गतांक से आगे…….
यदि करने लग जाए तो उनकी किस्मत का सितारा बुलंद हो जाए। एक सवेरे महाराष्ट्र के जलगांव और बुलढाणा जिले के लोगों ने आकाश में एक हेलीकॉप्टर उड़ता हुआ देखा। उसमें से खेतों पर कुछ पाउडर गिराया जा रहा था। पूछने पर पता लगा कि वीपी नाइक की सरकार के कृषि विभाग ने अमेरिका की एक कंपनी को कीटनाशक दवाओं के प्रयोग करने की आज्ञा दी है। अमेरिका की उस कीटनाशक दवा की कंपनी का कहना था कि इसके छिड़काव से फसल को खराब करने वाले कीटाणु मर जाएंगे, जिससे फसल सुरक्षित रहेगी और उन्हें दुगुना उत्पादन मिलेगा।
दूसरे दिन का दृश्य बड़ा भयावह था। लोग अपनी प्रथम अनिवार्यता पूरी करने के लिए जब शहर और गांव से कुछ दूरी पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके खेतों में न केवल कीड़े बल्कि हजारों की संख्या में सांप और चूहे मरे हुए पड़े थे। नदी नालों के किनारे मेढक और पानी के अन्य जीव मरे हुए पड़े थे अथवा मरी हुई स्थिति में पानी पर तैर रहे थे। बुलढाणा जिले के जलगांव जामोद की तहसील अपने सुंदर सांपों के लिए जग विख्यात है। उन सांपों को मारकर उनकी खाल को अवैध ढंग से एकत्रित किया जाता है, जहां से तस्करी द्वारा उन्हें विदेश भेज दिया जाता हे। उन मरे हुए जीव जंतुओं को देखकर स्थानीय जनता चीख उठी, लेकिन अमेरिकन दलालों ने यह दलील दी कि अधिक पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है। हमारी दवाओं के प्रभाव से यदि कुछ जीव जंतु मेरे हैं तो भी आपको क्या हानि हुई है? सितंबर महीने का वह मनहूस दिन था, तब से भारत में कीटनाशक दवा के नाम पर करोड़ों जीव जंतुओं के कत्लेआम का लाइसेंस लाशों के इन सौदागरों को मिल गया।
कुछ दिन बाद ही इसका प्रभाव देखने को मिला। वहां के किसानों ने महसूस किया कि उनकी चावल की खेती बिगड़ गयी है। चावल की खेती में कीड़े बड़े प्रमाण में देखने को मिल रहे हैं। अब तक चावल के इन कीड़ों को मेढक खा जाते थे, लेकिन कीटनाशक दवाओं के कारण बड़े पैमाने पर मेढक मर गये। भारतीयों को पता नही था कि उनके मेढक फ्रांस की एक कंपनी बहुत बड़े पैमाने पर मंगवाती है। वास्तविकता इसके पीछे यह थी कि यूरोप और अमेरिका के देशों में मेढक की पिछली टांगे होटलों में पकवान के रूप में खाई जाती हैं। इसलिए मेढक मारकर उसके पिछले दो पैरों को काट लिया जाता है, जिसे उक्त कंपनी को निर्यात कर दिया जाता था। केन्द्र में जब मोरारजी देसाई की सरकार 1977 के बाद आई तो उन्होंने भारतीय मेढकों की टांगों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी। क्रमश:
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