आपत्तियों से घबराएं नहीं, इनसे युद्ध करें, आप निश्चित रूप से जीत जाएंगे

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आपत्तियों से घबराएं नहीं। इन से युद्ध करें। आप निश्चित रूप से जीत जाएंगे।*
आपत्तियां दुख चिंताएं परेशानियां किसके जीवन में नहीं हैं? सबके जीवन में हैं। सबके सामने विषम या विपरीत परिस्थितियां आती ही रहती हैं। जिस भी व्यक्ति ने संसार में जन्म लिया है, उसे अनेक प्रकार के दुख भोगने ही पड़ते हैं। *वेद आदि शास्त्रों में लिखा है,‌ जो व्यक्ति संसार में जन्म ले लेगा, उसे कम से कम तीन प्रकार के दुख अवश्य ही भोगने पड़ेंगे।*


पहला दुख है, आध्यात्मिक दुख। दूसरे का नाम है, आधिभौतिक दुख। और तीसरा है, आधिदैविक दुख।
*जो दुख हमारी अपनी गलतियों से, अपनी मूर्खता या अविद्या के कारण से हमें भोगने पड़ते हैं, उनका नाम आध्यात्मिक दुख है।* जैसे कोई व्यक्ति सब्जी काट रहा था, तो लापरवाही से उसने अपनी उंगली काट ली। यह दुख उसको अपनी गलती से भोगना पड़ा, इसको आध्यात्मिक दुख कहते हैं। इसी प्रकार से कोई व्यक्ति शेव कर रहा था। गलती से ब्लेड तेजी से चल गया, और उसके गाल पर थोड़ा सा कट लग गया। यह दुख उसकी अपनी मूर्खता से आया है, इसे आध्यात्मिक दुख कहेंगे।
*दूसरा आधिभौतिक दुख उसे कहते हैं, जो अन्य प्राणियों के अन्याय से हमें प्राप्त होता है।* जैसे मक्खी मच्छर सांप बिछू आदि परेशान करते हैं। चोर डाकू लुटेरे हत्यारे आतंकवादी दुख देते हैं। कोई मित्र संबंधी रिश्तेदार या अन्य अपरिचित लोग भी धोखाधड़ी करते हैं, और हमारी संपत्ति छीन लेते हैं। ये दुख अन्य प्राणियों के अन्याय से प्राप्त हुआ। इसका नाम आधिभौतिक दुख है।
*और जो पृथ्वी जल अग्नि वायु आदि प्राकृतिक पदार्थों के असंतुलन बाढ़ भूकंप आंधी तूफान आदि घटनाओं के कारण से भोगना पड़ता है, उसे आधिदैविक दुख कहते हैं।* यह तीसरा दुख है।
हमारे वेद आदि शास्त्र कहते हैं, यदि किसी ने संसार में जन्म ले लिया, तो उसे ये दुख भोगने ही पड़ेंगे। उसके जीवन में ऐसी आपत्तियां कम या अधिक मात्रा में आएंगी ही। जब ये दुख या आपत्तियां जीवन में आएं, तब इनसे घबराना नहीं है, बल्कि इनसे युद्ध करना है। *यदि हम इनसे घबरा गए, तो ये दुख दुगने प्रतीत होंगे, और हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। यदि हम इनसे उत्साह पूर्वक हंसकर युद्ध करेंगे, अपने मित्रों साथियों बुद्धिमानों तथा ईश्वर का सहयोग लेकर इन आपत्तियों का सामना करेंगे, तो हम निश्चित रूप से इन आपत्तियों से जीत जाएंगे। ये पानी के बुलबुले के समान नष्ट हो जाएंगी।* हमारा जीवन संतुलित व्यवस्थित तथा सुखमय बना रहेगा। *इसलिए दुख/आपत्तियां आने पर घबराएं नहीं, बल्कि जमकर इनका मुकाबला करें।*
– *स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक।*

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