मुजफ्फर हुसैन
मांसाहार के दो रूप हैं-एक तो उसका भक्षण करना और दूसरा उसका व्यापार करना। अपने स्वाद अथवा उदरपूर्ति के लिए उसका उपयोग अत्यंत सीमित और निजी
क्रमश:
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मुजफ्फर हुसैन
मांसाहार के दो रूप हैं-एक तो उसका भक्षण करना और दूसरा उसका व्यापार करना। अपने स्वाद अथवा उदरपूर्ति के लिए उसका उपयोग अत्यंत सीमित और निजी
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