उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री योगेन्द्र नारायण से 1998 में मेरे द्वारा यह जानने की अपेक्षा की गई थी कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार गौतमबुद्धनगर में सिकंदराबाद को भी मिलाकर एक औद्योगिक जनपद का स्वरूप देने जा रही है? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी कोई योजना फिलहाल नहीं है।उन बातों को 22 बरस हुए। अब एक नये नोएडा के साथ संपूर्ण गौतमबुद्धनगर एक औद्योगिक जिले का रूप अख्तियार करेगा। आधुनिक भारत में कल कारखानों की स्थापना को ही विकास का मानक माना जाता है तो इस प्रकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के इस सबसे करीबी जनपद का विकास होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। परंतु नये नोएडा के लगभग अस्सी गांवों के भूमंडल में उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा स्थापित (विकसित नहीं) वह औद्योगिक क्षेत्र भी आयेगा जो दशकों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। क्या नया नोएडा उसके आंसुओं को पोंछने की जिम्मेदारी भी लेगा? ग्रेटर नोएडा के बीच यूपीसीडा के औद्योगिक व आवासीय सेक्टरों का हाल तो वैसा ही है। वैसे एक सवाल और!नया नोएडा क्या पुराने नोएडा का पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) जैसा क्षेत्र होगा?नये और पुराने नोएडा के बीच ग्रेटर नोएडा है और रहेगा। इस टापू व्यवस्था का भविष्य यूपीसीडा जैसा हो सकता है।