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इतिहास के पन्नों से

क्या आर्य विदेशी थे ?

कार्तिक अय्यर

(तमिल नाडु के अभिनेता कमल हासन ने अपनी विघटनकारी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए बयान दिया हैं कि द्रविड़ संस्कृति के तले दक्षिण भारतीयों को एक हो जाना चाहिए। ये लोग सम्पूर्ण भारतवर्ष को एक महान राष्ट्र बताने के स्थान पर केवल तोड़ने की बात करते हैं। आर्यों के विदेशी होने की कल्पना को अनेक बुद्धिजीवियों ने केवल एक अंग्रेजों की सोची समझी कल्पना बताया था। स्वामी दयानन्द ने आधुनिक भारत में सबसे पहले यह उद्घोष किया था कि आर्य विदेशी नहीं थे और किसी भी इतिहास अथवा धर्मशास्त्र मैंने ऐसा लीखा हैं। आधुनिक चिंतकों में डॉ अम्बेडकर आर्यों को विदेशी नहीं मानते थे। विद्वान लेखक कार्तिक अय्यर का शोधपूर्वक लेख आर्यों को विदेशी कहने वालों के भ्रम को दूर करने वाला हैं। – डॉ विवेक आर्य)

मूलनिवासी अकसर आर्यों को विदेशी कहने पर तुले रहते हैं। परंतु वे कभी डॉ अंबेडकर जी को पढ़ते तक नहीं हैं। डॉ अंबेडकर ने माना है कि आर्य कोई विदेशी जाति नहीं,वरन् आर्य भारत के मूलनिवासी थे। हम कुछ प्रमाण रखते हैं जिससे सिद्ध होगा कि डॉ अंबेडकर आर्यों को विदेशी नहीं मानते थे।
देखिये, पहला प्रमाण अंबेडकर संपूर्ण वांग्मय खंड 7 पेज नं 321:-
” यह सोचना गलत है कि आर्य आक्रमणकारियों ने शूद्रों पर विजय प्राप्त की।पहली बात तो ये है कि इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता कि आर्य भारत के बाहर से आये और उन्होंने यहां के मूलनिवासियों पर आक्रमण किया था।इस बात की पुष्टि के कई प्रमाण है कि आर्य भारत के मूलनिवासी थे।”
फिर आगे पेज नं 322 पर लिखते हैं:-
“शूद्र को आर्य स्वीकार किया था और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी उनको आर्य कहा गया है।
शूद्र आर्यों के अभिन्न,जन्मजात और सम्मानित सदस्य थे।”
लीजिये। अब शूद्रों को भी आर्य कह दिया!
प्रमाण चित्र में संलग्न है।
दूसरा प्रमाण है “शूद्र कौन थे” पेज नंबर 52 पुस्तक से।
“जहां तक आर्य जाति के बाहर से आने और यहां के मूलनिवासियों को जीतने का संबंध है,ऋग्वेद में ऐसा कोई भी प्रसंग नहीं है जो इसकी पुष्टि करता हो।वैदिक साहित्य इस मत के विपरीत है कि आर्य विदेश से आये।”
“ऋग्वेद में आर्य तथा दास और दस्युओं के युद्ध के विषय में कोई विशेष कथा नहीं मिलती।”
एक अंतिम प्रमाण “शूद्रों की खोज” पुस्तक से देते हैं ।
१:- शूद्र आर्यजाति के सूर्यवंशी थे।
२:- भारतीय आर्यों में शूद्र क्षत्रिय वर्ण के थे।
३:-……. शूद्र क्षत्रिय वर्ण के थे।
इत्यादि ।
परिणाम:-अंबेडकर के अनुसार:-
१:- आर्य विदेशी नहीं थे न उन्होंने भारत के मूलनिवासियों पर आक्रमण किया।
२:- आर्य भारत के मूलनिवासी हैं,उनके भारतीय होने के प्रमाण ऋग्वेद में मिलते हैं।
३:- शूद्र भी आर्य जाति के अभिन्न अंग थे।वे क्षत्रिय वर्ण के ही थे।
पाठकगण! हमने डॉ अंबेडकर साहब की पुस्तकों से सिद्ध कर दिया के वे न तो आर्यों को विदेशी मानते थे न ही आक्रमण कारी मानते थे। डॉ अम्बेडकर को अपना मार्गदर्शक बताने वाले अम्बेडकरवादी उनकी इस मान्यता को जानकर नहीं मानते। क्यूंकि इससे उनका षड़यंत्र असफल हो जायेगा। ये लोग अपने दादागुरु की पुस्तकें पढ़े बिना उनके विपरीत ही झूठी कल्पना करते रहते हैं। आर्यों को विदेशी कहना डॉ अंबेडकर की मान्यता का गला घोंटने के समान है।
इसलिये मूलनिवासियों को कोई हक नहीं है कि आर्यों को विदेशी बतावें।
संदर्भग्रंथ एवं पुस्तकें:-
१:- अंबेडकर सम्पूर्ण वांग्मय खंड 7
२:- शूद्र कौन थे
३:- शूद्रों की खोज — सबके लेखक डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर हैं।

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