‘बिना दूध देती चार गायों से कमाता हूं 40 हजार महीना’
(राजस्थान पहले से ही गौ-भक्त और राष्ट्र भक्त लोगों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहा है। आज भी वीर भूमि में गौ-भक्तों की कमी नही है। ऐसे ही ऐ गौ-भक्त हैं रामेश्वर लाल माहेश्वरी। जो कि जिला बीकानेर की तहसील कोलायत के गांव गजनेर के निवासी हैं। पिछले दिनों श्री माहेश्वरी से हमारी मुलाकात हुई तो उन्होंने ‘उगता भारत’ को बताया कि वह चार ऐसी गायों से चालीस हजार रूपया प्रति महीना कमाते हैं, जो दूध भी नही देती हैं। हमारी जिज्ञासा पर उन्होंने बताया कि वह गाय के गोबर से धूपबत्ती, अगरबत्ती और घी से कुछ ऐसी औषधियां तैयार करते हैं जो विभिन्न रोगों को समूल नष्ट करने में कामयाब रही हैं। यहां पेश है उनके द्वारा बताई गयीं औषधियां और उनके लाभ-अजय आर्य)
देशी गाय के दूध से तैयार किया गया दुग्ध अर्क अल्सर, गैस (एसीडीटी) पाचन क्रिया, उदर विकास पेट संबंधित विकारों को दूर करता है।
अमृत घृत :-
1. जिसको नींद में खराटें आते हो, नींद न आती हो, खांसी-जुकाम हो वे सोते समय रात को तीन-तीन बूंद गौ-घृत नाम में डाले पीठ के नीचे तकिया लगाकर गर्दन को नीचे लटका कर डाले जिससे घी मस्तिष्क में जा सके अन्यथा घी मुंह में आ जाएगा जिससे लाभ नही होगा। गर्दन एक मिनट लटका कर रखें। फिर आधे घंटे सीधे लेटे रहें।
2. लकवा ग्रस्त रोगी को तुरंत लेटाकर नाक में गाय के घी की तीन तीन बूंद डालना है प्राणों का प्रवाह आरंभ हो जाता है। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने से बच जाती हैं और 15 मिनट में ही उसको पूर्ण लाभ मिल जाता है। लंबे समय से लकवा ग्रस्त रोगी का कम से कम तीस प्रतिशत लाभ अवश्य हुआ है।
3. जब मस्तिष्क में प्राणों का प्रवाह बहुत कम हो जाता है, तो व्यक्ति कोमा में चला जाता है, उनकी नाक में 3-3 बूंद डालते ही प्राणों का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है।
4. एक गरीब व्यक्ति के मस्तिष्क में खून के थक्के जम गये थे, जिससे वे चलते चलते अचानक गिर पड़ते थे, डॉक्टरों ने ऑपरेशन का दो लाख रूपये खर्च बताया और उस पर भी 5 प्रतिशत रिस्क। नाक में दो बूंद घी के प्रयोग और साथ ही गौमूत्र के सेवन और एक दो घरेलू उपचार से 15 दिन में ही वे एकदम स्वस्थ हो गये। आज इस बात को 5-6 वर्ष हो गये।
5. जिनके कान के पर्दे फट गये और डॉक्टर कहते हैं कि सर्जरी के अलावा इसका कोई उपचार ही नही है, उनके भी नाक में गाय के घी की 3-3 बूंदें डालने से 3 से 20 दिन के अंदर कान का पर्दा जुड़ जाता है। 6 सायनस की समस्या में भी यह घी पहले ही दिन असर दिखाता है।
7. महिलायें बाल झड़ने से रोकने के लिए हजारों रूपये खर्च करती हैं, इस प्रयोग से महीने डेढ़ महीने में न केवल बाल गिरना ही बंद हो जाते हैं बल्कि फिर से नये बाल आने लगते हैं।
8. गो-घृत के संबंध में गीताप्रस गोरखपुर से प्रकाशित कल्याण पत्रिका वर्ष-86 अंक 7 एवं 8 ई 2012 के दोनों अंकों के लेख पढ़ना चाहिए। डा. श्री महावीर प्रसाद जी भूतड़ा द्वारा लिखा लेख गौ माता एक चलता फिरता औषधालय में बहुत उपयोग जानकारी दी गयी है।
अब सोचिए जिस घी की बूंदें इतनी कीमती है वह घी कितना कीमती होगा? जो घी इतना कीमती है उस घी को देने वाली गाय कितनी कीमती होगी।
प्राण, विज्ञान के प्रति घोर अज्ञान के कारण आधुनिक वैज्ञानिकों ने गाय के घी का हानिकारक घोषित कर दिया। आजादी मिलने के बाद घी पर अनुसंधान करने के बजाए ऐसी ऐसी तकनीकों का आविष्कार किया कि घी की प्राणशक्ति ही घट गयी। जितनी पारंपरिक विधि से गाय की सेवा होगी और पारंपरिक विधि से गाय का घी तैयार किया जाएगा उतनी ही उस घी की शक्ति अधिक होगी और जितनी आधुनिक तकनीकों से गाय की सेवा होगी और घी निकाला जाएगा, उतनी ही उसमें प्राणशक्ति कम होगी। मैंने जो घी के गुण बताये वह आधुनिक ढंग से बनाये घी के नही बल्कि पारंपरिक ढंग से बनाये गये घी के हैं। यह सभी गुण भारतीय नस्ल की गाय का है।
गौ-घृत यज्ञ बाती :-
गौ-घृत जड़ी बुट्टियों , गोबर के मिश्रण से तैयार पर्यावरण की शुद्घि व मच्छर को दूर भगाने की शक्ति रखने वाली गौ-घृत बाती।
यह जानकारी हमने उन पाठकों के लिए विशेष रूप से दी है जो अशिक्षित या कम पढ़े लिखे हैं। परंतु उनकी अशिक्षा या कम पढ़ा लिखा होना गाय से मिलने वाले इन लाभों के आड़े नही आता। बेरोजगारी को और भुखमरी को खत्म करने का अच्छा तरीका है गाय। इसलिए इस गुर को आप भी अपना सकते हैं।