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उगता भारत न्यूज़

वेदिक साधन आश्रम तपोवन में वेदभाष्य एवं सत्यार्थ प्रकाश आदि साहित्य का विक्रय केंद्र स्थापित

ओ३म्

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हमें कल वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में दिनांक 7-3-2021 से चल रहे चतुर्वेद पारायण यज्ञ में जाने व भाग लेने का अवसर मिला। यह वेद पारायण यज्ञ आश्रम की पर्वतीय ईकाई जो मुख्य आश्रम से तीन किलोमीटर पर्वतों की एक चोटी पर स्थित है तथा वन व वृक्षों से आच्छादित है, जहां पूर्ण शान्ति है तथा शुद्ध वातावरण है, वहां आयोजित हो रहा है। पहले हम मुख्य आश्रम पहुंचे। कुछ ही दिन पहले वहां मेन रोड की ओर दो दुकानें सड़क के साथ लगने वाली आश्रम की सीमा के साथ बनाई गई हैं। इनमें से एक दुकान को वैदिक साहित्य के विक्रय केन्द्र के रूप में आरम्भ किया गया है। वर्तमान में इस केन्द्र में चारों वेदों का भाष्य तथा सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थ उपलब्ध हैं। अन्य प्रमुख साहित्य को भी शीघ्र मंगाया जा रहा है। इस विक्रय केन्द्र पर स्टेशनरी की कुछ चीजें भी उपलब्ध हैं जिनमें रजिस्टर, कापियां, पैन व नाना प्रकार की अन्य सामग्री हैं।

आश्रम के साहित्य विक्रय केन्द्र पर आश्रम के लगभग 50 वर्ष पुराने सेवक श्री राममूर्ति जी बैठते हैं। श्री राममूर्ति जी वैदिक मिशनरी है। यद्यपि उन्होंने एक सेवक के रूप में आश्रम को अपनी सेवायें दी हैं परन्तु इसके साथ आरम्भ से ही उनकी आध्यात्मिकता व उपासना सहित देवयज्ञ व महायज्ञों आदि में गहरी रूचि है। उन्होंने अपने परिवार को भी शिक्षित किया है और उनकी सन्तानें स्नातक व इससे भी अधिक शिक्षित हैं। हमारे साथ उनका हार्दिक प्रेम है। उनसे मिलकर व बातें कर हमें अत्यन्त प्रसन्नता व सुख का अनुभव होता है। उनका स्वभाव ही ऐसा है कि जो भी व्यक्ति उनके सम्पर्क में आ जाता है उसको वह अपना बना लेते हैं। सभी अधिकारियों के भी वह प्रिय हैं। आश्रम की वह एक प्रमुख निधि हैं। वर्तमान में वह आश्रम के सबसे पुराने कर्मचारी व व्यक्ति हैं जो आश्रम से जुड़े हैं। इतना पुराना यदि कोई अधिकारी है तो आश्रम सोसायटी के एक सदस्य श्री मनजीत सिंह जी ही हैं जो तपोवन ग्राम में ही निवास करते हैं।

कल की भेंट में हमने श्री राममूर्ति जी से बातें की। उन्होंने कहा कि इस विक्रय केन्द्र को 6 मार्च से आरम्भ किया गया है। यद्यपि यह मुख्य बस्ती से कुछ दूरी पर है तथा मुख्य मार्ग पर है, तथापि विगत 10 दिनों में इस केन्द्र पर उत्साहवर्धक बिक्री हुई है। हमने भी कुछ वस्तुयें वा सामग्री क्रय की। हम चाहते हैं कि यहां पर ऋषि दयानन्द जी व आर्यसमाज के प्रमुख प्रचारित ग्रन्थों को उपलब्ध कराया जाये। इससे पूर्व देहरादून में ऐसे विक्री केन्द्र का प्रायः अभाव था। एक आर्य साहित्य विक्रय केन्द्र गुरुकुल पौंधा के परिसर में स्थापित किया गया है परन्तु वह नगर व बस्ती से दूर होने के कारण वहां लोगों का सुगमता से आना जाना नहीं हो पाता। हम विगत पचास वर्षों से ऐसे विक्रय केन्द्रों की आवश्यकता अनुभव करते थे। हमारे बिना कहे आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी ने इस कार्य को कर दिया है। उनको हम शुभकामनायें एवं साधुवाद देते हैं।

श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी में गहरी ऋषि भक्ति है। वह सबको आर्य सिद्धान्तों को अपनाने तथा आर्यसमाज का प्रचार करने की प्रेरणा देते रहते हैं। उनका जीवन भी स्वाध्याय एवं सदाचार की मिसाल है। तपोवन आश्रम में जो चतुर्वेद पारायण यज्ञ चल रहा है उसमें एक साधक के रूप में वह सम्मिलित हैं। इससे पहले भी उन्होंने ऐसे यज्ञों में सक्रिय भाग लिया है और प्रचुर धनराशि दान दी है। अपने निवास पर भी वह प्रत्येक वर्ष वेद पारायण यज्ञ कराते हैं और वहां भिन्न भिन्न वक्ताओं वा विद्वानों सहित भजनोपदेशकों को आमंत्रित कर उनका सत्कार करने सहित स्थानीय आर्य बन्धुओं को उत्तम सत्संग उपलब्ध कराने सहित उनका आतिथ्य भी करते हैं। हम श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी सहित आश्रम के प्रधान जी, आश्रम सोसायटी के सदस्यों एवं श्री राममूर्ति जी को हार्दिक शुभकामनायें देते हैं। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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