मिथिलेश कुमार सिंह
बर्थ एंड डेथ रजिस्ट्रेशन में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं
कई लोग आज भी जन्म मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो उनके लिए यह समझना जरूरी है कि कानूनन यह बहुत जरूरी प्रक्रिया है, जिसे आप को समय रहते पूरा कर लेना चाहिए। यूं भी जन्म प्रमाण-पात्र तो आगे बच्चे के भविष्य से जुड़े तमाम कार्यों में काम आता ही है।
आप में से बहुत सारे लोगों को इसके प्रोसेस के बारे में पहले से पता होगा, तो नया अपडेट यह समझ लीजिए कि अब बर्थ और डेथ रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल करना आवश्यक नहीं है। बहुत सारे लोगों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी और अब बगैर आधार नम्बर के भी जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कराया जा सकता है।
बहरहाल, आइए जानते हैं इसकी समूची प्रक्रिया को…
देशभर में कहीं भी, किसी बच्चे का जन्म होता है, या परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होती है, तो इसकी जानकारी आपको जन्म मृत्यु रजिस्ट्रार ऑफिस में कराना जरूरी होता है। गांव इत्यादि क्षेत्रों में ग्राम पंचायत कार्यालय और अगर आप शहर में रहते हैं, आपका मकान शहरी क्षेत्र में पड़ता है, तो नगर पालिका, या नगर परिषद, अथवा नगर निगम ऑफिस में इसे दर्ज करा सकते हैं।
कई लोग आज भी जन्म मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो उनके लिए यह समझना जरूरी है कि कानूनन यह बहुत जरूरी प्रक्रिया है, जिसे आप को समय रहते पूरा कर लेना चाहिए।
यूं भी जन्म प्रमाण पत्र तो आगे बच्चे के भविष्य से जुड़े तमाम कार्यों में काम आता ही है। जैसे अगर किसी स्कूल में प्रवेश लेना हो तब जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है।
इसी प्रकार से चाहे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो, पासपोर्ट बनवाना हो, कोई बीमा पॉलिसी लेनी हो या फिर दूसरे राशन कार्ड या सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम में लाभ लेने के लिए भी इसका प्रयोग किया ही जाता है। अतः आप जन्म प्रमाण पत्र अवश्य बनवाएं।
इसी प्रकार से डेथ रजिस्ट्रेशन के भी अपने फायदे हैं। इसमें सबसे अधिक फायदा उत्तराधिकार को लेकर होता है। इसमें संपत्ति वितरण या ट्रान्सफर तभी संभव हो पाता है, जब मृत्यु प्रमाण पत्र आपके पास हो। इसके अलावा पेंशन, इंश्योरेंस, जमीन के हस्तांतरण इत्यादि की प्रक्रिया मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही होती है।
बताते चलें कि यह पूरी प्रक्रिया निशुल्क होती है और जन्म अथवा मृत्यु के 21 दिन की समयसीमा में परिवार का कोई भी सदस्य या फिर रिलेटिव इसका पंजीकरण करा सकता है। 21 से 30 दिन के अंदर ₹2 का विलंब शुल्क देना पड़ता है तो 30 दिन से 1 साल के भीतर पंजीकरण कराने के लिए आपको नोटरी पब्लिक से सर्टिफाई कराकर जिला सांख्यिकी अधिकारी या फिर अतिरिक्त जिला पंजीयक (विकास अधिकारी) से शपथ पत्र साइन कराना पड़ता है।
इसके बाद ही जन्म-मृत्यु का प्रमाण पत्र मिल सकता है। इसीलिए बेहतर हो कि अगर 21 दिन के भीतर ही आप इस प्रक्रिया को पूरी कर लें। हालांकि घटना कितनी भी पुरानी हो जन्म मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के नियम 9 (3) के मुताबिक उसका रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग वेबसाइट्स पर यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा रही है, पर मूलतः सभी जगह नियम एक ही हैं और अब तो इसके लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य नहीं है।
बताते चलें कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने साफ़ किया है कि जन्म और मृत्य पंजीकरण के लिए आधार नंबर कतई अनिवार्य नहीं है। इतना ही नहीं, आरजीआई ने यह जानकारी एक आरटीआई के जवाब में दी और सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से आधार नंबर देता है तो भी यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी सूरत में आधार का प्रिंट आउट न लिया जाए और जन्म मृत्यु डाटाबेस में पूरा आधार नंबर स्टोर न हो।
सर्कुलर में साफ़-साफ़ कहा गया है कि “किसी भी हाल में आधार नंबर न तो डाटाबेस में स्टोर किया जायेगा, न ही किसी दस्तावेज पर प्रिंट किया जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर आधार नंबर के पहले चार अंक ही प्रिंट किये जा सकते हैं।
ज़ाहिर तौर पर यह बड़ा साफ़ आदेश है।
अगर आपको कुछ भी नहीं पता हो तो फिर आप अपने नजदीकी सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर- जनसुविधा केंद्र) जाकर इसकी जानकारी ले सकते हैं। वहां राज्य के हिसाब से आपको एग्जैक्ट जानकारी मिलने की पूरी संभावना है।