द्वारिका सिंह आर्य की शोक सभा हुई संपन्न
बलिया। ( विशेष संवाददाता ) आर्य जगत् के सुप्रसिद्ध युवा वैदिक विद्वान् एवं आर्य प्रतिनिधि सभा बलिया के प्रधान आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक के पिता श्री द्वारिका सिंह आर्य का आकस्मिक निधन 4 फरवरी 2021 दिन गुरुवार को दोपहर 1:00 हो गया था।
श्री द्वारिका सिंह वेद प्रचार सेवा समिति और आर्य समाज सहतवार के सक्रिय कार्यकर्ता तथा निष्ठावान् ऋषि भक्त थे। जिन्होंने अपने क्षेत्र में सर्वप्रथम अपने ही पुत्र को गुरुकुल में पढ़ा कर वैदिक धर्म के लिए समर्पित किया था तथा पाखंड आडंबर एवं अंधविश्वास मुक्त समाज के निर्माण के लिए सदा प्रयासरत रहे। उनके इस प्रकार के प्रयासों का ही परिणाम था कि उन्होंने अपने पुत्र आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक का विवाह संस्कार दहेज रहित जाति बंधन से मुक्त तथा डीजे बैंड वा नाच गानें दारू बाजी आदि से मुक्त पूर्ण सात्विक वैदिक मर्यादाओं से युक्त वातावरण में कन्या गुरुकुल शिवगंज राजस्थान की स्नातिका आचार्या सुनीति आर्या के साथ संपन्न करवाया था।
विवाह के कुछ ही दिन बाद उनका अचानक निधन होना आर्य समाज की अपूरणीय क्षति है। उनका अंतिम संस्कार पूर्ण वैदिक विधिविधान से उनकी अपनी कृषि भूमि में अंत्येष्टि वेदी बनाकर संपन्न कराया गया । शोक संतप्त परिवार की शांति के लिए त्रि दिवसीय शांति यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें अस्थि चयन तीसरे दिन हुआ और अस्थियों को उन्हीं की कृषि भूमि में गाड़ कर उसके ऊपर बट और पीपल का पौधा लगाया गया।
स्वर्गीय द्वारिका सिंह की श्रद्धांजलि सभा 17 तारीख को दोपहर 12:00 बजे से आयोजित की गई जिसमें ऋग्वेद पारायण यज्ञ जो उनके निधन उपरांत आरंभ किया गया था उसकी पूर्णाहुति की गई और उनके जीवन के व्यक्तित्व एवं कार्यों पर उपस्थित विद्वानों ने भजन एवं उपदेश के माध्यम से प्रकाश डाला।
बिहार राज आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री डॉ व्यास नंदन शास्त्री के ब्रह्मत्व में ऋग्वेद पारायण यज्ञ की पूर्णाहुति एवं रस्म पगड़ी करायी गई। आर्य जगत की सुप्रसिद्ध भजनोंपदेशिका बहन नयन श्री प्रज्ञा ने भजन उपदेश के माध्यम से उनके व्यक्तित्व एवं संघर्ष के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किये। आर्य प्रतिनिधि सभा बलिया के मंत्री श्री कमल सिंह आर्य ने श्रद्धांजलि सभा का नेतृत्व किया। बलिया जिला की इकाई आर्य समाजों के पदाधिकारियों की भी बृहद रूप में उपस्थिति रही। जिसमें सभी ने अपने श्रद्धा सुमन दिवंगत आत्मा के लिए प्रस्तुत किये। अंत में ज्ञान प्रकाश वैदिक ने आगंतुकों का कृतज्ञता प्रस्तुत करते हुए दिवंगत अपने पिता को स्वरचित भजनो के माध्यम से व कुछ शायरी की पंक्तियों के माध्यम से उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि वह पिता के दिए शुभ संस्कारों का प्रचार प्रसार करने में अपना जीवन समर्पित कर देंगे। क्योंकि उनके पूज्य पिता की अंतिम इच्छा यही थी कि ऋषि दयानंद के मत का प्रचार प्रसार हो, जिससे वैदिक संस्कृति के प्रति लोगों में लगाओ का भाव पैदा हो। अंत में आचार्य अरुण प्रसाद आर्य ने उनके जीवन के पहलुओं पर विचार प्रस्तुत किया तथा उनके कार्यों को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किये। तदोपरांत शांति पाठ कर कार्यक्रम को समाप्त किया गया।