अपराधी की कोई जाति, समाज व धर्म नहीं होता है
अपराध की मानसिकता के जनक को मारने की आवश्यकता है |
दिल्ली की निर्भया काण्ड जैसी विभत्स बलात्कार की जितनी भत्सर्ना किया जाय वो न्यून ही है, यद्यपि उसके अपराधियों को अन्ततः प्राणदण्ड मिला |
यद्यपि भारत की न्यायिक प्रणाली में विलम्ब भी बहुत हुआ | मानो भारतीय जनमानस की धैर्य की परीक्षा ले रही हो | अपराधियों के वकिल ने उन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया, परन्तु अपने कलुषित अभियान में असफल हुए |
अपराधियों के परिवार वालों ने भी अपराधियों को बचाने का भरपूर प्रयास किया | वे भूल गये कि ऐसा विभत्स बलात्कार उनके साथ होता तो ….. |
हालांकि, निर्भया का एक अपराधी नाबालिग होने का लाभ उठा लिया, और वह बच गया, जबकि वही सबसे अधिक निर्दयता दिखलाया |
आज एक ऐसी न्याय प्रणाली बनाने की आवश्यकता है, जिससे ऐसे किसी भी अपराधी का बचाव नहीं हो सके | वे दण्ड से बच नहीं सके |
विश्व में, बलात्कार होता ही रहा है, रावण जैसा खल भी सीता का अपहरण तो कर लिया, परन्तु बलात्कार नहीं कर सका | यह सीता का ओज था या रावण की नैतिकता |
रावण से दुःशासन होते हुए आज खल कितना गिर गये है ? कि यदि उनको अवसर मिला तो मां-बहन-बेटी के साथ भी दुष्कर्म कर ले |
उनके लिए स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध मात्र वासना का है |
इस मानसिकता का जनक नीला फिता (ब्लू फिल्म) का जहर भी है, जो समाज को वासनामयी दलदल में आकंठ डुबो देता है |
अतः इस जहर को भी मारने की आवश्यकता है |
वरना नित निर्भया का बलात्कार होता रहेगा | यह जहर इतनी भयानक है कि छोटी-छोटी बच्चियां भी इसका शिकार हो रही है |
आज इस प्रकार की अपराध का समूल नाश करने की भी आवश्यकता है | ऐसे वातावरण का भी निर्माण करने की आवश्यकता है, जिससे आगे कोई बलात्कार का शिकार नहीं हो |इसमें पूरे समाज को सहयोग देने की आवश्यकता है |
….. राजेश बरनवाल |