हिंदू समाज के पतन के कारण
- वैदिक धर्म की मान्यताओं में अविश्वास एवं मत-मतान्तर, भिन्न भिन्न सम्प्रदाय, पंथ, गुरु आदि के नाम से वेद विरुद्ध मत आदि में विश्वास रखना। इस विभाजन से हिन्दू समाज की एकता छिन्न-भिन्न हो गई एवं वह विदेशी हमलावरों का आसानी से शिकार बन गया।
-
वेदों में वर्णित एक ईश्वर को छोड़कर उनके स्थान पर अपने से कल्पित कब्रों, पीरों, भूत-प्रेत, मजारों आदि पर से पटकना। धर्म की हानि से धार्मिक एकता का ह्रास हो गया जिसके चलते विदेशियों के गुलाम बने।
-
वेद विदित सत्य, संयम, सदाचार और धर्म आचरण को छोड़कर पाखंडी गुरुओं के चरण धोने से,निर्मल बाबा के गोलगप्पों से,राधे माँ की चमकीली पोशाकों से मोक्ष होने जैसे अन्धविश्वास को मानना। आध्यात्मिक उन्नति का ह्रास होने से हिन्दू समाज की स्थिति बदतर हो गई।
-
वेद विदित संगठन सूक्त एवं मित्रता की भावना का त्यागकर स्वार्थी हो जाने से। स्वयं के गुण, कर्म और स्वभाव को उच्च बनाने के स्थान पर दूसरे की परनिंदा, आलोचना, विरोध आदि में अपनी शक्ति व्यय करना। हिन्दू समाज में एकता की कमी का यह भी एक बड़ा कारण था.
-
जातिवाद, छुआछूत, अस्पृश्यता जैसे समाज तोड़क विचार को धरना। इसी जातिवाद के कारण लाखों हिन्दू भाई विधर्मी बन गए। हिन्दू समाज की एकता छिन्न-भिन्न हो गई।
-
शुद्धि अर्थात बिछुड़े हुए भाइयों को जो विदेशी आक्रमणकारियों के अत्याचारों के चलते विधर्मी बन गए थे। उन्हें फिर से हिन्दू समाज में सम्मिलित न करने की भावना।इससे हमारी शक्ति धीरे धीरे क्षीण होती गई।
7.सामाजिक एकता की कमी होना। सामाजिक रूप से एकता की कमी के चलते लाखों हिन्दू हमारे से सदा के लिए दूर चले गए।
#डॉविवेकआर्य
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।