जैतून की उपयोगिता
आचार्य बालकृष्ण
जैतून भूमध्य सागरीय क्षेत्रों,एशिया एवं सीरिया में पाया जाता है | भारत में यह उत्तर पश्चिमी हिमालय ,जम्मू कश्मीर,आंध्र-प्रदेश,कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पाया जाता है | इन वृक्षों के फलों से तेल निकाला जाता है । यह तेल उत्तम,स्वच्छ,सुनहरे रंग का तथा हल्की गंधयुक्त होता है | इसके फल अंडाकार,गोलाकार,१.३ -३.५ सेमी लम्बे ,प्रथमतया हरित वर्ण के पश्चात में रक्त एवं पक्वावस्था में बैंगनी-नील कृष्ण वर्ण के होते हैं | कच्चे फलों का प्रयोग अचार एवं साग बनाने के लिए किया जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अक्टूबर से अप्रैल तक होता है |
इसके बीज में अवाष्पशील तेल पाया जाता है | इसके पुष्प अरसोलिक अम्ल पाया जाता है । इसके फल में तेल ,ऑलिक अम्ल एवं मैसलिनिक अम्ल पाया जाता है | आईये जानते हैं जैतून के विभिन्न औषधीय गुण –
१- जैतून के कच्चे फलों को जलाकर,उसकी राख में शहद मिलाकर,सिर में लगाने से सिर की गंज तथा फुंसियों में लाभ होता है |
२-पांच मिली जैतून पत्र स्वरस को गुनगुना करके उसमें शहद मिलाकर १-२ बूँद कान में डालने से कान के दर्द में आराम होता है |
३- जैतून के कच्चे फलों को पानी में पकाकर उसका काढ़ा बना लें | इस काढ़े से गरारा करने पर दांतों तथा मसूड़ों के रोग मिटते हैं तथा इससे मुँह के छाले भी ख़त्म होते हैं |
४- जैतून के तेल को छाती पर मलने से सर्दी,खांसी तथा अन्य कफज-विकारों का शमन होता है |
५- जैतून के तेल की मालिश से आमवात,वातरक्त तथा जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है |
६- जैतून के पत्तों के चूर्ण में शहद मिलाकर घावों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं |
७- जैतून के कच्चे फलों को पीसकर लगाने से चेचक तथा दुसरे फोड़े फुंसियों के निशान मिटते हैं| अगर शरीर का कोई भाग अग्नि से जल गया हो तो यह लेप लगाने से छाला नहीं पड़ता |
८- जैतून के पत्तों को पीसकर लेप करने से पित्ती,खुजली और दाद में लाभ होता है |
९- जैतून के तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है तथा सुंदरता बढ़ती है |
आचार्य बालकृष्ण