राजनीति शिवराज सिंह की शालीनता और सादगी ने कराई भाजपा की नैया पार 16/11/2020 उगता भारत ब्यूरो मनोज कुमार किसी भी किस्म के चुनाव में मुद्दों की बड़ी अहमियत होती है लेकिन मध्यप्रदेश के हालिया उप-चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की विनम्रता ने परिणाम को बदल दिया। मध्यप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार 28 सीटों पर उप-चुनाव की नौबत आयी और यह मन बनाने की कोशिश की गई कि दल-बदलुओं को परास्त करना है। मोटे-मोटे तौर पर इस बात को मान भी लिया गया और परिणाम की उम्मीद भी इसी आधार पर आंका गया था लेकिन जब परिणाम आए तो सभी राजनीतिक दलों को चौंकाने वाले थे। भाजपा को सबसे बड़ी जीत मिली तो सत्ता में वापसी की आस बांधे कांग्रेस को महज 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा। यह परिणाम मुद्दे को लेकर नहीं था बल्कि यह परिणाम शिवराजसिंह चौहान के व्यक्तित्व एवं उनकी विनम्रता का था। बीते 13 साल और अब लगभग 9 माह के शासन में प्रदेश की जनता शिवराजसिंह चौहान को ही अपना सबकुछ मान बैठी है। मतदाताओं को इस बात का रंज भी नहीं था कि किसने पाला बदला और किसकी सरकार गयी। वे शिवराज सरकार के भरोसे थे और शिवराजसिंह के भरोसे को कायम रखा। लगभग मिनी इलेक्शन के तर्ज पर यह बाय-इलेक्शन था। कोरोना महामारी के बीच दुस्साहस के साथ लड़े गए इस उप-चुनाव में विकास का मुद्दा नदारद था। सरकार भाजपा की है तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ताबड़तोड़ घोषणाएं करते रहे। खाली खजाने के बाद भी उनकी इन घोषणाओं पर मतदाताओं ने सवाल नहीं उठाया क्योंकि बीते 13 साल में शिवराजसिंह आम आदमी में रच-बस गए हैं। 9 महीने पहले सत्ता में शिवराजसिंह की वापसी होती है तो मध्यप्रदेश की जनता ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था। शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में आम आदमी के बीच कभी गए ही नहीं। कभी मामा बनकर तो कभी भाई बनकर, किसी का बेटा बन गए तो दोस्त के रूप में सहजता से मिलते रहे। इस चुनाव में भी उनका यही रूप था। एकदम आम आदमी का। चुनावी सभा को संबोधित करते हुए जब शिवराजसिंह चौहान घुटने के बल खड़े होकर मतदाताओं का अभिवादन कर रहे थे तो जनता हर्षित थी। उधर विपक्ष ने शिवराजसिंह चौहान की इस अदा पर प्रहार किया तो शिवराजसिंह ने विनम्रता के साथ कहा कि ‘ये जनता मेरी भगवान है और मैं बार-बार उनका इसी प्रकार अभिनंदन करूंगा।’ विपक्षी गफलत में रह गए। उन्हें समझ ही नहीं आया कि यही तो शिवराजसिंह की यूएसपी है और इसी के बूते वे रिकार्ड तोड़ टाइम से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। जनता का अभिवादन करने वाले शिवराजसिंह पर ताने मारने वाले आज खुद घुटने पर खड़े होने के लिए मजबूर हैं तो यह संभव हुआ शिवराजसिंह चौहान की विनम्रता से। उनकी सादगी से और निश्च्छल भाव से। शिवराजसिंह चौहान राजनीति करते हैं लेकिन प्रदेश की जनता के साथ नहीं। यह बार-बार और कई बार साबित हो चुका है। किसानों को राहत देने की बात हो, आदिवासियों के हितों की रक्षा करने का मुद्दा हो, बेटी-बहनों को सुरक्षा देने का मामला हो या बुर्जुगजनों को सम्मान देेने का। हर बार उन्होंने अपने वायदे को निभाया है। कोरोना संकट के समय शासकीय कर्मचारियों के वेतन-भत्ते में आंशिक कटौती का सरकार ने ऐलान किया लेकिन शिवराजसिंह सरकार के प्रति ऐसा विश्वास कि लोगों ने इस कटौती को भी सरकार के साथ सहयोग के रूप में लिया और प्रचंड बहुमत से सरकार का साथ दिया। