फ्रैंच मूल के गोतिए ने फ्रांस के गौरवों में से एक नेपोलियन से ज्यादा श्रेयस्कर छत्रपति शिवाजी महाराज को माना है। गोतिए लिखते हैं-
छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए मेरे मन में प्रशंसा का बहुत गहरा भाव है, क्योंकि वह भारत के नेपोलियन हैं, एक अविश्वास्य व्यक्ति, जो अपने सिर्फ कुछ सौ पुरुषों और अपनी बुद्धि मात्र के बूते, दुनिया की तत्कालीन सबसे शक्तिशाली सेना के खिलाफ, जो औरंगजेब की थी, मैदान में डटे रहे थे। छत्रपति शिवाजी महाराज एक योद्धा से कहीं अधिक थे उन्होंने कानून बनाए, पहली भारतीय नौसेना का निर्माण किया, वह एक दृढ़ हिंदू थे, फिर भी उन्होंने सूफी पवित्र स्थानों को दान दिया और अपने दुश्मनों की पत्नियों और बच्चों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया और जिनका दर्शन एक एकीकृत भारत का था। फिर भी, भारतीय इतिहास पुस्तकों में उनकी जगह कम है और उन्हें कम करके आंका गया है।
सिर्फ नेपोलियन ही क्यों? 1934 में प्रकाशित पुस्तक ‘द फाउंडिंग ऑफ मराठा फ्रीडमÓ (इतिहासकार श्रीपाद राम शर्मा) ने लिखा है- ‘राजनीति और राष्ट्रनिर्माण के क्षेत्र में शिवाजी असाधारण रचनाकार थे। उनमें मैजिनी जैसी दृष्टि, गैरीबाल्डी जैसी तत्परता, कैवर (कैमिलो पाओलो फिलीपियो गियोलियो बेन्सो) जैसी कूटनीति और विलियम ऑफ ऑरेंज जैसा देशप्रेम, अटलता और दृढ़प्रतिज्ञ साहसिकता थी। उन्होंने महाराष्ट्र के लिए वह किया, जो फ्रैडरिक महान ने जर्मनी के लिए और अलेक्जेंडर महान ने मकदूनिया के लिए किया था। विडंबना सिर्फ यह है कि विद्वान श्रीपाद राम शर्मा वामपंथी या मैकॉलेपंथी नहीं थे। लिहाजा उनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
पुणे के प्रख्यात संस्थान ‘भारत इतिहास संशोधक मंडल का नाम सभी ने सुना होगा। (‘संशोधक शब्द का हिन्दी और मराठी में तात्पर्य थोड़ा भिन्न होता है), सौ से अधिक वर्ष पुराने इस संस्थान ने शिवाजी महाराज से संबंधित इतिहास पर काम करना शुरु किया। वामपंथी इतिहासकार इशारों-इशारों में कहते रहे हैं कि प्रख्यात इतिहासकार (सर) जदुनाथ सरकार ने ‘पुणे मंडल के प्रकाशनों के प्रत्युत्तर मेंÓ शिवाजी पर दो पुस्तकें लिखी थीं- ‘शिवाजी एंड हिज टाइम्स’ और ‘द हाउस ऑफ शिवाजी। जदुनाथ सरकार ने भी शिवाजी महाराज की राजमर्मज्ञता को कैवर के बराबर माना है, जो खुद सरकार के शब्दों में इटली के महानतम सम्राट थे।
जदुनाथ सरकार लिखते हैं- ‘सत्ताओं का पतन होता है, साम्राज्य खंड-खंड हो जाते हैं, राजवंश विलुप्त हो जाते हैं, लेकिन शिवाजी सरीखे राजा के रूप में एक सच्चे नायक की स्मृति पूरी मानव जाति के लिए एक अविनाशी ऐतिहासिक विरासत बनी रहती है।
और भावी पीढिय़ों के लिए शिवाजी क्या हैं? जदुनाथ सरकार ने लिखा है कि भावी पीढिय़ों के ‘हृदय को चेतन करने, कल्पनाओं को प्रज्वलित करने और आने वाले युगों के मस्तिष्कों को सर्वोच्च प्रयासों तक प्रेरित करने के लिए (शिवाजी महाराज) जनता की आकांक्षाओं के एक स्तंभ, एक विश्व की इच्छाओं के केन्द्र हैं। (जदुनाथ सरकार, हाउस ऑफ शिवाजी, पृ. 115)।
राष्ट्रभक्ति का ऐसा जाज्वल्यमान नक्षत्र जब हमारे पास है तो स्पष्ट है कि भारतीय राष्ट्रवाद के पुनर्जागरण के लिए और भारतीयता को गौरवान्वित करने के लिए आजादी के बाद शिवाजी जैसे महानायक को हमारे देश की राजनीति का नायक बनाया जाना चाहिए था । परंतु मुस्लिमपरस्त नेहरू और उनके मुस्लिम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के हिंदुओं के प्रति पूर्वाग्रह और भारतीयता के प्रति उनके हृदय में व्याप्त दुर्भावना के कारण देश की राजनीति का आदर्श औरंगजेब और उसके पूर्वज अकबर को बना दिया गया। देश के नेतृत्व की इसी मूर्खता के कारण पाकिस्तान जैसे अदने से देश में भारत को इस्लामीकरण के रंग में रंगने का अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाया । जिस पर अब मोदी सरकार के आने पर कुछ शिकंजा कसा गया है। इसी मूर्खता के कारण देश में मुस्लिम आतंकवाद और लव जिहाद जैसी समस्याएं पैदा हुईं , क्योंकि जब आदर्श लुच्चे लफंगे हो गए तो ऐसी ही बातें देश में फैलनी थीं।
देश का नेतृत्व इस्लामिक आतंकवाद के सामने जितना झुकता गया वह उतना ही अधिक मुखर होता चला गया। अनेकों क्षेत्रों से उसने हिंदू को पलायन करने के लिए बाध्य किया ।हिंदू अपने ही घर में इधर-उधर भटकने लगा। यदि शिवाजी का बौद्धिक चातुर्य और शत्रु के विरुद्ध लड़ने की उनकी रणनीति को लेकर भारतीय नेतृत्व पहले दिन से इस्लामिक गतिविधियों पर नजर रखता और उसके प्रति आक्रामक दृष्टिकोण अपनाकर चलता अर्थात देश विरोधी किसी भी गतिविधि को कुचलने का दृढ़ संकल्प लेकर भारतीय नेता आगे बढ़ते तो आज देश की दुर्दशा ना होती ।
अभी भी समय है कि देश के सभी सेकुलर नेता मोदी सरकार कि उन नीतियों का समर्थन करें जिससे इस्लामिक आतंकवाद को कुचलने में सहायता मिल सकती है या जिनसे हिंदुत्व को प्रबल कर वास्तविक पंथनिरपेक्षता की रक्षा हो सकती है।
राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत