रोशनी का पैगाम देता है
आज का सूरज
– डॉ. दीपक आचार्य
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आज का सूरज सभी धरतीवासियों को नई रोशनी का परिचय देता है। अंधेरों से घिरे जो लोग साल भर सूरज से लुकाछिपी करते रहते हैं वे भी छतों पर किसी न किसी बहाने आकर सूरज को अपनी पावन और शुभ्र जिस्म पर रश्मिपात का मौका देते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए सूरज को देखने अथवा अपने आपको सूरज को दिखाने का है यह आज का दिन।
आजकल इंसान के दिल और दिमाग में अंधेरों का प्रभाव कुछ ज्यादा ही हो चला है। खूब सारे लोग हमारे आस-पास भी हैं, अपने इलाके में भी हैं और दूरदराज से लेकर दुनिया के कोने-कोने तक भी। ये लोग सूरज की निगाह से बचने के लिए हरसंभव जतन करते हुए अपने आपको धन्य बना बैठे हैं।
दिन का कितना ही उजाला हो, हम सूरज को परदों की ओट में रखकर बिजली की रोशनी में अपने आपको खूब सुन्दर और आकर्षक देखने और दिखाने लगे हैं। ताजी हवाओं और सूरज की रोशनी से सायास दूर रहने के लिए हमने खूब सारे जतन कर रखे हैं। फिर सूरज चाहे जितने जतन कर ले, उसकी निगाह हम नहीं पड़ने वाली।
कई सारे लोग नक्सलियों या आतंकवादियों की तरह मुँह से लेकर पूरे जिस्म को इतना बाँधकर गठरी की शक्ल में बाहर निकलते हैं जैसे कि सूरज उन्हें देख कर शर्मा ही जाएगा। अंधकार में रहने की आदत के शिकार वे लोग होते हैं जिनके मन-मस्तिष्क में कहीं न कहीं किसी प्रकार की नकारात्मकता और आपराधिकता हावी होती है।
भीषण शीत के दौर से बंद कमरों और दीवारों के बीच रहने के अभ्यस्त, शिथिलता से दो-चार होते रहने वाले लोगों के लिए मकर का सूर्य ताजगी और उष्णता के साथ जीवन में प्रकाश लाने के लिए उत्प्रेरक की भूमिका अदा करता है। मकर संक्रांति से शुरू हो रहा उत्तरायण हमारे लिए शुभ्र कर्मों
को उत्तरोत्तर गति प्रदान करने की दिशा में संकल्प लेकर कार्य करने की प्रेरणा देता है।
इस दिन पतंगोत्सव भी यह पैगाम देता है कि इस बहाने ही सही मकर के सूर्य का सान्निध्य प्राप्त कर जीवन निर्माण को नई राह प्रदान करें। हम सभी लोग जो अब तक कुछ नहीं कर पाए हैं उनके लिए आज का सूरज वह अवसर लेकर आया है जब हम कुछ नया करने का संकल्प ले सकते हैं।
सूर्य ओज व तेज का देवता है। इस तेज या अग्नि तत्व के बगैर शरीर में कई सारे बैक्टीरिया पनप जाते हैं जो शरीर के ओजस्वी स्वरूप को हीन कर देते हैं और कई सारे घातक सूक्ष्म जीवाणु हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जो लोग सूरज के दूर रहने की आदत पाले बैठे हैं और सूरज की निगाह से बचने के जतन करते रहे हैं उन सभी लोगों को गौरे होने का भ्रम तो हो सकता है लेकिन सूरज की रश्मियों से दूर रहने से उनमें विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, रेडियेशन और नकारात्मक आभाओं का असर व्याप्त होने लगता है जिससे लोग असाध्य बीमारियों, एलर्जी, अंधेपन आदि से ग्रस्त हो सकते हैं।
सौंदर्य के पीछे पागल होते जा रहे लोग विटामिन – डी से अपने आपको वंचित करने लगे हैं और इसका खामियाजा ये जिन्दगी भर अप्रत्यक्ष रूप से भुगतते रहते हैं। हमारी आधी से ऊपर बीमारियों का कारण ही यह है कि हम सूरज की आरोग्यदायी किरणों से दूर भागते हैं। इससे हमारे शरीर को तेज और ओज का पुनर्भरण नहीं हो पाता। फलस्वरूप हम जाने कितनी बीमारियों को अपनी बेवकूफियों से आदर सहित आमंत्रित करते रहते हैं।
इन स्थितियों में हमारे जीवन के सभी पक्षों में नकारात्मकता छाने लगती है और हमारी मानसिकताही ऎसी हो जाती है कि हम कूप मण्डूप की तरह जीने लगते हैं। हम चाहते हैं हम किसी न किसी खोल या खोखर में दुबके रहें और बाहरी दुनिया के सिर्फ वे ही लोग हमारी तरफ देख सकें जिन्हें हम देखना चाहते हैं।
मकर का सूर्य हमें परोक्ष-अपरोक्ष रूप से अपने सामने बुलाकर यह भी संदेश दे रहा लगता है कि अब भी समय है, अंधकार के आभामण्डल से बाहर निकल कर खुली हवा में साँस लेते हुए सूरज की निगाह पाकर ओजस्वी बनें और अपने आपको सम सामयिक अंधकार से उबार कर जमाने भर के लिए रोशनी का आवाहन करें।
आज का यह सूरज खासकर अभिजात्य वर्ग के लोगों के लिए सीख लेकर आया है कि अपराध छिपाने वाली काली फिल्म चढ़े शीशों वाले एसी वाहनों और एसी रूम्स से बाहर निकल कर कभी सूरज की किरणें भी अपने ऊपर गिरने दें, अपने अंधकार को भीतर से बाहर निकलने का मौका दें ताकि हम अपनी तमाम हीन भावनाओं, काले करमों और नकारात्मक मानसिकता से मुक्त होकर सूरज की निगाह में आएं और रोशनी का अहसास खुद भी करें, औरों को भी रौशन करते हुए जीवन को सार्थक करें।
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