आशीष कुमार
देश की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों के हाथ की कठपुतली बनती जा रही है जो सिर्फ इशारों पर नाच सकती है, विरोध नहीं कर सकती। इस बात को समझने के लिए आपको सबसे पहले क्रोनोलॉजी समझनी पड़ेगी। बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और बीजेपी वहां एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आ रही है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों का बस एक ही मकसद है कि बीजेपी को रोकना है, कैसे भी। हालांकि इन सबके चक्कर में दुर्दशा कांग्रेस की हो रही है। शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सरकार चला रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल में वह कांग्रेस के खिलाफ टीएमसी का समर्थन करेगी। महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की सहयोगी एनसीपी का भी कमोबेश यही हाल है।
लिस्ट में और भी लोग हैं भाई। झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड में कांग्रेस के साथ सरकार चला रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल में वह कांग्रेस के खिलाफ टीएमसी का समर्थन करेगी। बिहार में आरजेडी ने कांग्रेस के साथ महागठबंधन किया हुआ है, लेकिन पश्चिम बंगाल में वह कांग्रेस के खिलाफ टीएमसी का समर्थन कर रही है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन पश्चिम बंगाल में वह कांग्रेस के खिलाफ टीएमसी का समर्थन कर रही है। तमिलनाडु में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे एमके स्टालिन खुलेतौर पर तो नहीं, लेकिन अंदरखाने वह भी टीएमसी की मदद करना चाहते हैं।
आप कांग्रेस की बेचारगी देखिए कि वह अपने खिलाफ चल रही इस तरह की सियासी साजिश का विरोध भी नहीं कर पा रही है क्योंकि जब से उसके हाथ से सत्ता गई है तब से वह इसे वापस पाने के लिए ऐसे फड़फड़ा रही है कि इसके लिए कुछ भी करने को तैयार है। अपने सामने छटाक भर अस्तित्व वाले पार्टियों का पिछलग्गू बनने को भी। जिन राज्यों में कांग्रेस इन पार्टियों के साथ सरकार में है, वहां वो इतना तक नहीं बोल पा रही है कि भाई मेरी मदद नहीं कर सकते तो कम से कम विरोध तो मत करो, लेकिन आप तो जानते हैं न कि कठपुतलियां सिर्फ नाच सकती हैं, विरोध नहीं कर सकती हैं।
हालांकि इन सबके लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार है। वह भी तो कुछ ऐसा ही कर रही है। बंगाल के साथ 4 अन्य राज्यों में भी चुनाव हो रहा है जिनमें से एक केरल है। कांग्रेस यहां लेफ्ट के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, लेकिन खुद पश्चिम बंगाल में लेफ्ट वालों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। बताइए जब कांग्रेस खुद ऐसा कर रही है तो भला दूसरों को ऐसा करने से कैसे रोक सकती है।
खैर जो भी हो, लेकिन कांग्रेस की यह हालत देखकर मुझे तो बस ऐमजॉन प्राइम की वेबसीरीज पंचायत का फेमस डायलॉग याद आ रहा है- गजब बेइज्जती है।
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