——————————————— आजकल मिम के नेता असद्दुदीन ओबैसी बहुत ज़ोर से यह बात स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत में रहने वाले मुसलमान हज़ारों वर्ष से यहाँ रहते आए हैं। इसलिए यह की हर चीज़ पर इनका अधिकार है। मिम के नेता ओवैसी जान बूझ कर एक सफ़ेद झूठ को स्थापित करना चाहते है। हिंदुस्तान सिर्फ़ हिंदुओं का है।
फिर १९४० में लाहौर में मुस्लिम लीग के सम्मेलन में प्रसिद्ध लाहौर प्रस्ताव पास किया गया। जिसमें पश्चिम के अलावा पूर्व में बंगाल को भी जोड़ दिया गया। फिर १९४५ में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली की ३० मुसलमानो के लिए सुरक्षित सीट यह कह कर जीती कि हम काफिर हिंदुओं के साथ नही रह सकते। हमारा इस्लाम धर्म इन काफिरों के साथ रहने की इजाज़त नही देता। फिर १९४६ के १६ अगस्त को ग्रेट कोलकाता किलिंग आरम्भ की। फिर अक्टूबर में नोआख़ालि में हिंदुओं की हत्या का दो महीना करना चलाया। इसके पश्चात जिन्ना के इस स्लोगन का पूरा साथ दिया ” I will destroy India or I will split India.”
पूरे हिंदुस्तान में क़त्ल का कारोबार चलाया तथा पाकिस्तान का निर्माण गांधी की लाश पर ना करके २० लाख हिंदुओं की लाश पर किया। २३ प्रतिशत थे हिंदुस्तान की आबादी के पूरब व पश्चिम में हिंदुस्तान की ३० प्रतिशत जन्में ले गए।
आज के हिंदुस्तान का कोई भी मुस्लमान कह नही सकता कि हमारे बाप दादाजी ने पाकिस्तान निर्माण का विरोध किया था। एकीकृत हिंदुस्तान के ९३ प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान निर्माण के समर्थन में वोट दिया तथा खंडित हिंदुस्तान के १०० प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान के निर्माण के समर्थन में वोट दिया। जिन ७ प्रतिशत मुसलमानो ने पाकिस्तान निर्माण का विरोध किया, वे आज के पाकिस्तान के सिंध,पंजाब व फ्रंटियर प्रॉविन्स के लोग थे। पर कितनी निर्लज्जतापूर्वक बात है यह पाकिस्तानी बने मुसलमान इस्लामिक पाकिस्तान जाने के बाद भी काफिरों के देश में रहते हैं,जो अपने पाकिस्तान नही गए।
लेखक हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है।