- 1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को , कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी , पल , विपल ) कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा , यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! क्या कभी नोटिस किया है आपने ????
इसका अर्थ क्या है ???
इसका अर्थ यह है कि हमारे ऋषि मुनियों , वेदज्ञ , सनातन धर्म में पहले से यह पता था कि चन्द्रमा , पृथ्वी , सूर्य इत्यादि का व्यास ( Diameter ) क्या है ? उनकी घूर्णन गति क्या है ?? ( Velocity ऑफ़ Rotation ) क्या है ?
उनकी revolution velocity और time क्या है ?
पृथ्वी से सूर्य की दूरी , सूर्य से चन्द्र की दूरी , चन्द्र की पृथ्वी से दूरी कितनी है ??
इन सबका specific gravity , velocity , magnitude , circumference , diameter , radius , specific velocity , gravitational energy , pull कितना है ??
इतनी सटीक गणना होती है कि एक बार NASA के scientist ग़लती कर सकते हैं seconds की लेकिन ज्योतिष विज्ञान नहीं !
वो तो बस हम लोगों को हमारे ऋषि मुनियों ने juice निकाल कर दे दिया है कि पियो , छिलके से मतलब मत रखो !
बस एक formula तैयार करके दे दिया है जिसमें ज्योतिषी बस values डालते हैं और उत्तर सामने होता है !
अब स्वयं सोचिये , science के विद्यार्थी भी सोचें कि दो planets के बीच कि दूरी नापने के लिए जो parallax या pythagorus theorem का use होता है , इसका मतलब वह पहले से ही ज्ञात था !
और हम लोग KEPLERS ( A western scientist ) को इन सबका दाता मानते हैं !
तो ऐसे ही गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम भी हमें पहले से ही पता होंगे तभी तो , हम पृथ्वी , सूर्य , चन्द्रमा इत्यादि के अवयवों को जान पाए !
अरे चन्द्रमा ही क्या कोई भी ग्रह नक्षत्र ले लीजिये , सबमें आपको proved science मिलेगी !
शनि ग्रह के बारे में बात करते हैं ! शनि की साढ़े साती सबको पता होगी और अढैय्या भी !
यह क्या है ??? कभी अन्दर तक खोज करने की कोशिश की ???
नहीं ! क्योंकि हम इन सबको बकवास मानते हैं !
चलिए मैं ले चलता हूँ अन्दर तक !
According to NASA , Modern science , शनि ग्रह ( Saturn ) सूर्य का चक्कर लगाने में लगभग १०,७५९ दिन, ५ घंटे, १६ मिनट, ३२.२ सैकिण्ड लगाता है !
यही हमारे शास्त्रों में ( सूर्य सिद्धांत और सिद्धांत शिरोमणि ) में यह है १०,७६५ दिन, १८ घंटे, ३३ मिनट, १३.६ सैकिण्ड और १०,७६५ दिन, १९ घंटे, ३३ मिनट, ५६.५ सैकिण्ड !
मतलब 29.5 Years का समय लेता है यह सूर्य के चक्कर लगाने में ! अगर पृथ्वी के अपेक्षाकृत देखा जाय तो यह साढ़े सात वर्ष लेता है पृथ्वी के पास से गुजरने में ! और ऐसे कई बार होता है जब पृथ्वी के revolution orbit से शनि ग्रह का orbit आसपास होता है ! क्योंकि यह ग्रह बहुत धीरे अपना revolution पूरा करता है और वहीँ पृथ्वी उसकी अपेक्षाकृत बहुत तेजी से सूर्य का चक्कर काटती है !
शनि के सात वलय ( Rings ) होते हैं जो एक एक कर अपना प्रभाव दिखाते हैं ! 15 चन्द्रमा हैं इस ग्रह के , जिसका प्रभाव 2.5 + 2.5 + 2.5 = 7.5 के अन्तराल पर अपना प्रभाव पृथ्वी के रहने वाले जीवों पर दिखाते हैं !
अब दिमाग लगाईये कि बिना किसी astronomical apparatus या संयंत्र के उन्होंने यह सब कैसे खोजा होगा ???
हम नहीं जानते तो इसीलिए इस प्राचीन विद्या को बेकार , फ़ालतू बकवास बता देते हैं और कहते हैं कि वेद इत्यादि सब जंगली लोगों के ग्रन्थ हैं !
मेहरावली स्थान का नाम सबने सुना होगा ! गुडगाँव के पास ही है जिसको आप लोग क़ुतुब मीनार के नाम से जानते हैं !
यह वाराहमिहिर की Observatory थी ! जिसे हम जानते हैं कि यह क़ुतुब मीनार है , वह वाराहमिहिर की Observatory थी जिस पर चढ़कर ग्रह नक्षत्रों इत्यादि का अध्ययन किया जाता था ! लेकिन हमारी गुलामी मानसिकता ने उसे क़ुतुब मीनार बना दिया ! इतना भी दिमाग में नहीं आया कि उस जगह लौह स्तम्भ क्या कर रहा है ? देवी देवताओं कि मूर्तियाँ क्या कर रही हैं ? जंतर मंतर जैसा structure वहाँ क्या कर रहा है ??
बस जिसने जो बता दिया उसी में हम खुश हैं !
पता नहीं हम लोगों को अपने ऊपर गर्व , या अपनी सांस्कृतिक विरासत कब गर्व आएगा ??
खैर मुद्दे पर आते हैं !
तो जितने भी ग्रह नक्षत्र हमारे वेदों शास्त्रों में वर्णित हैं , पंचांग में वर्णित हैं , हमें सबके सटीक सटीक उनके विषय में अब पता था !
बस हमें नष्ट भ्रष्ट करने के लिए हमारी अरबों खरबों की पुस्तकें जला दी गयी , मंदिर नष्ट कर दिए गये , इतिहास कि ऐसी तैसी कर दी गयी और बचा खुचा कसर सेक्युलर वाद ने पूरी कर दी !
इसीलिए अब भी समय है अपने शास्त्रों पर गर्व करना सीखिए , उन पर विश्वास करन सीखिए !
✍🏻श्वेताभ पाठक
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