ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) की 150 सीटों पर नतीजों का ऐलान हो चुका है। सामने आए परिणामों में टीआरएस ने 56 सीटें हासिल की है, लेकिन पिछली बार के मुकाबले उसे तगड़ा नुकसान हुआ है। सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन भाजपा का रहा। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को बीजेपी ने तीसरे नंबर पर धकेल दिया है। इन स्थानीय चुनावों के माध्यम से दक्षिण भारत में भाजपा ने दूसरे राज्य में अपना प्रभुत्व दिखाने से आंध्र प्रदेश का रास्ता सुगम करने के साथ-साथ दक्षिण और पश्चिम भारत में होने वाले चुनावों पर भी इसका असर पड़ता दिख रहा है।
दूसरे, पंजाब में होने वाले चुनावों में भी भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम दिखाई देने का मुख्य कारण है, दलालों को बचाने के चक्कर में किसानों के नाम पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है, जो इन तीनों में हो रही तू-तू मै-मै से उभर कर आ गयी है।
भाजपा ने इन चुनावों में 49 सीटें हासिल की है। AIMIM को 43 सीटें मिली है। यानि इस पार्टी को केवल मुस्लिम क्षेत्रों तक ही समेट दिया। कांग्रेस की बात करें तो बिहार चुनाव की तरह हैदराबाद में भी उनका प्रदर्शन निराशजनक है। पार्टी को केवल 2 सीटों पर जीत हासिल हुई है। इसके चलते प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने इस्तीफा दे दिया है।
साल 2016 में हुए चुनावों की तुलना में भाजपा का प्रदर्शन इस बार जबरदस्त रहा है। पिछले चुनावों में भाजपा को मात्र 4 सीटें मिली थी। वहीं टीआरएस जिसे 4 साल पहले 99 सीट मिली थीं, अब 56 सीट पर आ गई है। 2016 में AIMIM को 44 सीट मिली थी।
हैदराबाद के नगर निगम चुनावों में भाजपा की ऐसी बढ़त से ट्विटर पर अचानक ‘भाग्यनगर में भगवाधारी’ ट्रेंड करने लगा है। भगवाधारी भाजपा की जीत के लिए इस्तेमाल हो रहा है, जबकि ‘भाग्यनगर’ शब्द का इस्तेमाल हैदराबाद की जगह किया जा रहा है।
ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने ये दावा किया था कि भाग्यनगर शहर का नाम इस मंदिर के कारण पड़ा। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद में एक चुनावी रैली में कहा था, “अगर हम इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर सकते हैं तो हम हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर क्यों नहीं कर सकते हैं।”
हैदराबाद का नाम “भाग्य नगर” करने के आव्हान से भाजपा को सबसे अधिक लाभ हुआ है, क्योकि मुग़ल काल से पहले इसका वास्तविक नाम हैदराबाद ही था। लेकिन कांग्रेस और इसके समर्थक दलों ने तुष्टिकरण नीति पर चलते कभी हैदराबाद का वास्तविक नाम करने के बारे में बोलना तो दूर की बात है, सोंचा तक नहीं। भाजपा विरोधी किसी भी पार्टी ने वास्तविक इतिहास को प्रकाश में लाने के लिए मंथन तक नहीं किया, ये सब बस हिन्दू-मुस्लिम में आज तक व्यस्त हैं। जिस दिन भाजपा तेलंगाना विधान सभा में सत्ता में आ गयी, निश्चित रूप से हैदराबाद अपने वास्तविक नाम से जाना जाएगा।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने भी तेलंगाना के लोगों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, “तेलंगाना के लोगों को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास की राजनीति करने वाली भाजपा पर विश्वास दिखाने के लिए आभार।” आगे उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष संजय बंदी को शुभकामनाएँ दी और सभी कार्यकर्ताओं को उनके कठोर परिश्रम के लिए सराहा।
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा हैदराबाद चुनाव का रुझान जो भी हो, लेकिन राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद हुआ है। हैदराबाद चुनाव का रुझान प्रयागराज की तरह भाग्यनगर का आ रहा है। हैदराबाद में भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ और राष्ट्रवाद के समर्थन में लोगों ने वोट किया है। फाइनल रिजल्ट जो भी आए, राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद रहेगा। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में भाजपा के पक्ष में रुझान देश की जीत और राष्ट्रवाद की जीत है, यह लोगों की जीत है।
उधर ट्विटर पर सोशल मीडिया यूजर्स की खुशी थमने का नाम नहीं ले रही। लोग कह रहे हैं कि चूँकि इस बार चुनाव की कमान योगी और शाह के हाथ में थी इसलिए ये परिणाम देखने को मिले हैं। उन्होंने खुलेआम कहा था कि हैदराबाद का नाम भाग्यनगर किया जाएगा। यूजर्स का कहना है कि अब हैदराबाद में भाजपा की बढ़त बताती है कि वह भारत को एक अच्छी सरकार देने के लिए तैयार हैं।
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