इस देश को जन्मना प्यार करता है और यही कारण है कि हिंदू के नाम से ही हिंदुस्तान के रूप में जाने जाने वाले इस विशाल भूखंड को हिंदू अपने तन मन से प्यार करता है । यही बात प्रत्येक हिंदू विचारक ने अपने अपने समय पर कही है और अब सरसंघचालक मोहन भागवत भी इसी विचारधारा के हैं। पर असदुद्दीन ओवैसी को सरसंघचालक के हिंदुओं को जन्मना देशभक्त कहे जाने पर मिर्ची लगी है । जिस पर उन्होंने कहा है कि गोडसे के बारे में मोहन भागवत के क्या विचार हैं ?
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अगर कोई हिन्दू है तो वह देशभक्त ही होगा . क्योंकि यही उसके मूल में है और यही प्रकृति भी है। साथ ही उन्होंने कहा कि परिस्थिति चाहे जो भी हो लेकिन कोई हिन्दू कभी भी देशद्रोही नहीं हो सकता है। साथ ही संघ प्रमुख ने महात्मा गाँधी के द्वारा की गयी एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि वे मानते थे उनकी देशभक्ति का श्रोत उनका धर्म ही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अगर कोई हिन्दू है तो वह देशभक्त ही होगा . क्योंकि यही उसके मूल में है और यही प्रकृति भी है। साथ ही उन्होंने कहा कि परिस्थिति चाहे जो भी हो लेकिन कोई हिन्दू कभी भी देशद्रोही नहीं हो सकता है। साथ ही संघ प्रमुख ने महात्मा गाँधी के द्वारा की गयी एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि वे मानते थे उनकी देशभक्ति का श्रोत उनका धर्म ही है।
मोहन भागवत की इस टिप्पणी पर एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए पूछा कि आप गाँधी जी के हत्यारे गोडसे के बारे में , नेल्ली दंगों , 1984 के सिख दंगों और 2002 के गुजरात दंगों के बारे में क्या मानते हैं। ओवैसी ने आगे कहा कि अधिकांश भारतीय बिना धर्म और पंथ को सोचे बगैर देशभक्त हैं। मोहन भागवत के बयान को लेकर उन्होंने आगे कहा कि यह आरएसएस की अज्ञानी और बेतुकी विचारधारा को प्रदर्शित करता है।
अपने अगले ट्वीट में असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा कि इस देश में एक धर्म के लोगों को अपने आप देशभक्ति का प्रमाण पत्र मिल जाता है जबकि यहाँ अन्य धर्म के लोगों को अपनी पूरी जिंदगी यह साबित करने में लग जाती है कि वह भी देशभक्त है और उसे भी यहाँ रहने का अधिकार है।
दरअसल संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक विमोचन के मौके पर कही थी। गाँधी जी के ऊपर अंग्रेजी में लिखी गयी किताब ‘मेकिंग ऑफ ए हिंदू पेट्रियॉट- बैकग्राउंड ऑफ गांधीजीज हिंद स्वराज’ के विमोचन के मौके पर भागवत ने गाँधी जी के बारे में कहा था कि महापुरुषों को कोई भी अपने अनुसार परिभाषित नहीं कर सकता है। संघ प्रमुख ने कहा कि गाँधी जी ने कहा था कि मैं अपने धर्म को समझकर अच्छा देशभक्त बनूँगा और लोगों को भी ऐसा करने को कहूँगा। इसलिए अगर गाँधी जी को समझना है तो स्वराज को समझने से पहले स्वधर्म को समझना होगा।
मुख्य संपादक, उगता भारत