भारत की ध्रुवास्त्र मिसाइल ने बढ़ाई भारत की ताकत
योगेश कुमार गोयल
दुनिया में सबसे आधुनिक टैंक रोधी हथियारों में शामिल इस मिसाइल को सेना और वायुसेना में शामिल किया जाएगा। ध्रुवास्त्र नाम की हेलिना हथियार प्रणाली के एक संस्करण को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल ध्रुव हेलिकॉप्टर के साथ किया जाएगा।
दुश्मन के टैंकों को नेस्तनाबूद करने में सबसे कारगर मानी जाने वाली स्वदेश निर्मित टैंक रोधी मिसाइल हेलिना के नवीनतम संस्करण ‘ध्रुवास्त्र’ का राजस्थान में पोखरण फायरिंग रेंज में भारतीय वायुसेना द्वारा गत दिनों सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल की न्यूनतम और अधिकतम क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए पांच परीक्षण किए गए और स्थिर तथा गतिशील लक्ष्यों पर मिसाइल से निशाना साधा गया, कुछ परीक्षणों में युद्धक हथियारों को भी शामिल किया गया। एक परीक्षण में उड़ते हेलीकॉप्टर से गतिशील लक्ष्य पर निशाना साधा गया। हेलीकॉप्टर ध्रुव से दागी गई देश में ही विकसित ध्रुवास्त्र मिसाइल ने अपने लक्ष्य पर सटीक प्रहार कर उसे नष्ट कर दिया। वायुसेना और डीआरडीओ की टीम पोखरण में तीन दिन से इस मिसाइल के परीक्षण की तैयारियों में जुटी थी। इन सफल परीक्षणों के बाद डीआरडीओ द्वारा भारतीय सेना के लिए ध्रुवास्त्र जैसी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को तैयार किया जाना डीआरडीओ और सेना के लिए बड़ी उपलब्धि इसलिए माना जा रहा है क्योंकि अब ऐसी आधुनिक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों के लिए भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होती जाएगी।
मौजूदा परिस्थितियों में देश को ऐसे हथियारों की जरूरत है, जो सटीक और सस्ते हों और इसके लिए जरूरी है कि देश में ही इन हथियारों का निर्माण हो। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए ही डीआरडीओ स्वदेशी मिसाइलें बना रहा है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक पड़ोसी दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई में क्विक रिस्पांस वाली स्वदेशी मिसाइल ‘ध्रुवास्त्र’ गेमचेंजर साबित हो सकती है। यह मिसाइल न केवल चीन के टैंकों को चंद पलों में ही खाक में मिलाने में सक्षम है बल्कि एलएसी पर चीन के हल्के टैंकों को तो खिलौनों की भांति नेस्तनाबूद कर सकती है। स्वदेशी हेलीकॉप्टर ध्रुव तथा अन्य हल्के हेलीकॉप्टरों में फिट होने के बाद यह मिसाइल दुश्मन के टैंकों के लिए काल बन जाएगी और इस तरह जमीनी लड़ाई का रूख बदलने में अहम भूमिका निभाने के कारण यह भारतीय सेना के लिए बेहद कारगर साबित होगी।
दुनिया में सबसे आधुनिक टैंक रोधी हथियारों में शामिल इस मिसाइल को सेना और वायुसेना में शामिल किया जाएगा। ध्रुवास्त्र नाम की हेलिना हथियार प्रणाली के एक संस्करण को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल ध्रुव हेलिकॉप्टर के साथ किया जाएगा। अपने लक्ष्य को बेहद सटीकता से नष्ट करने के बाद अब इसे बहुत जल्द सेना के हेलिकॉप्टरों में लगाया जा सकेगा, साथ ही इसका उपयोग एचएएल रूद्र तथा एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स में भी होगा। यह मिसाइल दुनिया के किसी भी टैंक को उड़ा सकती है और रणक्षेत्र में आगे बढ़ते दुश्मन के टैंकों को बारी-बारी से ध्वस्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम है। तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ तकनीक पर काम करने वाली देश में ही विकसित इस मिसाइल को ध्रुवास्त्र नाम दिया गया है। नाग पीढ़ी की इस मिसाइल को हेलिकॉप्टर से दागे जाने के कारण इसे हेलिना नाम दिया गया था।
