आज से कुछ ही साल पहिले तक मध्य प्रदेश की गिनती देश के बीमारु राज्यों की श्रेणी में की जाती थी। बीमारु राज्यों की श्रेणी में मध्य प्रदेश के अलावा तीन अन्य राज्य भी शामिल थे, यथा, बिहार, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश। इन राज्यों को बीमारु राज्य इसलिए कहा गया था क्योंकि इन राज्यों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बहुत कम थी एवं औसत प्रति व्यक्ति आय भी बहुत कम होने के चलते ग़रीबी से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक थी। इसके कारण, इन प्रदेशों में अशिक्षा की दर अधिक थी, ग्रामों में चिकित्सा सहित अन्य सुविधाओं का नितांत अभाव था तथा इन प्रदेशों में जनसंख्या वृद्धि दर भी तुलनात्मक रूप से अधिक थी। कुल मिलाकर, ये प्रदेश कुछ ऐसी विपरीत परिस्थितियों में फ़सें हुए थे कि इन प्रदेशों में विकास की दर को बढ़ाना बहुत ही मुश्किलों भरा कार्य था, इसलिए इन्हें बीमारु राज्य बोला जाता था।
मध्य प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र पर आधारित है। प्रदेश में लगभग दो तिहाई आबादी ग्रामों में निवास करती है एवं यहां लगभग 54 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। वर्ष 2005-06 से 2014-15 के दौरान मध्य प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में औसतन 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की है। इसके बाद के 5 वर्षों के दौरान तो कृषि क्षेत्र में औसत विकास दर बढ़कर 14.2 प्रतिशत प्रतिवर्ष की रही है। यह पूरे देश में सभी राज्यों के बीच कृषि क्षेत्र में अर्जित की गई सबसे अधिक विकास दर है।
आज मध्य प्रदेश अन्य सभी प्रदेशों के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है कि किस प्रकार इस प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में एतिहासिक उपलब्धियाँ अर्जित की है। आज मध्य प्रदेश कई क़िस्म के उत्पादों की पैदावार में देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। उदाहरण के तौर पर, संतरा (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 30 प्रतिशत है), चना (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 45 प्रतिशत है), तिलहन, दालें (तूर, चना, उड़द, आदि), सोयाबीन (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 57 प्रतिशत है), लहसुन (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 32 प्रतिशत है) एवं टमाटर (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 16 प्रतिशत है) के उत्पादन में मध्य प्रदेश, पूरे देश में, प्रथम स्थान पर आ गया है।
इसी प्रकार, गेहूँ (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 19 प्रतिशत है), प्याज़ (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 15 प्रतिशत है), हरा मटर (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत है), अमरूद (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 14 प्रतिशत है) एवं मक्का (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 12 प्रतिशत है) के उत्पादन में मध्य प्रदेश, पूरे देश में द्वितीय, स्थान पर आ गया है। साथ ही, धनिया (देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 19 प्रतिशत है), लाल मिर्ची,(देश के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश का हिस्सा लगभग 7 प्रतिशत है), सरसों एवं दूध के उत्पादन में मध्य प्रदेश, पूरे देश में, तीसरे स्थान पर आ गया है। खाद्य पदार्थों के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद आज मध्य प्रदेश पूरे देश में दूसरे नम्बर पर है।
मध्य प्रदेश ने दरअसल इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में कई प्रकार की सुविधाएँ किसानों को उपलब्ध करायीं हैं जिसके कारण कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश ने चहुंमुखी विकास किया है। सबसे पहिले तो सिंचाई की सुविधाओं को वृहद्द स्तर पर गावों में उपलब्ध कराया गया है। मध्य प्रदेश में वर्ष 2000-01 में सिंचाई सुविधाओं का औसत 24 प्रतिशत था, जो कि राष्ट्रीय स्तर के औसत 41.2 प्रतिशत से बहुत ही कम था। परंतु मध्य प्रदेश की सरकार के इस क्षेत्र में मिशन मोड में काम करने के कारण सिंचाई सुविधाओं का औसत स्तर वर्ष 2014-15 में बढ़कर 42.8 प्रतिशत हो गया जो राष्ट्रीय औसत के 47.8 प्रतिशत के काफ़ी क़रीब पहुँच गया। आज तो यह औसत और भी अधिक आगे आ गया है। साथ ही, किसानों के फ़सल की बुआई एवं कटाई करते समय जब जब बिजली की आवश्यकता थी, उसे समय पर उपलब्ध करायी गयी। आज तो मध्य प्रदेश के अधिकतर गावों में लगभग 24 घंटे बिजली उपलब्ध है। इन सबके ऊपर, प्रदेश के सारे गावों को सभी मौसमों में 24 घंटे उपलब्ध रोड के साथ जोड़ दिया गया है। साथ ही साथ, गेहूँ की ख़रीद पर प्रदेश सरकार की ओर से विशेष बोनस किसानों को उपलब्ध कराया गया है, जिसके चलते किसान गेहूँ की फ़सल को बोने की ओर प्रेरित हुए हैं एवं गेहूँ के उत्पादन में मध्य प्रदेश पूरे देश में द्वितीय स्थान पर आ गया है। कृषि उत्पादों के भंडारण क्षमता में भी मध्य प्रदेश ने अभूतपूर्व प्रगति की है, जिसके चलते इन उत्पादों के नुक़सान में काफ़ी कमी देखने में आई है।
