मिश्र की लोकमाता नदी का ‘नील’ नाम शुद्ध संस्कृत है, ऐसा पाश्चात्य अन्वेषक कहते हैं। प्राचीन काल के भारतीयों के भौगोलिक ज्ञान के विषय में जिन्होंने गहरा अध्ययन किया है, वह Francis Wilford (1761–1822) कहते हैं कि “भारतीय पुराणों में वर्णित शंख के आकारवाला द्वीप अफ्रीका ही है।’
1864 में न्यूयॉर्क से प्रकाशित जान स्पेके की पुस्तक ‘Journal of the Discovery of the Source of the Nile’ में यह विश्वप्रसिद्ध मानचित्र प्रकाशित हुआ। जान स्पेके इसका वर्णन वह अपनी पुस्तक में इस प्रकार करता है—
‘कर्नल रिग्बी ने मुझे एक मूल्यवान निबंध इस मानचित्र के साथ दिया, जो नील नदी तथा चांद के पहाड़ से सम्बंधित था। वह निबंध कर्नल विलफोर्ड का लिखा हुआ था, जो उसने हिन्दुओं के पुराणों के आधार पर तैयार किया था। यह आश्चर्य की बात है कि हिन्दुओं को नील नदी के उद्गम का ज्ञान है। इसलिए यह बात स्पष्ट है कि प्राचीन हिन्दुओं का अफ्रीका के विभिन्न भागों से सम्बंध था।’ नील नदी के बारे में इजिप्शन लोगों की जानकारी की हंसी उड़ाते हुए स्पेके लिखता है— ‘नील नदी-सम्बंधी हमारे सारे ज्ञान का केन्द्र हिन्दू हैं…. बाकी मिस्र के भूगोलवेत्ताओं की बातें पाखण्ड और अनुमान हैं।’