स्वाधीनता की सुरक्षा के उपाय पर गोष्ठी संपन्न : पाश्चात्य संस्कृति की व्याधियों से बचना होगा : नरेंद्र आहूजा ‘विवेक’

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*स्वाधीनता की रक्षा के लिए स्वसंस्कृति,स्वभाषा व स्वदेशी से जुडें -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य*

गाज़ियाबाद। (संवाददाता),सोमवार,4 जनवरी 2021,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “स्वाधीनता की सुरक्षा के उपाय” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया।यह कोरोना काल में परिषद का 145वां वेबिनार था।

हरियाणा राज्य औषधि नियन्त्रक व केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रान्तीय प्रभारी नरेन्द्र आहूजा “विवेक” ने “स्वाधीनता की सुरक्षा के उपाय” विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा राष्ट्र बाल्यावस्था में है और बहुत सी व्याधियों से ग्रस्त हो गया है। स्वाधीनता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि (स्व+आधीन) जब तक हम स्वयं अधीन हैं तब तक स्वाधीन है।उन्होंने बताया कि ईश्वर ने मानव जीवन के लिए ज्ञान वेद के रूप में संविधान ज्ञान दिया।वेद द्वारा बताए “कृण्वन्तो विश्वमार्यम” के उदघोष को सार्थक करने का प्रयत्न हमें करना होगा।हम यदि अपनी स्वाधीनता की सुरक्षा करना चाहते हैं तो अपनी मातृ भाषा,अपनी राष्ट्र भाषा के साथ जुड़े रहें।अपने विकास के सही मार्ग को समझे और पाश्चात्य संस्कृति के वशीभूत न हो जाएं।परिवर्तन अच्छा है किन्तु इतना भी नही की उस परिवर्तन से संस्कृति का मूल ही नष्ट हो जाये।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि जो राष्ट्र अपनी इतिहास की गलतियों से सीख ले कर वर्तमान में पुरुषार्थ कर भविष्य में गलतियों को न दोहराएं तभी हम राष्ट्र की स्वाधीनता की सुरक्षा कर सकते हैं।हमें अपनी संस्कृति,धर्म व उपलब्धियों का सम्मान करना चाहिए,स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग,आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ना होगा।आत्म निर्भर भारत ही स्वाधीनता की सुरक्षा की गारंटी हो सकता है।

कार्यक्रम अध्यक्ष आर्य नेता आर पी सूरी ने कहा कि आज सभी को राष्ट्रीयता की भावना से ओत प्रोत होने व करने की आवश्यकता है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में मैकाले की शिक्षा पद्धति के कारण हम सिर्फ ऐसे युवाओं का निर्माण कर रहे हैं जिसमे नैतिकता का अभाव दिखाई देता है।पुनः गुरुकुल व्यवस्था को स्थापित करने का प्रयास करना होगा।

योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होकर अपनी संस्कृति से दूर हो रही हैं उनको अपने देश की संस्कृति से अवगत कराने का अभियान चलाना चाहिए।

गायिका दीप्ति सपरा,विजय हंस,बिन्दु मदान,आशा आर्या, जनक अरोड़ा, रविन्द्र गुप्ता,नरेश खन्ना,ईश्वर देवी (अलवर),अंजू आहूजा, संगीता आर्या,नरेन्द्र आर्य सुमन,नरेश खन्ना,अंजू बजाज,डॉ रचना चावला आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से दर्शन अग्निहोत्री, आचार्य महेन्द्र भाई,डॉ रामचंद्र (कुरुक्षेत्र),आनन्द प्रकाश आर्य, यशोवीर आर्य,धर्मपाल आर्य, चन्द्रकान्ता आर्या,उर्मिला आर्या, विनोद हर्ष,विकाश भाटिया, राजेश मेहंदीरत्ता,अनिता रेलन, सुरेश सेठी आदि उपस्थित थे।

 

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