अजय कुमार
हाल ही में एक मीडिया संस्थान द्वारा कराए गए सर्वे में योगी आदित्यनाथ को देश का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री चुना गया था। जनता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे अच्छा माना और वह सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हुए थे।
उत्तर प्रदेश में करीब 15 महीने बाद 2022 में होने विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राजनैतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी की रणनीति में सबसे बड़ा बदलाव यही देखने को मिल रहा है कि 2017 के विधानसभा चुनाव को जहां भाजपा ने बिना मुख्यमंत्री का चेहरा सामने किए हुए लड़ा था, वहीं अबकी से भाजपा ‘अगेन योगी-सीएम योगी’ के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी, जिस तरह से पिछले चार वर्षों में योगी का पार्टी के भीतर कद बढ़ा है, उसको देखते हुए ऐसा स्वाभाविक भी लगता है। योगी ने यूपी में हुए कई उप-चुनावों में तो बीजेपी को जीत दिलाई ही इसके साथ-साथ योगी तमाम राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा को योगी का चेहरा आगे करने से कई सियासी मोर्चो पर एक दम से बढ़त मिल जाएगी। योगी की छवि साफ है तो सरकार भी वह पूरी धमक के साथ चला रहे हैं। योगी सरकार द्वारा लिए गए कई फैसले तो पूरे देश में मिसाल बन गए हैं। अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से लेकर, दंगाइयों के पोस्टर सड़क पर चिपकाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली, साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ सख्ती, मिशन नारी शक्ति सम्मान, लव जेहाद के खिलाफ कानून बनाने की बात इसमें प्रमुख हैं। कोरोना महामारी के समय योगी सरकार ने जिस तरह से फैसले लिए उसके चलते उनकी तारीफ यूएनओ तक ने की थी।
हाल ही में एक मीडिया संस्थान द्वारा कराए गए सर्वे में योगी आदित्यनाथ को देश का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री चुना गया था। जनता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे अच्छा माना और वह सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हुए थे। निश्चित तौर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे दिग्गजों के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का देश का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बनना निश्चित ही उनकी कार्यशैली को प्रदर्शित करता है। योगी 18-18 घंटा काम करने प्रदेश को आगे ले जाने में लगे हैं। बतौर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में करीब साढ़े तीन वर्ष के अपने कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ ने देश में अपनी कार्यशैली के कारण अलग जगह बना ली है।
गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महंत योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद 21वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। वह हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, तथा इनकी छवि एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता की है।
1998 में योगी आदित्यनाथ केवल 26 वर्ष की उम्र में गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर पहला चुनाव लड़े और जीते थे। योगी देश के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में गोरखपुर से वह पुनः सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में इन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवीं बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में भाजपा अध्यक्ष ने सांसद योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। चुनाव में पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला। 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया।
योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी समूह है। योगी की छवि एक कट्टर हिन्दू नेता की है। राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली। उन्होंने कई बार विवादित बयान भी दिए, लेकिन दूसरी तरफ उनकी राजनीतिक हैसियत बढ़ती चली गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सियासत की बात की जाए तो वह जाति विशेष के विकास को मद्दनेजर न रखते हुए हिंदुत्व को आगे बढ़ाने पर फोकस करते हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि योगी आदित्यनाथ के बारे में एक सांप्रदायिक नेता होने की हवा बना दी गई है जबकि ऐसा नहीं है। हर धर्म का आदर करते हैं, हां यदि अन्याय हो रहा है तो निश्चित ही उसकी मुखालफत करना गलत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने 2014 में यूपी के उपचुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ के हाथ में कमान दी थी। जिसके बाद वह फिर से चर्चा में आए थे।
2022 में योगी मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे तो इसी के साथ-साथ बीजेपी आलाकमान द्वारा संगठन को भी मजबूती प्रदान की जा रही है। उधर, योगी सरकार अपने कुछ फैसलों से भी सियासत का रूख भाजपा की ओर मोड़ने की कोशिश कर रही है। बहरहाल, योगी का चेहरा आगे करने से यह तय है कि 2017 की तरह बीजेपी पूरी तरह से मोदी पर आश्रित नहीं रहेगी। बल्कि मोदी-योगी मिलकर विपक्ष पर डबल प्रहार करेंगे। इसका बीजेपी को काफी सियासी फायदा मिलेगा।
गौरतलब है कि राज्य में पिछले आम चुनाव 11 फरवरी से 18 मार्च, 2017 तक सात चरणों में हुए थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं। बीजेपी ने 2017 के चुनावों में भारी बहुमत के साथ 312 सीट जीतकर सत्ता हासिल की थी। कांग्रेस को केवल 7 सीटों से संतोष करना पड़ा था। वहीं समाजवादी पार्टी को 47 और बसपा को कुल 19 सीटें मिली थीं। हालांकि 2019 में हुए उप-चुनाव के बाद इस संख्या में परिवर्तन भी आया।
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