मध्य प्रदेश में विभिन्न कृषि उत्पादों की फ़सल बढ़ाने के उद्देश्य से ज़िला स्तर पर उत्पाद विशेष के समूह विकसित किये गए, जिसके चलते उस उत्पाद विशेष का उत्पादन इन जिलों में बहुत तेज़ी से बढ़ने लगा। जैसे, मंदसौर, नीमच, राजगढ़, शाजापुर, देवास, सिहोर आदि जिलों में संतरे की खेती को प्रोत्साहन दिया गया। अमरूद की खेती बढ़ाने के उद्देश्य से मुरेना, श्योपुर, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, सिहोर, सागर, विदिशा, आदि जिलों में समूह विकसित किए गए। इसी प्रकार, केला के उत्पादन के लिए, बुरहानपुर, खरगोन, बड़वाह, खंडवा, हरदा, धार, आदि जिले विकसित किए गए। आलू के उत्पादन हेतु मुरेना, ग्वालियर, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, उज्जैन, इंदौर, देवास आदि जिलों में समूह बनाए गए। हरे मटर का उत्पादन बढ़ने के उद्देश्य से ग्वालियर, दतिया, सागर, जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा आदि जिलों में समूहों का गठन किया गया। इसी प्रकार, लाल मिर्ची, धनिया, लहसुन, आम, अनार, प्याज़, टमाटर, आदि उत्पादों हेतु भी प्रदेश के विभिन्न जिलों को उस फ़सल के समूह के तौर पर विकसित किया गया। इस पद्धति के चलते भी प्रदेश में इन फलों, सब्ज़ियों आदि का उत्पादन बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ा है।
आज मध्य प्रदेश न केवल उत्पादन के मामले में बल्कि कृषि उत्पादों के निर्यात के मामले में भी चहुमुखी तरक़्क़ी कर रहा है। मध्य प्रदेश में उत्पादित शरबती गेहूँ तो पूरे विश्व में अपनी धाक जमा चुका है। इसी प्रकार, मध्य प्रदेश में उत्पादित फलों एवं सब्ज़ियों यथा, संतरे, आम, अमरूद, केला, अनार, प्याज़, टमाटर, आलू, मटर, लहसुन, लाल मिर्ची, धनिया, सोयाबीन, चना, आदि की माँग अब वैश्विक स्तर पर होने लगी है। मध्य प्रदेश से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 532 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया गया था, जो वित्तीय वर्ष 2020-21 के अप्रेल-जुलाई 2020 की अवधि के दौरान और आगे बढ़कर 176 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो चुका है।
विश्व में मुख्यतः पश्चिमी राष्ट्रों ने सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर तेज़ करने के लिए औद्योगिक विकास का सहारा लिया है। अर्थशास्त्र में ऐसा कहा भी जाता है कि कृषि क्षेत्र के विकसित अवस्था में आने के बाद औद्योगिक विकास के सहारे ही सकल घरेलू उत्पाद में तेज़ वृद्धि दर्ज की जा सकती है परंतु मध्य प्रदेश राज्य ने एक अलग ही राह दिखाई है एवं लगातार पिछले 5 वर्षों के दौरान कृषि क्षेत्र में 14 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज कर अपने सकल घरेलू उत्पाद में तेज़ गति से वृद्धि दर्ज करने में सफलता पाई है। मुख्यतः कृषि क्षेत्र में की गई प्रगति के सहारे ही मध्य प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2019-20 में बढ़कर 9.07 लाख करोड़ रुपए (12973 करोड़ अमेरिकी डॉलर) का हो गया है। मध्य प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2015-16 एवं 2019-20 के दौरान 13.78 प्रतिशत प्रतिवर्ष की औसत दर से बढ़ा है। मध्य प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में प्राइमरी (मूलभूत) क्षेत्र का योगदान वर्ष 2011-12 के 33.85 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 56.70 प्रतिशत हो गया है। इस मूलभूत क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का अधिक योगदान भी शामिल है।
प्रति व्यक्ति आय भी अब बढ़कर 1324 अमेरिकी डॉलर हो गई है। मध्य प्रदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी अक्टोबर 2019 से जून 2020 के बीच बढ़कर 17.29 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है।
कृषि क्षेत्र में राह दिखने के बाद अब मध्य प्रदेश सौर ऊर्जा के उत्पादन के क्षेत्र में भी अनुकरणीय कार्य करता दिख रहा है। अक्टोबर 2019 तक मध्य प्रदेश में 1882.32 मेगावॉट की उत्पादन क्षमता स्थापित की जा चुकी है। माह दिसम्बर 2019 में 2000 मेगावाट के सौर ऊर्जा पार्क की स्थापना बुदेलखंड एवं चम्बल क्षेत्रों में करने की घोषणा मध्य प्रदेश सरकार ने की है। एशिया में सबसे बड़े, 750 मेगावाट की क्षमता के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का उद्घाटन, मध्य प्रदेश के रीवा में, भारत के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में किया है।
(नोंद- इस लेख में प्रयोग किए गए कुछ आँकड़े पिछले वर्षों के हैं)
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।