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“धमनी वृक्ष”


जो कुछ भी प्रकृति में ,वही सब कुछ हमारे शरीर में है| इसीलिए” यथा ब्रह्मांडे तथा पिंडे” कहा गया है | मानव शरीर में रक्त की आपूर्ति ,शुद्ध रक्त हृदय से अंगों तक पहुंचाने के लिए दूषित रक्त को अंगों से हृदय तक वापसी के लिए धमनियों शिराओं का 100000 किलोमीटर लंबा अंतरजाल है| जो ठीक वृक्ष की शाखाओं की तरह नजर आता है | इसी लिए मेडिकल साइंटिस्ट एनाटॉमिस्ट इसे आर्टरी ट्री कहते हैं अर्थात धमनी वृक्ष कहते हैं | यह एकदम वृक्ष की शाखाओं जड़ तने की तरह पूरे शरीर में फैला हुआ है…. वृक्ष प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं यह शरीर के भीतर का धमनी वृक्ष भी प्राण वायु ऑक्सीजन के आधार पर चलता है|

इस धमनी वृक्ष में 24 घंटे रक्त दौड़ता है….. 24 घंटे में 1800 गैलन अर्थात 7000 लीटर लगभग रक्त इस धमनी वृक्ष में प्रवाहित होता है |इस धमनी वृक्ष का आधार लाल रक्त कणिकाएं हैं (R.b.c)|जो कि विशेष कोशिकाएं हैं ,जिन की सर्वाधिक संख्या मानव शरीर में पाई जाती है लगभग 25 प्रतिशत…. अर्थात मानव शरीर यदि 100 कोशिकाओं से बना है तो 25 कोशिका उनमें से लाल रक्त कणिकाएं होगी.. लाल रक्त कणिकाएं का मुख्य काम ही शरीर के सभी अंगों उतको को बगैर भेदभाव के समान रूप से प्राणवायु ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई देना होता है…. 120 दिन इनकी उम्र होती है हमारे शरीर में प्रति सेकंड 20 लाख लाल रक्त कणिकाएं नष्ट होती है तथा उतनी ही बनती है… संख्या में अरबों खरबों होती हैं हमारे रक्त में इनकी मात्रा 45 फ़ीसदी होती है…. भगवान ने बड़े ही अनोखे ढंग से इन्हें डिजाइन किया है… हमने और आपने पढ़ा है प्रत्येक कोशिकाओं के बीच में एक केंद्र होता है जिसे न्यूक्लियस कहा जाता है… लेकिन भगवान ने लाल रक्त कणिकाओं में केंद्रक का निर्माण नहीं किया है… ऐसा इसलिए क्योंकि जितना अधिक इन कोशिकाओं के अंदर खाली स्थान रहेगा उतना अधिक यह ऑक्सीजन को अपने अंदर स्टोर करके रखेंगी… यह सीधे ऑक्सीजन को स्टोर नहीं करती उसका भी बड़ा ही सुंदर इंतजाम है…. प्रत्येक लाल रक्त कणिका के अंदर… 2 करोड़ 70 लाख हीमोग्लोबिन जैसी मेटल प्रोटीन के अणु होते हैं… मेटल का जिक्र आया तो सीधा सा अर्थ धातु अर्थात प्रत्येक कनिका के अंदर लोहे अर्थात आयरन से बनी एक प्रोटीन होती है जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं इसी के कारण सभी स्तनधारियों का रक्त लाल होता है… लाल रक्त कनिका के अंदर की करोड़ों हिमोग्लोबिन प्रोटीन में प्रत्येक के साथ 4 ऑक्सीजन के अणु जुड़े रहते हैं…… है ना सचमुच भगवान की अनोखी व्यवस्था शरीर के बाहर हम प्रकृति में देखते हैं लोहे और ऑक्सीजन का कोई मेल नहीं ऑक्सीजन लोहे पर जंग लगा देती है.. लेकिन शरीर के अंदर लोहा और ऑक्सीजन मिलकर हिमोग्लोबिन जैसी प्रोटीन के माध्यम से कितना सुंदर सामंजस्य बनाते हैं |

कितना सुंदर धमनी वृक्ष हमारे अंदर भगवान ने रोपा है |

लेकिन यह अनोखा धमनी वृक्ष भी भगवान के बनाए हुए हरित वृक्षों के आधार पर ही चलता है बाहरी वृक्ष द्वारा बनाई गई ऑक्सीजन के आधार पर ही यह हमारे शरीर का धमनी वृक्ष चलता है…. खुली हवा में प्राणायाम करने व सुबह ताजी हवा में प्रातः भ्रमण से यह धमनी वृक्ष स्वस्थ ऊर्जावान बनता है |हम जीव धारियों का शरीर कितना ही सुंदर व्यवस्थित हैरतअंगेज कितने ही ही प्रोटीन हार्मोन कोशिकाओं का निर्माण क्यों ना करता हो यह ऑक्सीजन नहीं बनाता यह केवल ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है…. इन सभी जीवन उपयोगी सामग्रियों के निर्माण के लिए इसे प्राणवायु ऑक्सीजन पर ही अवलंबित रहना पड़ता है… और इस पृथ्वी पर अभी तक ऑक्सीजन के प्रथम और अंतिम निर्माता निर्देशक केवल और केवल हरे-भरे वृक्ष ही हैं आओ इस सीजन कम से कम प्रति व्यक्ति एक वृक्ष जरूर लगाएं |

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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