दिलीप लाल
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर 10 दिन पहले हुए हमले के बाद से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल प्रमुखता से उठने लगे हैं। काफिले पर हमले की घटना राजधानी रांची से सटे ओरमांझी इलाके के जंगल में एक युवती का सिरकटा शव मिलने से लोगों में पनपे आक्रोश का नतीजा थी। प्रदर्शन कर रही भीड़ उधर से गुजरते मुख्यमंत्री के काफिले को देखकर उस तरफ बढ़ी। लोग मुख्यमंत्री से बात करना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से सीएम की गाड़ी को उनके आवास की तरफ मोड़ दिया गया, जिससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हालांकि राज्य पुलिस काफिले पर हमले और युवती की हत्या, दोनों मामलों की जांच कर रही है।
हेमंत सोरेन पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री नहीं बने हैं। यह उनका दूसरा मौका है। वर्ष 2013-14 में लगभग साढ़े सत्रह महीने तक वह मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके सहज स्वभाव को पसंद भी किया जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह हुई कि उनका मौजूदा कार्यकाल शुरू हुए पांच महीने भी नहीं हुए थे कि कोरोना की चुनौती सामने आ गई। अभी यहां देश के दूसरे राज्यों की तरह कोरोना नियंत्रण में है, लेकिन राजधानी रांची की हालत खराब है। पूर्वी सिंहभूम, बोकारो जैसे शहरी इलाकों में भी कोरोना के केस नियमित रूप से आ रहे हैं लेकिन ग्रामीण इलाके इससे मुक्त हैं। जनजीवन सामान्य है। नौवीं कक्षा तक स्कूल भी खुल गए हैं। हालांकि कॉलेजों में ऑनलाइन ही पढ़ाई चल रही है।
अब बर्ड फ्लू को लेकर राज्य में एहतियातन हाई एलर्ट जारी किया गया है। जमशेदपुर, दुमका, पश्चिमी सिंहभूम जैसे इलाकों से पक्षियों के मरने की खबरें आ रही हैं। दुमका जिले में कौआ, मैना, बगुलों को मिलाकर 40-50 पक्षी एक ही स्थान पर मृत पाए गए हैं। लातेहार में दो दिन पहले एक ही स्थान पर मरे हुए कुछ कौए मिले। जांच के लिए सैंपल रांची भेजे गए हैं। राज्य के कई पॉल्ट्री फर्म में मुर्गियों के मरने की खबर है। हालांकि अब तक आधिकारिक रूप से राज्य में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई नहीं है, फिर भी स्थानीय अधिकारी आशंका जताते हुए लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं। हैरानी की बात है कि लोग बिना डरे चिकन खा रहे हैं।
हालांकि सोरेन सरकार बनने के बाद से मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर ब्रेक लगा है, लेकिन काला सोना की जमीन के नाम से मशहूर कोयले की राजधानी धनबाद के माफियाओं पर शिकंजा नहीं कसा जा सका है। दशकों से देखा जा रहा है कि सरकार किसी भी पार्टी की बने, राजनीति और गैंग की साठगांठ बन ही जाती है। यही कारण है कि इस इलाके में टार्गेटेड मर्डर और रंगदारी वसूली में बिल्कुल कमी नहीं आ पाती है। पहले बाहर के गैंग की दाल नहीं गलती थी। अब यूपी, बिहार के गैंग भी यहां अपने कदम जमा रहे हैं। हाल ही में लोगों को मिल रहे एक वाट्सऐप मैसेज से सनसनी फैल गई। यह मैसेज है, ‘जनवरी से मीटर चालू हो रहा है’। जानकारों के मुताबिक यह मैसेज रंगदारी मांगने का है। बाहर से आने वाले गुंडों को इलाके की फ्रेंचाइजी दी जाती है। लॉकडाउन और कोरोना के चलते वसूली का धंधा भी मंदा हो गया था। ताजा मैसेज बताता है कि अब इसमें तेजी आने के आसार हैं। धनबाद पुलिस ने एक आउटसोर्सिंग कंपनी के जीएम से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने के एक मामले की रिपोर्ट भी दर्ज की है।
बीजेपी की रघुवर दास सरकार में पत्थलगढ़ी एक बड़ा मसला बन कर उभरी थी। झारखंड के आदिवासी इलाकों में गांव की सीमा और जमीन के मालिकाना हक आदि की पहचान पत्थलगढ़ी से ही होती रही है। बाप-दादा के गाड़े पत्थरों से लोग पारंपरिक तौर पर जमीन की सीमाओं की पहचान करते रहे हैं। मगर पिछली सरकार के दौरान कुछ टकरावों के बाद पत्थलगड़ी करने वाले आदिवासियों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। सोरेन ने इसे खत्म करने का वादा किया था। पत्थलगढ़ी में देशद्रोह के दर्ज मामलों में से आधे से ज्यादा का निपटारा कर दिया गया है।