सोते समय बोलने के मन्त्र🌷*
ओ३म् यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवैति ।
दूरङ्गमं ज्योतिषां ज्योतिरेकं तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/1)
भावार्थ:-जो दिव्य गुणों वाला मन जागते तथा सोते समय दूर-दूर चला जाता है,जो दूर जाने वाला,ज्योतियों का प्रकाशक ज्योति है,वह मेरा मन अच्छे विचारों वाला होवे।
ओ३म् येन कर्माण्यपसो मनीषिणो यज्ञे कृण्वन्ति विदथेषु धीराः ।
यदपूर्वं यक्षमन्तः प्रजानां तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/2)
भावार्थ:-जिस मन के द्वारा मननशील मनुष्य यज्ञ आदि में वैदिक तथा अन्य कर्त्तव्य-कर्म करते हैं तथा युद्धों के अन्दर धीर और गम्भीर नेता लोग विचार-विमर्श करते हैं,जो अपूर्व शक्ति वाला,पूजनीय लोगों के अन्तःकरण में है वह मेरा मन अच्छे सङ्कल्प वाला हो।
ओ३म् यत्प्रजानमुत चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु ।
यस्मान्न ऋते किंचन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/3)
भावार्थ:-जिस मन के अन्दर ज्ञान,शक्ति,चिन्तनशक्ति,धैर्य-शक्ति रहती है,जो मन प्रजाओं में अमृतमय और तेजोमय है,जो इतना शक्तिशाली है कि इसके बिना मनुष्य कोई भी कर्म नहीं कर सकता।सब कर्म इसी की सहायता से किये जाते हैं,वह मेरा मन शुभ सङ्कल्प वाला हो।
ओ३म् येनेदं भूतं भुवनं भविष्यत्परिगृहीतममृतेन सर्वम् ।
येन यज्ञस्तायते सप्त होता तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/4)
भावार्थ:-भूत,भविष्य और वर्तमान काल जो कुछ होता है,वह इसी मन द्वारा ग्रहण किया जाता है।पांच ज्ञानेन्द्रियों और अहङ्कार तथा बुद्धि द्वारा जो जीवन यज्ञ चल रहा है,उसका तथा मन,बुद्धि और कार्यकारी इन्द्रियों का जो अधिष्ठाता है,वह मेरा मन शुभ सङ्कल्प वाला बने और कदापि अशुभ सङ्कल्प न करे।
ओ३म् यस्मिन्नृचः साम यजूंषि यस्मिन् प्रतिष्ठिता रथनाभाविवाराः ।
यस्मिँश्चित्तं सर्वमोतं प्रजानां तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/5)
भावार्थ:-जिस मन में सम्पूर्ण वेद और सब शास्त्र तथा ज्ञान ओतप्रोत रहता है,जिस मन की शक्ति ऐसी है कि जिसमें यह सब ज्ञान रह सके,सब बुद्धिमान् लोग इसी से मनन करते हैं,वह शक्तिशाली मेरा मन सदा शुभ विचारों से युक्त हो।
ओ३म् सुषारथिरश्वानिव यन्मनुष्यान्नेनीयतेऽभीशुभिर्वाजिन इव ।
ह्रत्प्रतिष्ठं यदजिरं जविष्ठं तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/6)
भावार्थ:-जैसे अच्छा सारथी घोड़ों को लगाम लगाकर नियम में रखता है,उसी प्रकार वश में किया हुआ मन मनुष्यों को अभीष्ट स्थान पर ले जाता है।जो मन ह्रदयस्थ है,जो कभी बूढ़ा नहीं होता,जो सबसे तीव्र गति वाला है,वह मेरा मन अच्छे संकल्प वाला हो।
प्रेषक #डॉविवेकआर्य