उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार एवं शक्तियां
(1) प्रारंभिक अधिकार-इसके अंतर्गत निम्नलिखित विषय आते हैं-
(ए) भारत सरकार तथा एक या अन्य राज्यों के बीच विवाद।
(बी) दो या अधिक राज्यों के बीच विवाद।
(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार-इसमें तीन प्रकार की अपीलें की जा सकती हैं-
(ए) संवैधानिक,
(बी) दीवानी
(सी) फौजदारी से संबंधित
(3) परामर्शदात्री अधिकार-उच्चतम न्यायालय राष्ट्रपति को परामर्श दे सकताा है, परंतु इसको मानना या न मानना राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर है।
(4) मौलिक अधिकारों का संरक्षण-उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण परमादेश प्रतिषेध अधिकारपृच्छा तथा उत्प्रेषण के लिए लेख जारी कर सकता है।
भारत का महान्यायवादी-भारतीय न्याय व्यवस्था में राष्ट्रपति और संघीय सरकार को कानूनी परामर्श देने वाला अधिकारी महान्यायवादी होता है। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करताा है तथा कभी भी उसे पदच्युत कर सकता है।
भारत का नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक-भारत सरकार के लेखों को उचित प्रकार से निर्मित होने तथा आय व्यय का हिसाब रखने वाला अधिकारी भारत का नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक कहलाता है।
निर्वाचक आयोग-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद तथा विधान मण्डलों का चुनाव जो आयोग कराता है उसे निर्वाचन आयोग कहते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त व अन्य आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
संघ लोक सेवा आयोग-केन्द्रीय सरकार के पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए तथा उनकी सेवाओं संबंधी नियम बनाने के लिए लोक सेवा आयोग बनाया गया। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष है। इसके सदस्यों तथा अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। यह 65 वर्ष तक की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।