भारत में नौकरशाही और उसके कार्यों की पारदर्शिता

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समाचार पढ़ा कि कोई सौ रिटायर्ड नौकरशाहों ने एक पत्र लिख कर प्रधान मंत्री से कहा है कि पीएम केयर्स फण्ड में पारदर्शिता नहीं है. उनका चिंता सही हो सकती है, गलत भी हो सकती है. मेरे लिए इस पर कोई टिपण्णी करना कठिन है क्योंकि मुझे इस की कोई जानकारी नहीं है. पर मैं किसी और मुद्दे पर आप सब का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ.


जब एक नौकरशाह, चाहे वह रिटायर्ड ही क्यों न हो, पादर्शिता की बात करता है तो उसकी बात आश्चर्यजनक तो लगती है, हास्यास्पद भी लगती है. अगर सरकार की पूरी व्यवस्था अपारदर्शी है तो इसे अपारदर्शी किस ने बनाया? इसका उत्तर यह महानुभाव देने की कृपा करेंगे?
अंग्रेजों ने जो व्यवस्था बनाई थी उसका अपारदर्शी होना अनिवार्य था क्योंकि वह इस देश पर राज करने आये थे और इस देश के संसाधनों का अपने देश और अपने लोगों की उन्नति के लिए भरपूर दोहन करना चाहते थे. वह इसी मकसद से हज़ारों मील दूर यहाँ आये थे. पर जो व्यवस्था वह लोग छोड़ गये थे उसमें इन महान रिटायर्ड नौकरशाहों ने और उनके पूर्वजों ने, जो स्वतंत्रता के समय और बाद में नौकरशाह थे, विरासत में मिली व्यवस्था में सुधार लाने के क्या प्रयास किये थे? इस प्रश्न का उत्तर यह सौ लोग भी जानते है.
देश का हर व्यक्ति, चाहे वह स्वयं भी किसी न किसी स्तर पर नौकरशाह है या था, भलीभांति जानता है कि हमारी व्यवस्था बहुत जटिल और अपारदर्शी है. भारत का हर आम नागरिक, जिसे कभी सरकारी अधिकारियों से थोड़ा सा भी काम पड़ा है, इस व्यवस्था की जटिलता और अपारदर्शिता का शिकार हुआ है.
इस जटिलता और अपारदर्शिता के बनाए रखने के मुख्यता दो उदेश्य हैं और रहेंगे. एक अपने पद और अपने अधिकार का अनुचित लाभ उठाना. दो, उत्तरदाय्तिव से बचना.
और आम नागरिकों को यह भी समझना होगा कि सिस्टम को जटिल और अपारदर्शी बनाने के तरीके राजनेताओं को यही नौकरशाह बताते हैं. किसी राजनेता को सिस्टम की समझ नहीं होती और न ही समझने की इच्छा होती है. श्री जगजीवन राम जैसे कुशल और कुशाग्र राजनेता भी हुए है पर वह विरले ही होते है. अधिकाँश राजनेता भी नौकरशाहों समान अपने अधिकारों का अनुचित लाभ उठाना चाहते है. पर उन्हें रास्ते तो नौकरशाह ही दिखाते हैं. इन पत्र लिखने वालों में से एक महानुभाव यूपीए के समय एनएसी के सदस्य भी थे. वह बताने की कृपा करेंगे की एनएसी, जो एक सुपर-कैबिनेट के समान थी, कितनी पारदर्शिता से काम करती थी?
नौकरशाह कोई भी हो, किसी भी काल का हो, किसी भी सरकार के अधीन काम करता हो, पादर्शिता से काम कर ही नहीं सकता. यह बात लगभग सब देशों के लिए सत्य है. इसलिए इन सौ लोगों की चिंता हास्यास्पद और आश्चर्यजनक लगती है।
( साभार)

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