भ्रष्टाचारः चीन से कुछ सीखें

डॉ0 वेद प्रताप वैदिक

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हम लोग भारत में भ्रष्टाचार का रोना रोते रहते हैं लेकिन चीन इसमें भी हमारी मीलों आगे है। हमारी कई प्रांतीय सरकारें मिलकर जितना बड़ा भष्टाचार करती हैं, उससे बड़ा भ्रष्टाचार तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का एक अकेला अफसर कर देता है। अभी कुछ माह पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सर्वोच्च शक्तिशाली संस्था ‘पोलित ब्यूरो’ के सदस्य बो सिलाई को भ्रष्टाचार के आरोप में आजीवन सजा हुई ही थी, अब एक नया दिल दहला देनेवाला किस्सा सामने आया है।

चीन की आंतरिक सुरक्षा-व्यवस्था के प्रबंधक चाऊ योंगकांग को अभी अभी पकड़ा गया है। ये सज्जन पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। 1949 से अभी तक इनके वरिष्ठ नेता को कभी नहीं पकड़ा गया था। इनकी जो संपत्तियां जब्त की गई हैं, उनकी कीमत लगभग 90 अरब रु. आंकी गई है। चीन प्रांतों में इनके लगभग 300 विला और फ्लेट हैं। करोड़ों डालर के सैकड़ों स्थायी जमा खाते हैं। 60-65 साल में किसी ने नहीं लूटा। इनके पास आंतरिक सुरक्षा के लिए जो बजट रहता था, वह चीन के रक्षा बजट से ज्यादा होता था। चीन के नए राष्ट्रपति सी जिन पिंग आजकल भ्रष्टाचार के विरुद्ध हाथ धोकर पिछे पड़े हुए है। वे किसी को भी नहीं बख्श रहे हैं।

उन्होंने चाऊ के लगभग 300 रिश्तेदारों और निकट सहयोगियों को भी गिरफ्तार कर लिया है। उन सब की खिंचाई हो रही है। ऐसा भारत में क्यों नहीं होता? यदि आज भारत के केंद्रीय मंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों के संदिग्ध नेताओं के यहां छापे डाले जाएं तो करोड़ों अरबों रु. की संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। सिर्फ इन नेताओं ही नहीं, इन के परिवारजन को भी कठोर दंड दिया जाए तो भविष्य के भावी भ्रष्टाचार डरेंगे, क्योंकि सजा के डर के मारे उनके बीवी बच्चे भी उनको भ्रष्टाचार करने से रोकेंगे। ज्यादातर नेता और नौकरशाह अपने परिजनों के दबाव में ही भ्रष्टाचार करते हैं।
हमारे प्रधानमंत्री ने अपनी अंतिम पत्रकार परिषद में कहा था कि आर्थिक विकास यदि तेजी से होगा तो उसके साथ साथ भ्रष्टाचार घटाने या मिटाने के लिए जरूरी होता है? यदि उनकी सरकार सत्य के मार्ग पर चलती होती तो अब तक उनके दर्जनों मंत्री जेल में होते और उसकी ऐसी दशा नहीं होती, जैसी आजकल हो रही है।

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