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#डॉविवेकआर्य

आधुनिक काल में हिन्दू समाज में विधर्मी हो चुके अनेक हिन्दुओं की शुद्धि अर्थात घर वापसी के प्रमाण मिलते हैं। ऐसा एक एक विस्मृत प्रमाण मराठी इतिहासकार गोविन्द सखाराम सरदेसाई द्वारा रचित मराठी इतिहास पुस्तक “ब्रिटिश रियासत” में मिलता हैं। गोवा में ईसाई मिशनरियों ने संत नामधारी फ्रांसिस ज़ेवियर के निर्देशन में पुर्तगाली राज में हिन्दुओं को ईसाई बनाने के लिए असंख्य अत्याचार किये। अनेकों को जिन्दा जला तक दिया। भयाक्रांत अनेक हिन्दू बलात ईसाई बन गए। पुर्तगाली राज में ही हिन्दु धर्मगुरुओं ने विधर्मी बन चुकें हिन्दुओं की घरवापसी को आरम्भ किया। सरदेसाई जी अपनी में लिखते है ।

“जो हिन्दू भ्रष्ट होकर ईसाई बन गए थे उन्हें अपने स्वधर्म में लेने के अनेक प्रयत्न उस काल के ब्राह्मणों द्वारा किए गए हैं। वे भ्रष्ट लोगों को अपने सनातन धर्म में आने का केवल उपदेश ही नहीं करते थे , वरन जन्माष्ठमी सरीखे बड़े बड़े मेलों के समय उनसे समुद्रस्नान या गंगास्नान कराकर उन्हें शुद्ध किया करते थे। वे लोगों को इस बात का विश्वास करा देते थे कि ऐसे पवित्र अवसर पर गंगास्नान करने से जैसे सब पाप का क्षालन होता है वैसे ईसाई बने रहने से कदापि न होगा। ब्राह्मणों की इन चालों को देखकर पादरी लोग खूब जलते और उनके प्रयत्न रोकने के लिए वे थाना, वसई, बम्बई आदि जगहों में खाड़ियों और समुद्र के किनारों खम्बों पर क्रॉस लगा रखते थे। ऐसी हालात में जहां क्रॉस न लगे हो वहां जाकर ब्राह्मण अपना शुद्धि कार्य किया करते थे। अंत में ईसाईयों से तंग आकर ब्राह्मणों ने वसई के निकट के जंगल में एक तालाब ढूंढ कर वहां छिप छिपकर अपना शुद्धि कार्य करना शुरू कर दिया। परन्तु कुछ दिनों स्थान ईसाईयों को लगा और पुर्तगाली सिपाहियों ने उन ब्राह्मणों पर हमला कर उन्हें भगा दिया, उस समय एक बैरागी जो ईसाई से हिन्दू बना लिया गया था, उनकी फौज के सामने अकेला निडर होकर खड़ा रहा। इससे वे पादरी इतने चिढ़ गए कि उन्होंने उस जगह को नष्ट-भ्रष्ट कर डाला और गायें मारकर उनका मांस और रक्त उस तालाब में आसपास जगह में सींच दिया। इस प्रकार उन्होंने वह स्थान अपवित्र कर दिया। ”

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