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को आंशिक ही सही, आर्थिक नुकसान होने के बाद भी सरकार के साथ खड़े रहे, यह विश्वास केवल शिवराजसिंह चौहान ने जीता है। इसका प्रमाण उप-चुनाव 2020 में पूरे देश ने देखा है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार कर्मचारी विरोधी होने के कारण भी एक बार जा चुकी है। यह महीन सा फर्क दिखता है शिवराजसिंह सरकार की लोकप्रियता में। शिवराजसिंह चौहान के कार्य-व्यवहार में चौथे बार मुख्यमंत्री होने का ताब नहीं है बल्कि विनम्र होने का ऐसा भाव है जिससे कोई भी आदमी उनकी ओर खींचा चला आता है। वे पल-पल आम आदमी की चिंता करते हैं। इस बात से किसी को शिकायत नहीं हो सकती है। यही कारण है कि त्योहार के पहले अग्रिम भुगतान के अपने वायदे को पूरा किया। किसानों की कर्जमाफी से राहत की हवा बह ही है। कोरोना के कारण उनकी महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन’ योजना स्थगित है जिसे वे जल्द ही शुरू करना चाहते हैं। यकिन किया जाना चाहिए कि एक बार फिर तीर्थ दर्शन के लिए गाड़ी दौड़ पडेगी। वक्त हमेशा परीक्षा लेता है और शिवराजसिंह चौहान भी इससे परे नहीं हैं। फर्क इतना है कि शिवराजसिंह चौहान हर परीक्षा के बाद और खरे होकर उतरे हैं। इस बार का उप-चुनाव भी उनकी परीक्षा थी जिसमें वे सौफीसदी खरे उतरे हैं। कोरोना संकट के समय स्वयं मैदान में उतर गए थे। खुद कोरोना पीडि़त होने के बाद भी प्रदेश के कामकाज में बाधा नहीं आने दी। लॉकडाउन में घर लौट रहे मजदूरों को ना केवल वापसी की सुविधा दी बल्कि उनके मन में यह भरोसा उत्पन्न करने में कामयाब रहे कि सरकार और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह उनके साथ हैं। उनके रहने-खाने से लेकर रोजगार तक का प्रबंध शिवराजसिंह सरकार ने किया। उन्होंने ना केवल मध्यप्रदेश के श्रमजीवी परिवारोंं के लिए किया बल्कि आसपास के प्रदेशों के श्रमजीवी परिवार का साथ दिया। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की यह दरियादिली इस बात का गवाह है कि मध्यप्रदेश कहने के लिए नहीं बल्कि सचमुच में देश का ह्दयप्रदेश है. WhatsAppTweet Continue Reading Previous नीतीश तो हार कर भी ‘जीत’ गए पर सोनिया का तो ‘चिराग’ ही बुझ गयाNext भाजपा के लिए बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम एक अच्छी खबर Related Posts राजनीति देश विरोधी अंधेरी सुरंग में प्रवेश करती जम्मू कश्मीर की राजनीति 12/11/2024 ललित गर्ग राजनीति क्या हरियाणा में भाजपा फिर सरकार बना सकती है ? 21/09/2024 डॉ सत्यवान 'सौरभ' राजनीति जम्मू कश्मीर में भाजपा के बगैर कोई सरकार बना ले किसी की औकात नहीं — चंदेल* 15/09/2024 उगता भारत ब्यूरो Comment:Cancel reply