स्वामी श्रद्धानन्द का प्रकाशमय जीवन एक काल में घोर अन्धकार में था। आप लिखते हैं जब मैं छोटा था मेरे पिताजी पक्के ईश्वरविश्वासी थे। प्रतिदिन धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय किया करते थे। मुझे जब वे ऐसा करने को कहते तो मैं उनसे स्पष्ट कह देता कि मुझे ईश्वर की सत्ता पर जरा भी विश्वास नहीं है। ईश्वर कि सत्ता जताने के लिए जो तर्क वे देते उन्हें मैं काटकर हंसी में उड़ा देता। एक दिन वे
बोले,”मुंशीराम (पूर्वनाम), आजकल यहाँ एक (बरेली) बाबा आये हुए हैं।
मेरे सोना न बन पाने का कारण बताता हूँ। एक स्कूल में दो बालक पढ़ते थे। एक अमीर था और दूसरा गरीब। जब मध्यावकाश होता तो दोनों मिल कर घर से लाया खाना बाँटकर खाते। एक दिन अमीर बालक बोला तुम हर रोज रोटी और नमक ही क्यों लाते हो ,मेरी तरह बढ़िया भोजन क्यों नहीं लाते। गरीब लड़का बोला हम लोग गरीब हैं, इसलिए। अमीर बालक बोला तुम मेरे घर आना। हम लोगो के पास पारस पत्थर हैं उससे जिस भी लोहे की चीज को स्पर्श करे वह सोना बन जाती हैं। उससे तुम धनी बन सकते हो। गरीब लड़के को लोहे का कोई भी समान घर में नहीं मिला। सड़क चलते उसे लोहे की एक पुरानी नाल मिली। वह उसी नाल को लेकर अपने मित्र के घर चला गया। जब मित्र ने उस लोहे की नाल को पारस पत्थर से स्पर्श किया तो वह लोहे से सोना नहीं बनी। वह अपने पिता के पास गया और उनसे उसका कारण पूछा। पिता ने कहा की देखो यह पारस लोहे को छू ही नहीं पा रहा हैं। इस लोहे पर गोबर, जंग और मिट्टि लगी हैं। पिता ने नाल को धोकर साफ किया एवं जैसे ही छुआ लोहे की नाल सोने में बदल गई। स्वामी श्रद्धानन्द जी बोले मुझे भी स्वामी दयानंद जैसे पारस के दर्शन का सौभाग्य मिला मगर मैं लोहा ही बना रहा।
इतिहास साक्षी हैं कि कुछ काल में स्वामी श्रद्धानंद आध्यत्मिक उन्नति कर अपने सभी दुर्गुणों, व्यसनों पर विजय प्राप्त कर लोहे से सोना बने। आस्तिकता के प्रत्यक्ष लाभ के दर्शन करने के लिए अपने अंदर के दोषों और दुर्गणों पर विजय प्राप्त करना आवश्यक हैं।
स्वामी श्रद्धानन्द न केवल आस्तिक बने अपितु समाज सुधार, नारी शिक्षा, विधवा विवाह, गुरुकुल शिक्षा प्रणाली, स्वतंत्रता संग्राम , स्वदेशी के प्रचार, हिंदी भाषा के प्रचार, अंधविश्वास उनमूलन, धर्म प्रचार, दलितोद्धार, ब्रह्मचर्य आश्रम के मान आदि क्षेत्रों में योगदान देकर अग्रिम समाज सुधारकों एवं बलिदानियों की श्रेणी में शामिल हुए।
स्वामी श्रद्धानन्द : एक विलक्षण व्यक्तित्व
मूल्य 350 रूपए
#डॉविवेकआर्य