ध्रुवास्त्र को आसमान से सीधे दागकर दुश्मन के बंकर, बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों को पलभर में ही नष्ट किया जा सकता है। यह मिसाइल दुनिया के सबसे आधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है और इसे हेलीकॉप्टर से लांच किया जा सकता है। डीआरडीओ के मुताबिक ध्रुवास्त्र तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ किस्म की टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली है, जिसे आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर पर स्थापित किया गया है। हल्के हेलीकॉप्टर पर स्थापित करने से इसकी मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। स्वदेश निर्मित इस मिसाइल का नाम पहले ‘नाग’ था, जिसे अब ध्रुवास्त्र कर दिया गया है। वास्तव में यह सेना के बेड़े में पहले से शामिल नाग मिसाइल का उन्नत संस्करण है। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के स्वदेश निर्मित अटैक हेलीकॉप्टर ‘ध्रुव’ के साथ किया जाएगा, इसीलिए इसका नाम ‘ध्रुवास्त्र’ रखा गया है। इस मिसाइल से लैस होने के बाद ध्रुव हेलिकॉप्टर ‘ध्रुव मिसाइल अटैक हेलीकॉप्टर’ बन जाएगा। दरअसल सेना की इस नई मिसाइल का मूलमंत्र ही है ‘सिर्फ दागो और भूल जाओ’।
ध्रुवास्त्र मिसाइल पलक झपकते ही दुश्मन के टैंकों के परखच्चे उड़ा सकती है। पूर्ण रूप से स्वदेशी ध्रुवास्त्र मिसाइल 230 मीटर प्रति सैकेंड अर्थात् 828 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है और मिसाइल की यह गति इतनी है कि पलक झपकते ही दुश्मन के भारी से भारी टैंक को बर्बाद कर सकती है। ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिस्टम पर कार्य करने वाली यह मिसाइल भारत की पुरानी मिसाइल ‘नाग हेलीना’ का हेलीकॉप्टर संस्करण है, जिसमें कई नई तकनीकों का समावेश करते हुए इसे आज की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस मिसाइल प्रणाली में डीआरडीओ द्वारा एक से बढ़कर एक आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। मिसाइल में हीट सेंसर, इंफ्रारेड होमिंग इमेजिंग प्रणाली तथा मिलीमीटर वेव एक्टिव रडार लगा हुआ है। हीट सेंसर किसी भी टैंक की गर्मी पकड़ कर अपनी दिशा निर्धारित कर उसे तबाह कर देता है। इंफ्रारेड इमेजिंग का फायदा रात और खराब मौसम में मिलता है।
रक्षा विशेषज्ञ ध्रुवास्त्र की विशेषताओं को देखते हुए इसे ‘भारत के ब्रह्मास्त्र’ की संज्ञा भी दे रहे हैं। भारतीय सेना में इसके शामिल होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इससे न केवल सीमा पर दुश्मन देश की सेना के मुकाबले हमारी सेना की क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी बल्कि मेक इन इंडिया मुहिम के तहत निर्मित ऐसे खतरनाक और अत्याधुनिक हथियारों के बलबूते भारतीय सेना का हौंसला भी काफी बढ़ेगा। 500 मीटर से 7 किलोमीटर के बीच मारक क्षमता वाली यह बेहद शक्तिशाली स्वदेशी मिसाइल दुश्मन के किसी भी टैंक को देखते ही देखते खत्म करने की ताकत रखती है। हालांकि सात किलोमीटर तक की इस क्षमता को ज्यादा बड़ा नहीं माना जाता लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि धीरे-धीरे इस क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा। 230 मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार से लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम इस मिसाइल की लम्बाई 1.9 मीटर, व्यास 0.16 मीटर और वजन 45 किलोग्राम है। इसमें 8 किलोग्राम विस्फोटक लगाकर इसे बेहतरीन मारक मिसाइल बनाया जा सकता है।
ध्रुवास्त्र मिसाइल दोनों तरह से अपने टारगेट पर हमला करने के अलावा टॉप अटैक मोड में भी कार्य करने में सक्षम है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह दुर्गम स्थानों पर भी दुश्मनों के टैंकों के आसानी से परखच्चे उड़ा सकती है। इस टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली में एक तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ के साथ मिसाइल कैरियर व्हीकल भी है। यह टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली हर प्रकार के मौसम में दिन-रात यानी किसी भी समय अपना पराक्रम दिखाने में सक्षम है और न केवल पारम्परिक रक्षा कवच वाले युद्धक टैकों को बल्कि विस्फोटकों से बचाव के लिए कवच वाले टैंकों को भी नेस्तनाबूद कर सकती है।