जब 26 नवंबर 1947 को हुआ था भारत का पहला बजट पेश

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साल 2021 का पहला आम बजट पेश हो गया। इस बजट से देश को बड़ी उम्मीद रहीं क्योंकि देश कोरोना महामारी का सामना करते हुए एक बार फिर तेज दौड़ लगाने की तैयारी में है। आजादी के बाद यह पहला मौका बताया जा रहा है जब हर शख्स दबाव में है। वैसे देश का पहला बजट भी कम चुनौती पूर्ण नहीं था। तब लाखों लोग भारत-पाकिस्तान बंटवारे के कारण विस्थापित भी हुए हैं। उनके सामने तो दो जून की रोटी का भी संकट है। इसी विचार को केंद्र में रखते हुए तत्कालीन सरकार ने अपने पहले बजट में कोई टैक्स नहीं लगाया। इस विचार को पूरी ताकत से सरकार के बीच रखने और कोई टैक्स न लगाने में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की भी अहम भूमिका रही थी। बजट को लेकर ये भाव रहता है कि सरकार कोई न कोई टैक्स जरूर लगाएगी, ताकि विकास के लिए धन जुटाया जा सके। मगर देश की पहली सरकार ने तमाम आर्थिक जरूरतों के बावजूद बजट में कोई टैक्स प्रस्तावित नहीं किया था।

तब प्रधानमंत्री थे पंडित जवाहरलाल नेहरू और वित्त मंत्री थे आरके शनमुखम चेट्टी। वो वक्त देश के लिए बहुत बुरा था। तब अंग्रेज लूटखसोट करके गए ही थे और पाकिस्तान जैसा बड़ा भूभाग भी भारत से अलग हो गया था।

ऐसे में तय माना जा रहा था कि सरकार देशवासियों पर टैक्स लगाकर पैसा वसूलेगी और उससे तमाम जरूरी विकास कार्य होंगे। इसी ऊहापोह में आखिरकार वह दिन भी आ पहुंचा, जब आजाद भारत का पहला बजट पेश किया जाना था।

वह दिन था 26 नवंबर 1947। तय दिन, तय समय पर सरकार ने बजट पेश किया। मगर जनता पर एक भी टैक्स नहीं लगाया। इससे अर्थशास्त्री, सरकार में शामिल अन्य मंत्री और जनता चौंक गए।

तत्कालीन सरकार संवेदनशील थी और वह जानती थी कि अंग्रेजों के जाने के बाद भारत के लोग भी गरीब और मजबूर हो गए हैं। किसान, व्यापारी, नौकरीपेशा से लेकर अन्य पेशों में लगे लोगों के पास स्वयं का जीवन चलाने के लिए भी न्यूनतम पैसा ही होता है।

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