मूसेसाव की कहानी

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गायब होती लोक कथाओं में से एक मूसेसाव की कहानी तब शुरू होती है जब एक जाना माना व्यापारी नगर के अन्य व्यापारियों से धन आदि लेकर समुद्री रास्ते से व्यापार के लिए निकलता है। समुद्र में भयावह तूफ़ान आता है और व्यापारी जिस जहाज पर था वो डूब जाता है। उसके जहाज के डूबने की खबर आने पर नगर के अन्य व्यवसायी अपना माल भी डूबा मान लेते हैं और जो रकम बिक्री से पहले ले ली थी उसी पर संतोष कर लेते हैं। उधर जिस व्यापारी की मृत्यु हुई उसपर तो संकटों का बादल टूट पड़ता है। काफी रकम खर्च करके उन्होंने व्यापार में निवेश किया था। वापस ना आने पर जमा पूँजी भी सब डूब गई थी।

ऐसे में उसकी पत्नी और बेटा कंगाली की सी स्थिति में आ गए। हारकर एक दिन बेटे ने कहा कि जिन व्यापारियों से पिताजी कर्ज लिया करते थे उनसे ही मैं भी कुछ रकम मांगकर व्यापार शुरू करने की कोशिश करता हूँ। कम से कम जीविका चले। माँ से इजाजत लेकर लड़का पहले एक फिर दुसरे करते सभी के पास गया। लेकिन रकम डूबने से खिन्न उसके पिता के भूतपूर्व मित्रों ने भी उसकी मदद नहीं की। एक व्यापारी के पास जब वो गया तो उसके अनाज का नुकसान हो रहा था इसलिए वो अपनी दुकान में एक चूहे को मारने में जुटा था।

लड़के ने व्यापारी की मदद के लिए चूहे को मार दिया, मगर जब काम होने के बाद धन की बात की तो उसने लड़के की खिल्ली उड़ाते कहा कि अगर दम होता तो वो उस मरे चूहे से ही कमा लेता, ऐसे भीख ना मांगता फिरता। निराश लड़का अब मरे चूहे को लेकर नगर श्रेष्ठी से सलाह करने चला। वहां नगर श्रेष्ठी की पालतू बिल्ली चूहे को देखकर मचल गई। श्रेष्ठी ने चूहा माँगा तो लड़का फ़ौरन बोला, मैं तो इसे बेचने ही निकला हूँ ! मरे चूहे के बदले श्रेष्ठी ने आधे घड़े भर चना लड़के को दे दिया।

चने को पानी में फुलाकर लड़का अगले दिन पास के वन में जा बैठा, जहाँ कुछ राजा के मजदूर, राजमहल के काम के लिए लकड़ियाँ काट रहे होते थे। उनसे चने-पानी के बदले उसने लकड़ियाँ लेनी शुरू की। थोड़े ही समय में उसके पास काफी लकड़ियाँ इकठ्ठा हो गयीं। उनमें से कुछ बेचकर वो रोज चने ही ले लेता और धीरे धीरे चने से आगे सत्तू फिर और अनाज का व्यापार भी शुरू कर दिया। कुछ साल बीतते बीतते जब तक राजमहल बना, लड़का भी अनाज का बड़ा व्यापारी हो चुका था। राजदरबार से भी अनाज की खरीद बिक्री का काम उसे मिलने लगा।

एक रोज जब अनाज के काम के ही सिलसिले में कई साल पहले का मरा चूहा देने वाला व्यापारी उसके पास आया तो लड़का पूछ बैठा, पहचाना मुझे ? मैं वही चूहे वाला लड़का। चूहे को मूस भी कहते हैं, इसलिए ये व्यापारी मूसेसाव नाम से ही विख्यात हुआ। भारत के त्यौहार जो कृषि-वाणिज्य जैसे कर्मों से जुड़े होते हैं उनकी परंपरा भी देखें तो आपको ऐसी ही छोटी छोटी चीज़ों पर ध्यान देना, नजर आ जाएगा।

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