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आज का चिंतन-01/01/2014

अभिनंदन 2014 …

आओ शुरू करें नए संकल्पों का सफर

– डॉ. दीपक आचार्य

9413306077

dr.deepakaacharya@gmail.com

युगों से पुराने वर्ष को विदाई और नए वर्ष के स्वागत-अभिनंदन की परंपरा चल रही है। दुनिया भर में लोग उस दिन के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं जब नया वर्ष शुरू होता है। नव वर्ष हमारी जिन्दगी और परिवेश में आने वाले तमाम सामाजिक एवं सामुदायिक पर्व-त्योहार और उत्सवों की अपेक्षा कहीं ज्यादा व्यापक, सम्पूर्ण और सार्वजनीन होता है।

इस दिन से सभी का सरोकार रहता है चाहे वह बच्चों से लेकर बुजुर्ग हों अथवा दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला कोई भी। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया अपने-अपने तरीकों और देशज परंपराओं के साथ आनंद और उल्लास में डूबी रहती है।

नव वर्ष और किन्हीं पर्व-त्योहारों की तरह दो-चार दिन तक सिमटने वाला नहीं है बल्कि नव वर्ष का संबंध हरेक व्यक्ति की जिन्दगी के आने वाले 365 दिनों से होता है। यह दिन उमंगों के क्षणिक उछाह की अभिव्यक्ति मात्र का नहीं है बल्कि यह वह दिन है जब हम अपने पुराने खट्टे-मीठे अनुभवों का सार ग्रहण कर पुराने आभामण्डल को त्याग कर नवीन वर्ष के ताजगी पूर्ण आभामण्डल को अंगीकार कर एक कदम उस दिशा में आगे बढ़ाते हैं जहाँ पुरानी बातें या छूटी रह गई बातों को छोड़कर नवोन्मेषी व्यक्तित्व स्वीकारते हैं।

मन-बुद्धि और शरीर का एक-दूसरे से प्रगाढ़ और अविच्छिन्न संबंध हुआ करता है ऎसे में सशरीर नए वर्ष में प्रवेश करते हुए मानसिक धरातल का भी नवीन सोच-विचार से भरा होना जरूरी होता है अन्यथा सिर्फ शरीर के एक दिन आगे बढ़ जाने मात्र से हमारी यात्रा को सफल नहीं बनाया जा सकता है।

पुराने वर्ष को विदाई और नए वर्ष के स्वागत का यह समय वह महत्त्वपूर्ण संक्रमण काल है जब हम मन के विकारों, आत्महीनता और कटु अनुभवों को एक झटके में उतार फेंकते हुए उस नए वर्ष में प्रवेश करते हैं जहां हम एक शिशु की तरह निर्मल और स्वच्छ मन के साथ अपने कदम आगे बढ़ाते हैं।

यों भी जब हम आगे की यात्रा शुरू करते हैं तब डग पर डग बढ़ाते हुए बहुत कुछ ऎसा होता है जो पीछे छूट जाता है अथवा छोड़ना पड़ता है। इस सत्य को हमें अच्छी तरह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि जहाँ ताजगी, स्वच्छता, निर्मलता और शुचिता होती है वहीं हमें सच्चे आत्म आनंद और आत्मतोष की प्राप्ति होने के साथ ही असीमित विकास की अनंत संभावनाओं भरा कैनवास प्राप्त हो सकता है। यह हम पर है कि हम नए वर्ष में प्रवेश करते हुए अपने आपको कितना खाली कर डग बढ़ा पाते हैं।

नवीन वर्ष का सीधा सा अर्थ यही है कि जो कुछ हुआ, कर पाए अथवा सायास-अनायास हो गया, उसमें संतोष रखें और पूरी उच्चाकांक्षा और स्वाभिमान के साथ अपने अनुभवों से सीख लेते हुए अपने व्यक्तित्व विकास और समाज को कुछ दे पाने की भावना से संकल्प लें और इन्हें पूरे वर्ष भर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ पूर्णता की ओर ले जाएं ताकि आने वाले वर्ष में प्रवेश करने से पहले हमारा पुराना वर्ष उपलब्धियों का प्रमाण पत्र देता हुआ लगे।

नवीन वर्ष आरंभ होने से पूर्व पुराने वर्ष के अंतिम दिन का समय हमारे लिए आत्मावलोकन का होना चाहिए ताकि आत्मचिंतन से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर हम आने वाले समय के लक्ष्य को जानकर इनसे जुड़े संकल्प ले सकें।

मन के सूक्ष्म धरातल पर नवीन समय में प्रवेश करने का पूर्ण आभास कर लेने मात्र से नव वर्ष के उल्लास को बहुगुणित किया जा सकता है। पुराना साल जाता है और नया साल आता है। यह वर्ष परिवर्तन हमारी जिन्दगी में बदलाव की भूमिका रचने में अहम् भूमिका अदा करता है और नए संकल्पों के साथ नए-नए कामों को अपनाने के लिए मजबूत भावभूमि एवं अवसर तैयार करता है। यह परिवेशीय परिवर्तन और नवीन, ताजगी भरे माहौल का सुकून हर व्यक्ति को कुछ न कुछ नया करने और जीवन लक्ष्यों की ओर डग बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

यह हम पर निर्भर है कि हम नए वर्ष में किस प्रकार के संकल्प लेने का मानस बनाते हैं। नव वर्ष मनाने की सार्थकता तभी है जब हम अपने जीवन में नयापन लाने और समाज तथा देश के लिए कुछ कर गुजरने का संकल्प लें। वरना उत्सवी उल्लास पाने के लिए तो साल भर आने वाले हमारे पर्व-त्योहार कहाँ कम हैं?

नव वर्ष की सभी को हार्दिक मंगलकामनाएँ

….. अभिनंदन 2014….New-Year-2014-Cheers-Wallpapers-18

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