एनसीईआरटी बिना किसी सबूत के पढ़ा रही है कुतुब मीनार किसने बनवाया?
क़ुतुब मीनार को लेकर दायर की गई RTI का NCERT ने दिया जवाब
क़ुतुब मीनार परिसर के भीतर प्राचीन काल में कई मंदिरों के अस्तित्व की बात कुछ इतिहासकारों ने भी स्वीकार की है। आपने भी यही पढ़ा और सुना होगा कि कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार को बनवाया था। NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) की पाठ्य पुस्तकों में भी छात्रों को यही पढ़ाया जा रहा है। इस मामले में लेखक नीरज अत्री ने एक RTI दायर की थी, जिसके जवाब चौंकाने वाले हैं।
वैसे इस विषय पर यदा-कदा लिखता रहा हूँ कि मुस्लिम समाज के वोट अपनी तिजोरी में रखने के लिए कांग्रेस और वामपंथी गठजोड़ ने भारत के गौरवमयी हिन्दू इतिहास को धूमिल कर आतताई मुग़लों के रक्तरंजित इतिहास को दरकिनार कर महान बता कर समस्त देशवासियों को गलत इतिहास पढ़वा दिया। यह देश का दुर्भाग्य है कि हम अपने ही वास्तविक इतिहास से शिक्षित होते हुए भी किसी अनपढ़ से कम नहीं। जो वास्तविकता की बात करता है, उसे तथाकथित इतिहासकार और छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेता और पार्टियां साम्प्रदायिक, फिरकापरस्त, शान्ति का दुश्मन और सिरफिरा आदि नामों से बदनाम करते हैं। संक्षेप में संलग्न मेरा स्तम्भ के अलावा नीचे दिए लिंक का अवलोकन करिए। जिसका किसी छद्दम धर्म-निरपेक्ष एवं इतिहासकार ने खंडन नहीं किया। लेकिन RTI के माध्यम से सच्चाई सामने आ रही है।
उससे पहले जानते हैं कि NCERT की पुस्तक में लिखा क्या है। इसमें कुतुबमीनार की तस्वीर के साथ दिए गए विवरण में बताया गया है कि कुव्वतुल-इस्लाम मस्जिद और मीनार को 12वीं शताब्दी के अंत में बनवाया गया था। साथ ही लिखा है कि दिल्ली के सुल्तानों द्वारा बसाए गए पहले नगर का जश्न मनाने के लिए इसका निर्माण हुआ। आगे बताया गया है कि इसे इतिहास में दिल्ली-ए-कुहना नाम से जाना जाता है, जिसे हम आज पुरानी दिल्ली कहते हैं।
तत्पश्चात लिखा है कि इस ‘मस्जिद’ को कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाना शुरू किया था, जिसे मामलुक साम्राज्य के तीसरे सुल्तान इल्तुतमिश ने पूरा करवाया, जो ऐबक का दामाद था। साथ ही पुस्तक के उस पन्ने में मस्जिद क्या होता है और अरबी में इस शब्द का मतलब क्या है, ये सब समझाया गया है। खुत्बा-ए-जुमा के साथ-साथ नमाज पढ़ने के बारे में भी समझाया गया है। फिर मुहम्मद बिन तुगलक के बनवाए बेगमपुरी मस्जिद का जिक्र है।
इसके बाद ‘Brainwashed Republic: India’s Controlled Systemic Deracination’ नामक पुस्तक लिख चुके नीरज अत्री ने इस मामले में नवंबर 21, 2012 में एक RTI दायर की थी। इस पुस्तक में वो पहले ही पाठ्यक्रम में शामिल भारतीय इतिहास की पुस्तकों की पोल खोल चुके हैं। जिस पुस्तक की यहाँ बात हो रही है, वो NCERT की कक्षा-7 की पुस्तक (ISBN 81-7450-724-8) है, जिसका नाम ‘Our Past 2’ है।