“गाय , गोला और गादी”
भारतीय देसी गाय का गर्भकाल 9 महीने 9 दिन के लगभग होता है जो 283 दिन के आसपास बैठता है | प्रसव के आखिरी महीने में गाय के अडर अर्थात गादी या जड़ कहीं-कहीं इसे लेवटी कह देते हैं उसका तेजी से विकास होता है गाय की गादी जितनी बड़ी विकसित होती है गाय उतना ही अधिक दूध देती है दूध की मात्रा गादी के साइज पर निर्भर करती है | गाय की udder में गाय की दूध ग्रंथियों वाहिकाओं का एक अंतरजाल होता है | पहले गाय जंगल चरने के लिए जाती थी गोचर भूमि होती थी गर्भवती गाय चुन चुन कर ऐसी घास जड़ी बूटियों को चरती थी जिनसे दुग्ध उत्पादक ग्रंथियों का तेजी से विकास होता था गादी का आकार संतुलित होता था…. आधुनिक वेटरनरी साइंस की रिसर्च में यह सिद्ध हो गया है गाय की गादी की ग्रोथ के लिए विटामिन बी7 सीधे-सीधे जिम्मेदार है जिसे विटामिन एच भी कहा जाता है….
लेकिन हमारे गांव देहात में बुजुर्गों के बहुत से नुस्खे हैं गर्भवती गाय आदि के सुरक्षित स्वस्थ प्रसव व उच्च दुग्ध उत्पादन के लिए उन्हीं में से एक है नारियल का गिरी अर्थात गोला | जैसे ही गाय नौवें महीने में प्रवेश करें तो उसे 100 ग्राम प्रतिदिन नारियल का गोला खिलाना चाहिए गोले का बारूदा बनाकर या छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर कूटकर खिलाया जा सकता है गाय बड़े चाव से खाती है…. नारियल के गोले में विटामिन एच अच्छी मात्रा में होता है… जो गादी की ग्रोथ के लिए जिम्मेदार एकमात्र विटामिन है…. गोले में इसके साथ-साथ जरूरी सेलेनियम मैग्नीशियम कॉपर जिंक जैसे खनिज व प्रोटीन भी होते हैं | गाय के थन ,गादी को बढ़ाने के लिए यह अचूक रामबाण परंपरागत नुस्खा है जो पीढ़ी दर पीढ़ीओ से चला आ रहा है…. गोला गौ माता के लिए बहुत पौष्टिक होता है…. ऐसे गोवंश को जिसे शुद्ध हरा चारा नहीं मिल पाता उसके लिए तो यह बहुत जरूरी होता है|
आप अपनी गौ माता पर अनोखे नुस्खे को इस्तेमाल कर सकते हैं|
आर्य सागर खारी✍✍✍