क्या है भारत के संविधान का आर्टिकल 14 ?

प्रस्तुति श्रीनिवास आर्य (एडवोकेट)

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों यानी गैर-मुसलमानों को हिंदुस्तान की नागरिकता देने वाला विधेयक लोकसभा-राज्यसभा से पास होने के बाद अब कानून की शक्ल ले चुका है।
नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 का सड़क से संसद तक विरोध हो रहा है।सीएए का विरोध करने वाले लोग बार-बार संविधान के आर्टिकल 14 का हवाला देते हैं।भारत के संविधान का आर्टिकल 14 वास्तव में सबको बराबरी का दर्जा देता है।

आइये जानते हैं क्या है आर्टिकल 14?
भारत के संविधान के आर्टिकल 14 के मुताबिक राज्य किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या भारत के क्षेत्र के भीतर कानूनों के समान संरक्षण से इनकार नहीं करेगा।

नागरिकता संशोधन कानून 2019 को इसी वजह से लोग भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 का सीधा उल्लंघन बता रहे हैं।
आर्टिकल-14 : समानता का अधिकार
भारत के संविधान में यह कहा गया है कि राज्य, भारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 के हिसाब से इसका मतलब यह है कि सरकार भारत में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करेगी।
भारतीय संविधान के भाग-3 में मौजूद समता का अधिकार में आर्टिकल 14 के साथ ही अनुच्छेद-15 जुड़ा है. इसमें कहा गया है, “राज्य किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा।”
विपक्ष का यही कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 धर्म के आधार पर लाया गया है. इसमें एक खास धर्म के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो आर्टिकल 14 का उल्लंघन है, हालांकि केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (2019) तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देगा, न कि भारत में किसी की नागरिकता छीनेगा.
अमित शाह ने कहा है, “नए कानून का मतलब यह नहीं है कि सभी शरणार्थियों या अवैध प्रवासियों को अपने आप ही भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। उन्हें भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदन करना होगा जिसे सक्षम प्राधिकरण देखेगा। संबंधित आवेदक को जरूरी मानदंड पूरे होने के बाद ही भारतीय नागरिकता दी जाएगी।”

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