गतांक से आगे…….
चरबी लागने से लकड़ी की आयु बढ़ जाती थी। लेकिन अब यह चरबी कितनी वस्तुओं में काम आने लगी हैं, उसका कोई शुमार नही होता। हर गांव में चरबी एकत्रित करने वाले मिल जाते हैं, जहां बड़े शहरों से उसके खरीदार पहुंचते हैं और फिर उसे भिन्न वस्तुओं के बनाने में उपयोग करते हैं। जब चरबी को रिफाइन करके उसे खाने में उपयोग में लाया जाने लगा, उस समय तो बाजार में घी के भाव चरबी की आवक पर आधारित होते थे। किन किन कंपनियों ने चरबी के नाम पर लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई यह कहानी बहुत पुरानी नही है। मुंबई के धारावी के बाजार में चले जाइए, आपको न केवल हड्डियां बल्कि आंत और शरीर के अन्य भीतरी अवयवों के साथ साथ सींग और जानवरों के खुर भी बिकते हुए नजर आ जाएंगे। सींग और खुर तथा चमड़े की वस्तुएं बना लेने के पश्चात जो उसकी कतरनें बच जाती हैं, उन्हें डायजेस्टर में पकाकर उसका बेहतरीन खाद तैयार किया जाता है, जो खेतों में डालकर दुगुनी तिगुनी फसल ली जाती है। दक्षिण भारत और अन्य स्थानों के चाय के बगीचों में हड्डी पीसते समय जो उसका बारीक पाउडर निकलता है, उसका बड़े पैमाने पर खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। पशु के शरीर से साढ़े तीन हजार वस्तुएं बनती हैं। जानवरों का रक्त भी बहुत मूल्यवान है, इसलिए हर बूचडखाने में उसके ठेके उठते हैं। पशु जब तक जीता है, उसका मल मूत्र खेती और जंगलों के लिए वरदान है। जब तक जीवित रहता है, प्रतिदिन अपने शौच और मूत्र के रूप में बहुत कुछ दे जाता है। सच तो यह है कि यदि कोई पांच साल जीवित रहता है तो वह अपने पर हुए खर्च का एक तिहाई से भी अधिक भाग तो जीते जी ही चुका देता है। गाय के गोबर और मूत्र की महिमा अपरंपार है। आज तो दवाओं से लेकर ईंधन गैस और फिर जो बच जाए वह खाद के रूप में काम में आता है। बैल के बिना तो खेती की कल्पना ही नही की जा सकती। बिजली के संकट में किसान के लिए यही उद्घारक की भूमिका निभाता है। 24 घंटे में एक बैल उतना ही काम करता है जितना कि हमारी पांच हॉर्स पावर की बिजली की मशीन काम करती है। खनिज तेल और बिजली का पर्याय भारत सरकार हर दिन खोजती है, लेकिन उसके पास खड़े बैल को वह नही समझ सका। इस देवता तुल्य प्राणी के पास जबान होती तो वह आज के समझदार इनसान को यही कहता है कि भगवान ने आपकी सेवा के लिए ही मुझे इस दुनिया में भेजा है। मुझे कत्लखाने का प्राणी मत समझिए मैं तो आपकी समस्याओं के समाधान के लिए आपकी दुनिया में भेजा गया हूं।
क्रमश: