प्रस्तुति:- अजय आर्य
- तू हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा… इंसान की औलाद है इंसान बनेगा
असलियत- इस गाने में बड़ी चालाकी से हिंदू धर्म को इस्लाम के साथ खड़ा कर दिया गया है जबकि सच्चाई ये है कि इस्लाम धर्म के लोगों ने ना सिर्फ हिंदुओं बल्कि ईसाई, यहूदियों और पारसियों पर भी भीषण अत्याचार किए हैं । इस तरह देखा जाए तो इस्लाम एक शोषक धर्म है और हिंदू धर्म पीड़ित है । और इस गाने के माध्यम से इस्लाम को सही साबित करने के लिए शोषक को पीड़ित के साथ खड़ा कर दिया गया
- नफरत की लाठी फेंको… ज़िद के आगे मत दौड़ो.., मेरे देश प्रेमियों… आपस में प्रेम करो… देशप्रेमियों
असलियत- असल में इस्लाम धर्म में कुरान की आयतें ही काफिरों यानी ग़ैर मुसलमानों के साथ नफरत फैलाने काम करती हैं । वो पूरी दुनिया को कयामत से पहले इस्लाम के रंग में रंग देना चाहती हैं । इसीलिए जिनके धर्म की नींव में ही नफरत हो जो देश से नहीं बल्कि क़िबले से प्यार करते हैं आखिर उनके साथ दूसरा कोई कैसे रह सकता है ? ऐसे लोगों के खिलाफ ज़िद करके उन्हें दुरुस्त करना ही सच्चा देशप्रेम है
- चाहे गीता बाँचिए… चाहे पढ़िए कुरान ! सब में एक ईश्वर का ज्ञान
असलियत- श्रीमदभगवत गीता की तो कुरान से तुलना करना ही गीता का अपमान है । श्रीमदभगवतगीता तो मोक्ष की शिक्षा देती है जबकि कुरान जन्नत का पता बताती है जहां शराब के चश्मे हैं और हूरे हैं जो काफिरों की हत्या का ईनाम हैं इसलिए बिना गीता और कुरान पढे ही गीता और क़ुरान की तुलना कर देना बहुत बड़ा अन्याय और तथ्यात्मक रूप से एकदम गलत है
- देखो…. ये हिंदू का खून… ये मुसलमान का खून… बताओ कोई फर्क है !
असलियत- ये नाना पाटकर का बहुत प्रसिद्ध डायलॉग है । लेकिन ये सब भावुकता में कहीं गई बातें हैं सच्चाई तो ये है कि खून तो कसाब का और कसाब ने जिन लोगों की हत्या की उनका भी एक ही रंग का था । खून तो कुत्ते और बिल्ली का भी एक ही जैसा होता है तो खून से कुछ पता नहीं चलता है । ये सारा तो मन की स्थिति का खेल है जिसे कुरान के द्वारा ब्रेनवॉश करके बदल दिया जाता है ।