सराहना हुई। निस्संदेह इस आपदाकाल में राष्ट्रीय पटल पर एक नया उत्तर प्रदेश उभर कर आया है।

प्रधानमंत्री देश को पांच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने का महान लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। उन्होंने हमें आत्मनिर्भरता का मंत्र दिया है। उत्तर प्रदेश इस लक्ष्य का संधान कर उनके स्वप्न को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करता है। आत्मनिर्भरता के पथ पर तेजी से आगे बढ़ता हुआ यह वही उत्तर प्रदेश है जहां मात्र चार वर्ष में 40 लाख परिवारों को आवास मिला, 1 करोड़ 38 लाख परिवारों को बिजली कनेक्शन मिला, हर गांव की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया गया तथा गांव-गांव तक ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, पारदर्शी एवं स्पष्ट कार्य संस्कृति, सुदृढ़ कानून-व्यवस्था से व्यवसाय और विकास के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ है।
इस बदलते वातावरण का परिणाम है कि आज निवेशकों की पहली पसंद उत्तर प्रदेश है। चार साल के भीतर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की राष्ट्रीय रैंकिंग में 12 पायदान ऊपर उठकर नंबर दो पर आना कोई सरल कार्य नहीं था पर हमने यह कर दिखाया। यह वही प्रदेश है, जहां वर्ष 2015-16 में प्रति व्यक्ति आय मात्र 47,116 रुपये थी, जबकि आज 94,495 रुपये है। जीएसडीपी के आधार पर यह राज्य देश की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। चार वर्ष पूर्व अन्नदाता किसान के ऋण की माफी से वर्तमान सरकार की लोककल्याण की यात्रा प्रारंभ हुई थी। प्रदेश में अब तक 1.27 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किसानों को किया जा चुका है।
किसानों की उम्मीद और खुशहाली हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है और हम इस पर पूरी तरह खरे उतरने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं। आस्था और अर्थव्यवस्था दोनों के प्रति हमारा समदर्शी भाव है। हमारी नीतियों में दोनों भाव समानांतर गति करते हैं। बीते चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जो ज्योति प्रज्ज्वलित हुई है, उसने हर सनातन आस्थावान व्यक्ति के हृदय को आलोकित किया है। ‘गंगा यात्रा’ के माध्यम से आस्था और आर्थिकी दोनों के उद्देश्य पूरे हुए। श्रीरामजन्मभूमि पर सकल आस्था के केंद्र प्रभु श्रीराम के भव्य-दिव्य मंदिर के निर्माण के शिलान्यास की सदियों पुरानी बहुप्रतीक्षित साधना वर्ष 2020 में पूरी हुई। वर्तमान राज्य सरकार अयोध्या को वैदिक और अधुनातन संस्कृति के समन्वित नगर की प्रतिष्ठा से विभूषित करने के लिए नियोजित प्रयास कर रही है। प्रभु श्रीराम के आशीष से हमारा यह प्रयास भी अवश्य सफल होगा।
प्रधानमंत्री ने हमें ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ का पाथेय प्रदान किया है। आज जबकि वर्तमान प्रदेश सरकार चार वर्ष पूरे कर रही है तो मुझे व्यक्तिगत प्रसन्नता है कि हम इसी पाथेय के अनुरूप अपनी नीतियों को क्रियान्वित करने में सफल रहे हैं। हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी इस बात को मानते हैं कि बीते चार सालों में एक भी ऐसी योजना नहीं शुरू हुई जो किसी जाति, धर्म, पंथ, मजहब के आधार पर विभेद करती हो। कुछ समय पूर्व जब हम उत्तर प्रदेश को संभावनाओं वाला प्रदेश कहते थे तो कुछ लोग कहते थे कि यहां कुछ नहीं हो सकता। लेकिन लोक कल्याण के संकल्प की शक्ति के बूते आज उत्तर प्रदेश के सपने साकार हो रहे हैं।
बदल गई कार्य संस्कृति
चार साल पहले जिस प्रदेश को देश और दुनिया में बीमारू कहा जाता था, आज उसकी प्रगति अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन रही है। राज्य वही है, संसाधन वही हैं, काम करने वाले वही हैं, बदली है तो बस कार्य संस्कृति। यही प्रतिबद्धतापूर्ण, समर्पित भावना वाली पारदर्शी कार्य संस्कृति इस नए उत्तर प्रदेश की पहचान है। चुनौतियां कितनी बड़ी क्यों न हों, मार्ग कितना भी दुष्कर क्यों न हो, लोक कल्याण के संकल्प पथ पर सिद्धि की ओर यह यात्रा इसी प्रकार गतिमान रहेगी-
सागर की अपनी क्षमता है
पर मांझी भी कब थकता है
जब तक सांसों में स्पंदन है
उसका हाथ नहीं रुकता है

मां भारती हमारा पथ प्रशस्त करें।

(लेखक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)

साभार

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