_-राजेश बैरागी-_
दो दिन पहले एक विवाह समारोह में रिश्ते की एक बहिन मिली। उम्र लगभग 53 वर्ष, मुझसे दो वर्ष बड़ी।28 वर्ष पूर्व उनका विवाह उनकी बहिन के देवर से हुआ था। उनकी मर्जी नहीं थी परंतु गांव-देहात में स्पष्ट मना करने की परंपरा नहीं थी।। इसलिए उन्होंने विवाह तो कर लिया परंतु एक बार के बाद फिर कभी ससुराल नहीं गयीं, मायके में ही रह गयीं और कालांतर में माता-पिता के गुजर जाने के बाद घर की मुखिया बन गयीं। यह विवाह समारोह उनकी भतीजी का था जिसकी बारात आने वाली थी और ससुराल पक्ष दान-दहेज से असंतुष्ट था।

बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।